कई बार देखने को मिलता है कि बारिश शुरू होते ही बिजली कंपनी ही बिजली सप्लाई कट कर देती है। उसे खुद ही भरोसा नहीं कि बारिश के दौरान खंभे व तार नहीं टूटेंगे। अपनी गलती छिपाने ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं।
शहर में बिजली आपूर्ति के 864 ट्रांसफॉर्मर लगाए गए हैं। ज्यादातर ट्रांसफॉर्मर 100 व 200 केवी हैं। उनका मानसून से पहले मेंटीनेंस कर लोड मेंटेन नहीं किया गया। इसके चलते मई से अब तक 30 ट्रांसफॉर्मर फेल हो चुके हैं। किसी इलाके का ट्रांसफॉर्मर फेल होने से वहां 4 से 8 घंटे बिजली गुल रहती है। एक जानकारी के मुताबिक, शहर के 70 फीसदी ट्रांसफॉर्मर ओवरलोड हैं और इसी के चलते फेल हो रहे हैं। 25 फीसदी एेसे ट्रांसफॉर्मर हैं, जो अनफिट होने के बाद भी नहीं बदले जा रहे। एेसे ट्रांसफॉर्मरों में आए दिन आयल लीकेज होता है। इससे बीते एक माह में आधा दर्जन ट्रांसफॉर्मर में आग लग चुकी है।
शहर से हर माह औसतन 10 करोड़ रुपए राजस्व कंपनी को आता है। उसके बाद भी बिजली कंपनी उपभोक्ता सेवाओं के लिए बेपरवाह है। इसका अंदाजा मेंटीनेंस सेक्शन से लगाया जा सकता है। 73 हजार उपभोक्ताओं के घर सतत बिजली आपूर्ति के लिए मेंटीनेंस विभाग में तीन एई की जगह महज एक सहायक अभियंता पदस्थ है। हैरानी की बात यह है कि एई की मदद करने के लिए एक अदद जेई तक तैनात नहीं है, जबकि सिटी डिवीजन के मेंटीनेंस सेक्शन में कम से कम पांच जेई होने चाहिए। सेक्शन के पास एक अदद वाहन नहीं है। सुधार कार्य के लिए जोन के वाहन का इंतजार करना पड़ता है।
– शहर में घरेलू उपभोक्ता- 73 हजार
– कुल शिकायत केंद्र: 05
– अंधड़, बारिश के समय शिकायतें: 500-800
– ठेका श्रमिक: 50, लाइन स्टॉफ: 59
– एई- 01, जेई- 00, वाहन- 01