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निकाय चुनाव से पहले आया सियासी भूचाल, PM आवास योजना में करोड़ों के घोटाले का पर्दाफाश

locationसतनाPublished: Dec 07, 2020 06:14:09 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-7 के विरुद्ध मुकदमा दर्ज, गिरफ्तारी एक भी नहीं

प्रधानमंत्री आवास योजना में 3 करोड़ का घोटाला (प्रतीकात्मक फोटो)

प्रधानमंत्री आवास योजना में 3 करोड़ का घोटाला (प्रतीकात्मक फोटो)

सतना. प्रधानमंत्री एक तरफ आमजन की सुविधा के लिए नित नई-नई योजनाएं लांच कर रहे हैं लेकिन पात्र लोगों को उसका लाभ मिलने की बजाय घोटाले उजागर हो रहे हैं। ऐसा ही एक मामला प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उजागर हुआ है। इस ताजा तरीन प्रकरण में पुलिस ने 7 लोगों के विरुद्ध मुकदमा तो दर्ज कर लिया है पर गिरफ्तारी एक की भी नहीं हो सकी है अब तक।
प्रकरण नगर परिषद पवई का है। दरअसल सोशल मीडिया में सूचना वायरल होने के बाद पुलिस हरकत में आई और आनन-फानन में 7 लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया। सोशल मीडिया में वायरल सूचना में आरोप लगाया गया हैं कि पात्र लाभार्थियों की स्वीकृत सूची से छेड़छाड़ करते हुए अपात्रों के नाम जोड़कर उनके बैंक खातों में दो-दो लाख रुपये की राशि जारी कर दी गई। इस तरह करीब 2.78 करोड़ का घोटाला हुआ है।
इस फर्जीवाड़े में पुलिस ने तत्कालीन नगर पंचायत अध्यक्ष किरण बागरी, अध्यक्ष पति बृजपाल बागरी उर्फ भोलू, तत्कालीन सीएमओ विजय रैकवार, उपयंत्री विक्रम बागरी समेत सात लोगों के विरुद्घ जालसाजी, गबन और भ्रष्टाचार की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। हालांकि अब तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
नगर परिषद पवई में पीएम नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं करते हुए जमकर पलीता लगाए जाने की शिकायतें मिलने पर कलेक्टर ने करीब दो माह पूर्व जांच के लिए चार सदस्सीय समिति गठित की थी। समिति ने जांच के बादप्रस्तुत की गई अपनी रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा किया है। बताया है कि 2018-19 में प्रधानमंत्री आवास योजना के 774 लाभार्थियों की कलेक्टर पन्ना द्वारा स्वीकृत सूची में शामिल 139 पात्र लाभार्थियों के नाम हटाकर इतने ही अपात्रों के नाम जोड़े गए। कूटरचना कर दस्तावेजों में हेराफेरी करने के पश्चात अपात्र लाभार्थियों के खातों में आवास की राशि दो-दो लाख रुपए डाल दिए गए। जांच में कमेटी ने पाया कि 9 हितग्राही ऐसे भी हैं जिनके मकान पूर्व से निर्मित हैं।
आवास योजना में हुए इस घपले के लिए जांच कमेटी ने तत्कालीन नगर परिषद अध्यक्ष किरण बागरी, उनके पति बृजपाल बागरी, तत्कालीन सीएमओ विजय रैकवार, उपयंत्री विक्रम बागरी समेत सात लोगों को दोषी ठहराया है। जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि पूर्व अध्यक्ष किरण बागरी की भूमिका कथित रूप से रबर स्टाम्प की रही है। परिषद के कार्य उनके पति बृजपाल बागरी उर्फ़ भोलू करते थे। आवास योजना के फर्जीवाड़े में अध्यक्ष पति को आरोपी बनाए जाने को लेकर भी यही वजह बताई जा रही है। बृजपाल बागरी उर्फ़ भोलू पर यह आरोप है कि उनके द्वारा नगर परिषद के कार्य में अवांछनीय हस्तक्षेप करके व अस्थाई कर्मचारियों पर दवाब बनाकर आवास योजना की सूची से पात्र लाभार्थियों के नाम हटवाकर अपात्रों के नाम जुड़वाए गए। कलेक्टर के निर्देश पर नगर परिषद पवई के सीएमओ हरि वल्लभ शर्मा के द्वारा गत दिनों दोषियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण पंजीबद्घ कराने के लिए आवास घोटाले की जांच रिपोर्ट सहित आवश्यक दस्तावेज पवई थाने की पुलिस को सौंपें गए।
इस मामले में अभी तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। प्रकरण में आरोपी बनाए गए तत्कालीन सीएमओ विजय रैकवार वर्तमान में पड़ोसी जिला सतना की न्यू रामनगर नगर परिषद में तैनात हैं, जबकि शेष आरोपी पवई में ही मौजूद हैं।
नगरीय निकाय चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस की पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष किरण बागरी, उनके पति समेत अन्य के खिलाफ आपराधिक प्रकरण पंजीबद्घ होने से पवई में सियासी हलचल अचानक तेज हो गई है। नगर परिषद पवई में करीब दो दशक से काबिज रहे बागरी परिवार के प्रमुख सदस्यों पर एफआईआर दर्ज होने से उनके राजनीतिक विरोधियों व परिषद में विपक्ष में रहे भाजपा नेताओं की बाछें खिल गई हैं।
“नगर परिषद पवई में आवास योजना की स्वीकृत सूची में फेरबदल कर घोटाला करने के मामले में तत्कालीन नगर पंचायत अध्यक्ष पवई किरण बागरी, अध्यक्ष पति बृजपाल बागरी उर्फ भोलू, तत्कालीन सीएमओ विजय रैकवार, उपयंत्री विक्रम बागरी, अस्थाई कर्मचारी सधिादानंद पटेल, बलराम पटेल, नीलेश विश्वकर्मा के विरुद्घ केस दर्ज कर मामले को जांच में लिया गया है।”-सुदामा प्रसाद शुक्ला, नगर निरीक्षक, पवई
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