scriptकोरोना काल में साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल, मुस्लिमों ने स्वर्ण मंदिर में लंगर के लिए भेजा गेहूं | Muslim families send 330 quintals wheat to Golden temple amritsar | Patrika News
सैनग्रूर

कोरोना काल में साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल, मुस्लिमों ने स्वर्ण मंदिर में लंगर के लिए भेजा गेहूं

मालेरकोटला के मुस्लिमों ने घर-घर जाकर गेहूं एकत्रित किया और ट्रक में लादकर भेजा
लॉकडाउन में सिख भी मदरसे में फँसे बच्चों और संचालकों को लंगर मुहैया कराया था

सैनग्रूरJul 13, 2020 / 02:32 pm

Bhanu Pratap

communal harmony

स्वर्ण मंदिर के लिए गेहूं लगा ट्रक रवाना करते सिख और मुस्लिम समाज के नेता।

संगरूर। पंजाब में संगरूर जिला के मालेरकोटला कस्बे से साम्प्रदायिक सद्भाव की खबर आई है। यहां के मुस्लिम परिवारों ने स्वर्ण मंदिर के लिए 330 क्विंटल गेहूं भेजा है। याद रहे कि सिख धर्म के लिए स्वर्ण मंदिर सर्वाधिक पवित्र स्थल है। यहां चौबीसो घंटे लंगर चलता है, जो एक मिसाल है। अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर को गोल्डन टेम्पल, श्री हरिमंदिर साहिब और दरबार साहिब के नाम से भी जाना जाता है। इससे पहले मालेरकोटला के सिख मुस्लिमों की एक माह तक लंगर सेवा कर चुके हैं। इस तरह यहां सांप्रदायिक स्दभाव की मिसाल कायम हो रही है।
घर-घर जाकर गेहूं एकत्रित किया

सिख मुस्लिम सांझ संस्था के प्रधान डॉ. नसीर अख्तर ने कहा कि आगामी दिनों में और राशन भी मदद के लिए भेजा जाएगा, ताकि गुरु घर में पहुंचने वाली संगत के लिए कोरोना काल में निर्विघ्न लंगर की सेवा जारी रहे।पिछले महीने से घर-घर जाकर गेहूं एकत्रित कर रही है। बड़ी संख्या में मुस्लिम भाईचारे के लोगों ने अपनी इच्छा से गेहूं दान किया, जो लोग नहीं दे पाए उन्होंने नकद सेवा की। उनसे एकत्र किए गए डेढ़ लाख रुपये से और गेहूं खरीदा गया।
लंगर के लिए सामान भेजने की अपील

संस्था के डॉ. अब्दुल शूकर व मास्टर मोहम्मद अनवर ने कहा कि संस्था इस मुहिम को आगे भी जारी रखेगी और हर प्रकार का सहयोग करेगी। जल्द ही और राशन व अन्य सामग्री एकत्रित करके भेजी जाएगी। उन्होंने भाईचारे के लोगों से अपील भी की कि लंगर के लिए ज्यादा से ज्यादा सामान भेजें।
इन्होंने रवाना किया ट्रक

तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार रणजीत सिंह और सरबत दा भला ट्रस्ट के एसपी सिंह ओबराय ने गेहूं से लदा ट्रक रवाना किया। उन्होंने कहा कि दूसरों की मदद करने से बड़ा कोई और धर्म नहीं है। यहां के लोगों ने हमेशा एक दूसरे की मदद के लिए हाथ बढ़ाए हैं।
सिखों ने की थी मदद

इससे पहले मालेरकोटला के सिख भी ऐसी ही मिसाल कायम कर चुके हैं। गत 23 मार्च को एकदम से कर्फ्यू लगने के बाद विभिन्न राज्यों से पहुंचे बच्चे मदरसे में फंस गए थे। मदरसे के संचालकों के पास उनको खिलाने के उचित प्रबंध नहीं थे। ऐसे में वहां के गुरुद्वारा पचास से अधिक बच्चों समेत वहां के दर्जनभर संचालकों को करीब एक माह तक लंगर मुहैया करवाया था।
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