नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान सतना जिले में बड़े पैमाने पर शासकीय भूमि में हेराफेरी कर प्रभावशाली लोगों द्वारा खरीदे जाने का आरोप लगाया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सोनोरा और रामस्थान में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को बंटित जमीन बिना कलेक्टर की अनुमति के नामांतरित कर दी गई। तत्कालीन कलेक्टर सतना ने 22 मार्च 2016 को शासकीय भूमि के इस घोटाले के संबंध में जांच के आदेश दिए।
कलेक्टर ने विशेष जांच समिति गठित कर उससे अपना प्रतिवेदन तीन माह के अंदर देने को कहा। नेता प्रतिपक्ष ने जब इस पत्र का भी हवाला दिया तो राजस्व मंत्री ने कहा कि यह पत्र उनके पास नहीं है। लोक अभियोजक के पत्र का हवाला दिया जो उन्होंने 20 फरवरी 2018 को कलेक्टर सतना और पुलिस अधीक्षक सतना को लिखा। यह तीसरा स्मरण पत्र था।
पत्र में उन्होंने शासकीय भूमि घोटाले के आरोपी पटवारी रामानंद सिंह, शिवभूषण सिह, रामशिरोमणी सिंह, तहसीलदार आरएन खरे, मनोज श्रीवास्तव सहित करीब 22 आरोपियों को चिन्हित कर इनके विरूद्ध धारा 173 (क) के तहत प्रकरण दर्ज करने को कहा था लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। अभी तक आरोपियों के खिलाफ कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई है।
आरोप लगाया कि इस बात से पुष्टि होती है कि पूरे मामलें में प्रभावशाली लोग शामिल हैं, इसलिए कार्यवाही नहीं हो रही है। कहा कि यह एक जिले के दो तहसीलों के सिर्फ दो गांवों का मामला है। उन्होंने कहा सोनोरा और रामस्थान शहर से लगे हुए हैं। आरटीओ विभाग द्वारा 16 टन का खनिज परिवहन का परमिट देता और 40 टन का परिहवन हो रहा है। इस मामले को भी पकड़ा गया लेकिन कोई कार्यवाही संबंधितों के खिलाफ नहीं हुई।
राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने अपने जवाब में स्वीकारा करते हुए कहा कि सारे प्रकरण का अध्ययन करने के बाद पता चल रहा है कि गड़बड़ी हुई है। इसलिए नोटिस दिए गए लेकिन सिर्फ लीपापोती हुई, कोई कार्यवाही नहीं हुई। मैं, इसको स्वीकार करता हूं। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक बाबूलाल गौर ने भी कहा कि यह बड़ा ही गंभीर प्रश्न है, शासकीय भूमि का है, इसमें कलेक्टर पुलिस को एफआईआर लिखने के लिए आदेशित कर रहा है तो क्या इसमें एफआईआर लिखी गई की नहीं लिखी गई, इसमें कार्यवाही क्यों नहीं हुई।