क्यों प्रासंगिक हैं हरिशंकर तिवारी पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी की गिनती यूपी के बाहुबली नेताओं में होती रही है। पूर्वांचल के चर्चित जनप्रतिनिधि के रूप में पहचान बनाने वाले पूर्व मंत्री के बारे में यह कहा जाता रहा है कि सरकार चाहे किसी भी दल की रही हो सिक्का तो इनका ही चलता है। गोरखपुर के चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र से आधा दर्जन बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी पूर्वांचल के सबसे बड़े ब्राह्मण नेताओं में शुमार हैं। पूर्वांचल के कई सीटों पर उनका अच्छा खासा प्रभाव है। कई बार मंत्री रह चुके पंडित हरिशंकर तिवारी फिलहाल चुनावी राजनीति से दूर हैं लेकिन उनके परिवार के कई सदस्य सक्रिय राजनीति में हैं। उनके छोटे सुपुत्र विनय शंकर तिवारी उनकी पारंपरिक सीट चिल्लूपार से विधायक हैं। यूपी में बीजेपी की लहर के बावजूद वह चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। बड़े पुत्र कुशल तिवारी 2009 में संतकबीरनगर से सांसद चुने गए थे। जबकि उनके भांजे गणेश शंकर पांडेय कई बार एमएलसी रहे हैं। वह विधान परिषद के सभापति भी रहे हैं।
कुशल तिवारी रह चुके हैं सांसद संतकबीरनगर लोकसभा सीट से पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के बड़े सुपुत्र भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी सांसद रह चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में कुशल तिवारी हार गए थे। हालांकि हारने के बाद से वह क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहे। बसपा ने उनको संतकबीरनगर क्षेत्र का प्रभारी भी बना दिया है। अव्वल यह कि यह सीट सपा-बसपा समझौता में बसपा के पास ही है। ऐसे में पूर्व सांसद कुशल तिवारी का चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है।