scriptग्राउंड रिपोर्ट: यूपी के इस गांव में बकरीद के पहले पुलिस उठा ले जाती है बकरे, नहीं होने देती कुर्बानी | UP Police Stopping Muslims to Celebrate Eid Ground Report | Patrika News

ग्राउंड रिपोर्ट: यूपी के इस गांव में बकरीद के पहले पुलिस उठा ले जाती है बकरे, नहीं होने देती कुर्बानी

locationसंत कबीर नगरPublished: Aug 19, 2018 04:34:59 pm

गांव में बकरीद के एक दिन पहले पुलिस कैद कर लेती है मुस्लिमों के बकरे, त्योहार बीत जाने के तीन दिन बाद करती है वापस।

UP Police Stopping Muslims

यूपी में पुलिस और बकरीद

बस्ती/संत कबीर नगर. यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार में मुसलमानों को बकरीद का त्योहार नहीं मनाने दिया जा रहा। पुलिस कुर्बानी के बकरों को घरों से उठाकर ले जा रही है… व्हाट्सऐप पर आपको भी एक वीडियो के साथ ऐसा मैसेज मिला होगा या फिर सोशल मीडिया पर जरूर देखा होगा। यह वीडियो और मैसेज इन दिनों तेजी से वायरल किया जा रहा है। इन मैसेजेस में दावा किया जा रहा है कि यूपी पुलिस के जवान बकरीद के एक दिन पहले ही कुर्बानी के बकरे उठा ले जाते हैं। वायरल वीडियो में भी एक पुलिस का जवान बकरों को ले जाता हुआ दिख रहा है। इस वीडियो की सच्चाई जानने के लिये पत्रिका टीम ने पड़ताल की और वहां पहुंच गयी जहां का यह वीडियो है। वहां जब लोगों से पूछताछ की गयी तो जो पूरा मामला खुलकर आया वह हम आपको आगे बताएंगे।
पड़ताल करने पर पता चला कि यह वीडियो कहीं और का नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश का ही है। लखनऊ से 230 किलोमीटर और गोरखपुर से महज 45 किमी दूर संतकबीरनगर जिले में मुसहरा नामका एक गांव है यह वीडियो वहीं का है। जगह पता चलने के बाद संवाददाता सतीश श्रीवास्तव मुसहरा गांव पहुंचे। वहां उन्होंने विडियो के बारे मे लोगों से पूछताछ की तो जो हकीकत सामने आयी वह बेहद चौकाने वाली थी। इस गांव में वाकई में मुस्लिमों को हिन्दू पक्ष के लोग बकरीद पर कुर्बानी नहीं करने देते। बदले में तीन साल से मुस्लिम पक्ष के लोगों की ओर से होलिका दहन भी रोक रखी गयी है। दोनों पक्षों में यूं तो सबकुछ ठीक है पर बकरीद और होलिका को लेकर एक दूसरे के जानी दुश्मन बने हुए हैं। आखिर ऐसा क्यों है और पीछे वजह क्या है ? यह हम आपको सिलसिलेवार ढंग से आगे बताएंगे।
 

पहले यह बता दें कि इस बात में सौ फीसदी सच्चाई है कि पुलिस कुर्बानी के बकरों को कबरीद के पहले उठा ले जाती है और त्योहार बीत जाने पर तीन दिन बाद ही वापस करती है, पूरा खयाल रखा जाता है कि कहीं कोई कबरीद पर कुर्बानी न कर दे। पर ऐसा पूरे यूपी में नहीं बल्कि सिर्फ संत कबीर नगर के छोटे से मुसहरा गांव में ही होता है। सुनने में जरा अजीब जरूर लगेगा पर यही सच्चाई है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो यहीं का है जिसमें साफ दिखाया गया है कि दो पुलिस वाले एक बकरे को पकड़कर ले जा रहे हैं। वीडियो में कुछ महिलाएं रोती हुई भी दिख रही हैं। बकरों के मालिक का नाम बताते हुए भी वीडियो में सुना जा सकता है।
2007 में कुर्बानी के बाद बिगड़े थे हालात
मुसहरा गांव संतकबीरनगर जिले के धर्मसिंहवा थानाक्षेत्र में पड़ता है। पड़ताल करने पर पता चला कि वीडियो है तो उसी गांव का पर नया नहीं बल्कि 2017 का है। स्थानीय लोग ऐसा दावा करते हैं कि मुसहरा गांव में बकरीद पर कभी कुर्बानी नहीं हुई और यहां हमेशा से रोक लगी हुई है। तब इस तरह की कोई बात भी नहीं थी। 2007 में पूर्व विधायक ताबिश खां के कहने पर इस गांव में कुर्बानी कर दी गयी, इसके बाद तो वहां दो गुटों में जमकर बवाल हुआ। बात इतनी बढ़ी कि लूटपाट से लेकर आगजनी और तोड़फोड़ तक हो गयी। हिंसा को काबू मे करने के लिये पुलिस को बड़े पापड़ बेलने पड़े थे। उसी दिन से वहां कुर्बानी नहीं होती। बकरीद आने पर वहां सुरक्षा के लिहाज से पुलिस फोर्स ओर पीएसी तक तैनात कर दी जाती है।

पुलिस बकरीद के एक दिन पहले ही गांव में पहुंच जाती है और कुर्बानी के बकरों को कब्जे में लेकर गांव के पास बने एक मदरसे या सरकारी स्कूल में कैद कर देती है। त्योहार खत्म होने के तीन दिन बाद जाकर बकरे उनके मालिकों को वापस किये जाते हैं। इस मामले पर जिले के एसपी बेहद संवेदनशील हैं। वह बताते हैं कि विडियो पुराना हैं जिसे सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है। गांव में कोई हिंसा न हो इसके लिये पुलिस बकरों को ले आती है ताकि कुर्बानी पर लगी रोक बरकरार रहे।
मुस्लिम पक्ष की दलील
गांव के मुस्लिम पक्ष के लोगों ने बताया कि वो कुर्बानी करना चाहते हैं, लेकिन पुलिस और गांव के हिन्दू पक्ष के लोग उन्हें बकरीद पर कुर्बानी नहीं करने देते। इस मामले में पुलिस उनकी मदद करने के बजाय उन्हीं के बकरों को तीन दिन के लिये कैद कर लेती है। बकरीद खत्म होने के तीन दिन बाद बकरे वापस किये जाते हैं। पुलिस के कब्जे में भी मालिक को ही अपने बकरों की देखभाल करनी पड़ती है और इसकी कोई रसीद भी नहीं दी जाती कि लोग अपने बकरे पहचान सकें। हालांकि गौर करने वाली बात यह भी है कि गांव में 365 दिन में 362 दिन बाजार में बकरे काटकर वैसे ही बेचे जाते हैं, लेकिन इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होती। बस बकरीद के तीन दिन बकरे नहीं कटने दिये जाते, कोई चोरी-छिपे काट न ले इसके लिये बकरों का कैद कर लिया जाता है।
हिन्दू पक्ष की दलील
पडताल में हमारी टीम ने हिंदू पक्ष के लोगों से भी बात की। उनका कहना था कि कोई नई परंपरा नहीं बनने दी जाएगी। दलील और दावा ये कि जब कुर्बानी गांव के बाहर एक जगह पर होती आयी है तो गांव में कुर्बानी क्यों की गयी। रही बात होलिका जलाने की तो उनके मुताबिक जब बकरीद पर कुर्बानी नहीं करने दी गयी तो मुस्लिम पक्ष के लोगों ने होलिका जलाने वाली जमीन को कब्रिस्तान की भूमि बताकर विवाद पैदा किया और पिछले तीन साल से होलिका जलनी भी रुक गयी।
तनाव लेकर आता है त्योहार
इस मामले से यहां दोनों समुदायों के लोगों में नफरत की ऐसी दीवार खड़ी हो चुकी है कि जिसे मिटा पाना बेहद मुश्किल है। ऐसा नहीं कि इसके लिये प्रयास नहीं किये गए, पर दोनों पक्ष अपनी-अपनी जिद पर अड़े हैं। सुलह की पूरी कोशिश की गयी पर वो लोग मानने को तैयार नहीं। इस गांव के लोगों ने जैसे अब तय कर रखा है कि एक दूसरे को त्योहार नहीं मनाने देंगे। कुल मिलाकर जरा सी आपसी सूझबूझ और सौहार्द्र की कमी के चलते इस गांव की खुशियां घरों में कैद होकर रह गयी हैं। खुशी के त्योहार भी अपने साथ तनाव लेकर आते हैं।
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