घर बैठे परीक्षा दी फिर भी फेल
कोरोना काल में कॉलेज बंद हुए तो छात्रों ने पढ़ाई से नाता तोड़ लिया। 24 घंटे घर में रहने के बाद भी 70 फीसदी छात्रों ने दो साल में सिर्फ एक दिन कॉपी लिखने के लिए किताब खोली। इस दौरान उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट का अनुमान इससे भी लगाया जा सकता है कि घर बैठे किताब खोलकर भी 5 फीसदी छात्र पांच सवालों के उत्तर नहीं लिख सके और वे फेल हो गए। जून 2021 में यूजी-पीजी की अंतिम परीक्षा देने वाले कुछ 5 फीसदी छात्र अनुत्तीर्ण हुए। इनमें यूजी के छात्रों का प्रतिशत सात तथा पीजी का 3 प्रतिशत रहा। जिले के 16 शासकीय कॉलेजों में अध्ययनरत यूजी-पीजी के 500 से अधिक छात्र घर बैठे परीक्षा देने के बाद भी पास नहीं हो सके।
कोरोना काल में कॉलेज बंद हुए तो छात्रों ने पढ़ाई से नाता तोड़ लिया। 24 घंटे घर में रहने के बाद भी 70 फीसदी छात्रों ने दो साल में सिर्फ एक दिन कॉपी लिखने के लिए किताब खोली। इस दौरान उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट का अनुमान इससे भी लगाया जा सकता है कि घर बैठे किताब खोलकर भी 5 फीसदी छात्र पांच सवालों के उत्तर नहीं लिख सके और वे फेल हो गए। जून 2021 में यूजी-पीजी की अंतिम परीक्षा देने वाले कुछ 5 फीसदी छात्र अनुत्तीर्ण हुए। इनमें यूजी के छात्रों का प्रतिशत सात तथा पीजी का 3 प्रतिशत रहा। जिले के 16 शासकीय कॉलेजों में अध्ययनरत यूजी-पीजी के 500 से अधिक छात्र घर बैठे परीक्षा देने के बाद भी पास नहीं हो सके।
बिना किताब हो गई पढ़ाई
वर्ष 2021 में यूजी-पीजी की डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों की पढ़ाई की गुणवत्ता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि 50 फीसदी छात्रों ने किताब ही नहीं खरीदी। सारंगी बुक स्टाल के संचालक महेन्द्र गुप्ता ने बताया, कोरोना काल में स्नातक व स्नातकोत्तर की किताबों की बिक्री में 50 फीसदी की गिरावट आई है।
वर्ष 2021 में यूजी-पीजी की डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों की पढ़ाई की गुणवत्ता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि 50 फीसदी छात्रों ने किताब ही नहीं खरीदी। सारंगी बुक स्टाल के संचालक महेन्द्र गुप्ता ने बताया, कोरोना काल में स्नातक व स्नातकोत्तर की किताबों की बिक्री में 50 फीसदी की गिरावट आई है।
पढ़ाई के प्रति बढ़ी अरुचि
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना काल में कॉलेज बंद हुए तो दो साल में युवाओं की रुचि पढ़ाई में कम हो गई। लगातार दो वर्ष तक ओपन बुक प्रणाली से परीक्षा छात्रों के लिए हानिकारक साबित हुई है। इससे छात्रों में अध्ययन एवं याद करने की क्षमता में गिरावट आई है। इसी का परिणाम है कि कोरोना महामारी का बहाना कर सतना ही नहीं प्रदेशभर के हजारों छात्र ऑफ लाइन परीक्षा का विरोध कर रहे हैं।
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना काल में कॉलेज बंद हुए तो दो साल में युवाओं की रुचि पढ़ाई में कम हो गई। लगातार दो वर्ष तक ओपन बुक प्रणाली से परीक्षा छात्रों के लिए हानिकारक साबित हुई है। इससे छात्रों में अध्ययन एवं याद करने की क्षमता में गिरावट आई है। इसी का परिणाम है कि कोरोना महामारी का बहाना कर सतना ही नहीं प्रदेशभर के हजारों छात्र ऑफ लाइन परीक्षा का विरोध कर रहे हैं।
शिक्षा की गुणवत्ता गिरी
स्वशासी महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. हर्षवर्धन श्रीवास्तव ने बताया दो साल तक कॉलेज न खुलने एवं ओपन बुक प्रणाली से परीक्षा के चलते उच्च शिक्षा की गुणवत्ता डाउन हुई है। इससे छात्रों में पढ़ाई एवं कॉम्पिटीशन के प्रति अरुचि बढ़ी है। लेकिन, अब परिस्थिति नियंत्रण में है। इसलिए छात्रों को फिर से पूरी ईमानदारी के साथ पढ़ाई में जुट जाना चाहिए। छात्रों को यह समझना होगा कि वर्तमान दौर में डिग्री दिखा देने से रोजगार नहीं मिलता। इसके लिए उन्हें तकनीकी शिक्षा में दक्ष होना होगा। जो छात्र ऑफलाइन परीक्षा का विरोध कर रहे हैं उन्हें यह समझना होगा कि शिक्षा वह धन है जो कठिन परिश्रम करके ही प्राप्त किया जा सकता है। बिना मेहनत के मिली डिग्री आपको रोजगार व नौकरी कभी नहीं दिला सकती।
स्वशासी महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. हर्षवर्धन श्रीवास्तव ने बताया दो साल तक कॉलेज न खुलने एवं ओपन बुक प्रणाली से परीक्षा के चलते उच्च शिक्षा की गुणवत्ता डाउन हुई है। इससे छात्रों में पढ़ाई एवं कॉम्पिटीशन के प्रति अरुचि बढ़ी है। लेकिन, अब परिस्थिति नियंत्रण में है। इसलिए छात्रों को फिर से पूरी ईमानदारी के साथ पढ़ाई में जुट जाना चाहिए। छात्रों को यह समझना होगा कि वर्तमान दौर में डिग्री दिखा देने से रोजगार नहीं मिलता। इसके लिए उन्हें तकनीकी शिक्षा में दक्ष होना होगा। जो छात्र ऑफलाइन परीक्षा का विरोध कर रहे हैं उन्हें यह समझना होगा कि शिक्षा वह धन है जो कठिन परिश्रम करके ही प्राप्त किया जा सकता है। बिना मेहनत के मिली डिग्री आपको रोजगार व नौकरी कभी नहीं दिला सकती।
हकीकत
16 शास. कॉलेज जिले में
8132 छात्र यूजी फाइनल में
570 छात्र अनुत्तीर्ण
7562 छात्र उत्तीर्ण
3258 छात्र पीजी फाइनल में
98 छात्र अनुत्तीर्ण
3160 छात्र उत्तीर्ण स्वशासी महाविद्यालय रिजल्ट 2021
स्नातक अंतिम वर्ष
संकाय कुल छात्र अनुत्तीर्ण
बीएससी 1215 25
बीकाम 797 17
बीए 928 63
स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष
संकाय कुल छात्र अनुत्तीर्ण
एमकॉम 416 13
एमएससी 187 6
एमए 647 36
16 शास. कॉलेज जिले में
8132 छात्र यूजी फाइनल में
570 छात्र अनुत्तीर्ण
7562 छात्र उत्तीर्ण
3258 छात्र पीजी फाइनल में
98 छात्र अनुत्तीर्ण
3160 छात्र उत्तीर्ण स्वशासी महाविद्यालय रिजल्ट 2021
स्नातक अंतिम वर्ष
संकाय कुल छात्र अनुत्तीर्ण
बीएससी 1215 25
बीकाम 797 17
बीए 928 63
स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष
संकाय कुल छात्र अनुत्तीर्ण
एमकॉम 416 13
एमएससी 187 6
एमए 647 36