UP दो बाहुबलियों के मैदान में उतरने से रोचक हुआ यहां का मुकाबला, भाजपा ने भेज दिया बाहरी प्रत्याशी
संत कबीर नगरPublished: Apr 23, 2019 05:38:09 pm
Loksabha election 2019
UP दो बाहुबलियों के मैदान में उतरने से रोचक हुआ यहां का मुकाबला, भाजपा ने भेज दिया बाहरी प्रत्याशी
संत कबीरदास की धरती इस बार दो बाहुबलियों की लड़ाई से रोचकता की ओर बढ़ रही है। उधर, भगवान राम के सहारे सत्ता में आई भाजपा को इस बार यहां निषाद राज से उम्मीद लगाए हुए है। भाजपा ने आंतरिक गुटबाजी को खत्म करने के लिए अपने सहयोगी दल निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के पुत्र प्रवीण निषाद को अपने सिंबल पर लड़ाने का फैसला किया है।
2008 में अस्तित्व में आए संतकबीरनगर संसदीय क्षेत्र में इस बार तीन पूर्व सांसदों की लड़ाई है। यहां महागठबंधन को बसपा कोटे से उम्मीदवार मिला है। बसपा से पूर्व सांसद भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी चुनाव मैदान में हैं। कुशल तिवारी दो बार यहां सांसद रह चुके हैं। इस बार तीसरी बार संसद में पहुंचने के लिए चुनाव मैदान में हैं। उधर, भाजपा ने अपनी गुटबाजी से निजात पाने के लिए निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद के पुत्र व गोरखपुर उपचुनाव में सांसद बने प्रवीण निषाद को चुनाव मैदान में उतार दिया है। प्रवीण दूसरी बार सांसद बनने के लिए इस नए क्षेत्र में उतरे हैं। भाजपा मोदी फैक्टर व निषाद वोटरों के सहारे यहां की नैया पार कराने में लगी हुई है।
हालांकि, नामांकन प्रक्रिया खत्म होने के महज 24 घंटे पहले कांग्रेस ने मास्टर स्ट्रोक से सबकी रणनीति को खराब कर दी है। कांग्रेस ने ऐन वक्त पर अपने प्रत्याशी के बदलने का ऐलान कर सबको चैका दिया है। अब कांग्रेस ने सपा से आए पूर्व सांसद भालचंद यादव पर दांव लगाया है। पूर्व घोषित प्रत्याशी व कांग्रेस के जिलाध्यक्ष परवेज आलम मैदान से हट गए हैं। कांग्रेस के इस समीकरण ने भाजपा समेत महागठबंधन के समीकरण को भी बिगाड़ दिया है। क्षेत्र में बाहुबली छवि वाले भालचंद यादव दो बार सांसद रह चुके हैं। दो दशक से अधिक समय से मुख्य धारा की राजनीति में रहने वाले भालचंद यादव का अपना वोटबैंक है। ट्रेड यूनियन से राजनीतिक शुरूआत करने वाले भालचंद का बुनकरों में भी खासी पकड़ है। सजातीय वोटरों को साधने में सक्षम भालचंद के मैदान में आने से भाजपा व महागठबंधन दोनों के समीकरण बिगड़े इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। भालचंद यादव 1999 में पहली बार सपा के सिंबल पर खलीलाबाद संसदीय क्षेत्र से लोकसभा में पहुंचे थे। 2004 में भालचंद यादव बसपा में आए और हाथी पर सवार होकर संसद में पहुंचे। लेकिन 2009 व 2014 का चुनाव वह हार गए। इस बार वह सपा से टिकट चाहते थे लेकिन गठबंधन में सीट बसपा के खाते में चले जाने के बाद वह लगातार अन्य दलों में हाथ पांव मार रहे थे। भाजपा से बात नहीं बनने के बाद वह कांग्रेस के संपर्क में आए। कांग्रेस ने उनको पार्टी में शामिल कराने के साथ ही प्रत्याशी भी बना दिया है। सोमवार को भालचंद यादव ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल किया है।