गांव में नलजल योजना होने के बाद भी बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे लोगों ने कलेक्टर से मुख्यमंत्री तक शिकायत की। लेकिन समस्या का समाधान नहीं किया गया। प्रशासन की अनदेखी से परेशान ग्रामीणों ने पानी के लिए सत्याग्रह आंदोलन करने का निर्णय लिया है।
2015 में हुआ था टंकी का निर्माण
बस्ती में पानी की टंकी होने के बाद भी डिब्बा लेकर एक किलो मीटर दूर से पानी ढोने को मजबूर ग्रामीणों ने बताया कि घर-घर पेयजल पहुंचाने वर्ष 2015 में सरकार ने जनभागीदारी से गांव में 50 लाख की लागत से टंकी का निर्माण कराया था।
बस्ती में पानी की टंकी होने के बाद भी डिब्बा लेकर एक किलो मीटर दूर से पानी ढोने को मजबूर ग्रामीणों ने बताया कि घर-घर पेयजल पहुंचाने वर्ष 2015 में सरकार ने जनभागीदारी से गांव में 50 लाख की लागत से टंकी का निर्माण कराया था।
पाइप लाइन का फर्जी भुगतान योजना के तहत गांव में घर-घर पाइप लाइन बिछाकर पानी पहुंचाना था। लेकिन ठेकेदार ने पीएचई इंजीनियरों से मिली भगत का पाइप लाइन का फर्जी भुगतान करा लिया। आधे गांव में चार साल बीत जाने के बाद भी पाइप लाइन नहीं पड़ी। इससे गांव की जनता आज भी पेयजल संकट से जूझ रही है।
सीएम से शिकायत
मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखे शिकायत पत्र में बताया गया कि ठेकेदार ने पीएचई अफसरों से साठ-गांठ कर पाइप लाइन दूसरी जगह बिछा दी है। जो पाइपलाइन पड़ी थी उसे भी तोड़ दिया। अन्य स्रोत न होने से पानी के लिए परेशान होना पड़ता है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखे शिकायत पत्र में बताया गया कि ठेकेदार ने पीएचई अफसरों से साठ-गांठ कर पाइप लाइन दूसरी जगह बिछा दी है। जो पाइपलाइन पड़ी थी उसे भी तोड़ दिया। अन्य स्रोत न होने से पानी के लिए परेशान होना पड़ता है।