scriptमेंटेनेंस के नाम पर 130 घंटे की कटौती, हर दिन लाइन में हो जाता है फॉल्ट | 130 hours Deduction in the name of maintenance | Patrika News

मेंटेनेंस के नाम पर 130 घंटे की कटौती, हर दिन लाइन में हो जाता है फॉल्ट

locationसतनाPublished: Jul 23, 2018 12:14:51 pm

Submitted by:

suresh mishra

बिजली कंपनी: व्यवस्थाओं में कसावट से ज्यादा राजस्व की चिंता, अब निर्बाध बिजली देने में हालत खराब

130 hours Deduction in the name of maintenance

130 hours Deduction in the name of maintenance

सतना। मानसून के दौरान सतत बिजली आपूर्ति हो सके, लिहाजा प्री-मानसून मेंटीनेंस के नाम पर बिजली कंपनी ने 130 घंटे की बिजली कटौती की। बावजूद इसके अब कंपनी निर्बाध आपूर्ति करने में फिसड्डी है। आलम यह है कि आए दिन 4-6 घंटे की कटौती हो रही है। अमले को व्यवस्थाओं में कसावट से ज्यादा राजस्व की चिंता है।
दरअसल, मई से जून तक शहर के 31 में से 28 फीडरों की मरम्मत की गई। इसके लिए 4-4 घंटे बिजली काटी गई। इसके अलावा सबस्टेशन व लाइन बदलने पर भी कई इलाकों में 2 से 6 घंटे बिजली गुल रही। मरम्मत के नाम पर बिजली तार के आस-पास पेड़ों की छंटाई का काम किया गया।
तारों को टाइट करना, फीडर की गड़बड़ी ठीक करना, फ्यूज व अन्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के काम नहीं किए गए। इसके बाद भी मामूली हवा व बारिश में फॉल्ट हो रहा है। मोहल्लों से बिजली गुल होने का कोई समय और वापस आपूर्ति बहाल होने का कोई ठिकाना नहीं है।
खुद की सप्लाई कट कर देते
कई बार देखने को मिलता है कि बारिश शुरू होते ही बिजली कंपनी ही बिजली सप्लाई कट कर देती है। उसे खुद ही भरोसा नहीं कि बारिश के दौरान खंभे व तार नहीं टूटेंगे। अपनी गलती छिपाने ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं।
अतिरिक्त लोड से फेल हुए 30 ट्रांसफॉर्मर
शहर में बिजली आपूर्ति के 864 ट्रांसफॉर्मर लगाए गए हैं। ज्यादातर ट्रांसफॉर्मर 100 व 200 केवी हैं। उनका मानसून से पहले मेंटीनेंस कर लोड मेंटेन नहीं किया गया। इसके चलते मई से अब तक 30 ट्रांसफॉर्मर फेल हो चुके हैं। किसी इलाके का ट्रांसफॉर्मर फेल होने से वहां 4 से 8 घंटे बिजली गुल रहती है। एक जानकारी के मुताबिक, शहर के 70 फीसदी ट्रांसफॉर्मर ओवरलोड हैं और इसी के चलते फेल हो रहे हैं। 25 फीसदी एेसे ट्रांसफॉर्मर हैं, जो अनफिट होने के बाद भी नहीं बदले जा रहे। एेसे ट्रांसफॉर्मरों में आए दिन आयल लीकेज होता है। इससे बीते एक माह में आधा दर्जन ट्रांसफॉर्मर में आग लग चुकी है।
राजस्व 10 करोड़ से ज्यादा, अमले में एक जेई तक नहीं
शहर से हर माह औसतन 10 करोड़ रुपए राजस्व कंपनी को आता है। उसके बाद भी बिजली कंपनी उपभोक्ता सेवाओं के लिए बेपरवाह है। इसका अंदाजा मेंटीनेंस सेक्शन से लगाया जा सकता है। 73 हजार उपभोक्ताओं के घर सतत बिजली आपूर्ति के लिए मेंटीनेंस विभाग में तीन एई की जगह महज एक सहायक अभियंता पदस्थ है। हैरानी की बात यह है कि एई की मदद करने के लिए एक अदद जेई तक तैनात नहीं है, जबकि सिटी डिवीजन के मेंटीनेंस सेक्शन में कम से कम पांच जेई होने चाहिए। सेक्शन के पास एक अदद वाहन नहीं है। सुधार कार्य के लिए जोन के वाहन का इंतजार करना पड़ता है।
ये हैं हालात
– शहर में घरेलू उपभोक्ता- 73 हजार
– कुल शिकायत केंद्र: 05
– अंधड़, बारिश के समय शिकायतें: 500-800
– ठेका श्रमिक: 50, लाइन स्टॉफ: 59
– एई- 01, जेई- 00, वाहन- 01

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