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चित्रकूट उपचुनाव फ्लैश बैक-3: 1990 में बिना प्रत्याशी भाजपा के सिंबल ने लड़ा था चुनाव, मिले थे 1475 वोट

locationसतनाPublished: Oct 25, 2017 05:20:48 pm

Submitted by:

suresh mishra

जनता दल से समझौते में चली गई थीं तीन सीटें, रामदास मिश्रा को तीन दिन के बाद किया था विड्रा, मेनका से जद का सिंबल लाकर धीरू ने किया था जमा

1990 BJP nomination without candidate in Chitrakoot election

1990 BJP nomination without candidate in Chitrakoot election

शक्तिधर दुबे @ सतना। सन् 1990 का चुनाव रोचक रहा। भाजपा ने प्रत्याशी मैदान में उतारने के बाद जनता दल से समझौता कर लिया था। और, जिले की तीन सीटों से प्रत्याशी वापस कर लिए थे। जिसमें चित्रकूट विस की सीट भी थी। जिन तीन सीटों को भाजपा ने जनता दल के लिए छोड़ दिया था, उनमें रामपुर बाघेलान, मैहर और चित्रकूट थी।
चित्रकूट से वरिष्ठ नेता रामदास मिश्रा को टिकट दी गई थी। उन्होंने क्षेत्र में प्रचार भी शुरू कर दिया था। लेकिन, तीन दिन बाद भाजपा का जद से समझौता हो गया। चूंकि, मिश्रा पार्टी का संबल जमा कर चुके थे इसलिए उसे वापस करना मुमकिन नहीं था। लिहाजा, पार्टी हाईकमान के आदेश पर उन्होंने प्रचार प्रसार बंदकर दिया।
भाजपा-जद का समझौता

और, जद के अधिकृत प्रत्याशी रामानंद के पक्ष में प्रचार करने लगे। इस तरह भाजपा के सिंबल ने ही विस चुनाव लड़ा। पार्टी को बिना प्रत्याशी सिंबल के जरिए 1475 वोट भी मिले। इधर, भाजपा-जद का समझौता होते ही तब जनता दल के नेता रहे धीरेन्द्र सिंह धीरू ने आनन-फानन मेनका गांधी से पार्टी सिंबल लाकर जमा कर दिया। और, रामानंद भाजपा के सहयोग से संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर मैदान में आ गए।
जद के पक्ष में गया चुनाव
विस चुनाव के लिए 27 फरवरी 1990 को मतदान हुआ। क्षेत्र में मतदताओं की संख्या 1,20,736 थी। जिसमें 63,878 पुरुष और 56858 महिलाएं थीं। लेकिन, मतदान सिर्फ 72.742 ने किया। 60.25 फीसदी मतदान में रामानंद 28,813 मतों के साथ निर्वाचित हुए। दूसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी प्रेमसिंह को 16,264 वोट मिले। जबकि, कांग्रेस के रामचंद्र बाजपेई 14,460 वोट मिले। और, वो तीसरे स्थान पर रहे। प्रत्याशी विहीन भाजपा को 1475 मतदाताओं ने धोखे में मतदान किया। जबकि, रामदास मैदान से हट चुके थे। पार्टी जमानत भी न बचा सकी थी।
कार्यकर्ताओं में रहा मलाल
समझौते की रणनीति का भाजपा कार्यकर्ताओं में मलाल रहा। उनका मानना था, चुनाव जीता जा सकता था। प्रत्याशी की घोषणा के बाद ऐसा उचित नहीं था। फिर उस स्थिति में तो बिलकुल नहीं, जब प्रत्याशी और कार्यकर्ता प्रचार में लग चुके थे। बावजूद, पार्टी की मर्यादा और अनुशासन के चलते किसी ने विरोध नहीं किया। बल्कि, जनता दल प्रत्याशी रामानंद का ही काम किया।
17 प्रत्याशी और सबसे कम 41 वोट निर्दलीय को
चुनाव में 17 प्रत्याशी थे। बसपा चौथे स्थान पर रही। उसके प्रत्याशी कमलेश पटेल को 3754 वोट मिले। सबसे कम वोट पाने वाले प्रत्याशी निर्दलीय राकेश कुमार थे। उन्हें महज 41 याने दशमलव 6 फीसदी मतदाताओंं ने ही वोट दिए।

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