script50 हजार की रिश्वत लेने वाले संयुक्त संचालक उद्यानिकी को 5 साल का सश्रम कारावास, कोर्ट ने भेजा जेल | 50 thousand bribe case 5 years rigorous imprisonment to Joint Director | Patrika News

50 हजार की रिश्वत लेने वाले संयुक्त संचालक उद्यानिकी को 5 साल का सश्रम कारावास, कोर्ट ने भेजा जेल

locationसतनाPublished: Nov 15, 2019 11:22:54 am

Submitted by:

suresh mishra

– अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (विशेष न्यायालय लोकायुक्त) का फैसला- कोर्ट ने भेजा जेल, 25 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया- रीवा, सतना, सीधी, अनूपपुर में माइक्रो एरिगेशन की पाइपलाइन के भुगतान में रिश्वत लेते पकड़ा गया था

50 thousand bribe case 5 years rigorous imprisonment to Joint Director

50 thousand bribe case 5 years rigorous imprisonment to Joint Director

सतना/ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (विशेष न्यायालय लोकायुक्त) गिरीश दीक्षित ने गुरुवार को रीवा-शहडोल के तत्कालीन संयुक्त संचालक उद्यानिकी मुकेश मिश्र को भ्रष्टाचार के मामले में जेल भेज दिया है। विशेष न्यायालय ने आरोपी के संभाग स्तर का अधिकारी होकर केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार कर किसानों के हित को प्रभावित करने के मामले में गंभीरता से विवेचना किया।
इस दौरान आरोपी द्वारा सर्विस रेकार्ड अच्छा होने एवं प्रथम अपराध होने के आधार पर दंड कम किए जाने की दलील को नकार दिया गया। मामले में न्यायाधीश ने रिश्वत की मांग करने के लिए चार साल और घूस लेने के आरोप में पांच साल के लिए सश्रम सजा सुनवाई। 25 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया।
ये है मामला
अभियोजन अधिकारी ने बताया कि 2014-15 में तत्कालीन संयुक्त संचालक उद्यानिकी रीवा व शहडोल संभाग मुकेश मिश्र थे। नेटबिन, प्रगति और केके पाइप के डीलर संतोष तिवारी ने लोकायुक्त से शिकायत की थी कि रीवा, अनूपपुर, सीधी जिले में माइक्रो एरिगेशन योजना के तहत स्प्रिंकिलर और ड्रिप पाइप किसानों को सप्लाई करता है। सीधी, अनूपपुर के सहायक संचालकों से मिलकर बकाया भुगतान के लिए संपर्क किया, तो सहायक संचालकों ने जानकारी दी कि संयुक्त संचालक उद्यान ने बिल के भुगतान पर रोक लगा दी है। इस संबंध में शिकायतकर्ता संतोष तिवारी उद्यानिकी संचालक से मिलने के लिए रीवा स्थित कार्यालय पहुंचे। शिकायतकर्ता बिल भुगतान के लिए कई बार मिला। लेकिन, संयुक्त संचालक टालमटोल करता रहा। इस बीच संतोष ने कई नेताओं और अफसरों से सिफारिश भी कराई, लेकिन, बात नहीं बनी।
5 प्रतिशत मांगा था हिस्सा
संयुक्त संचालक ने दबाव पडऩे पर कहा कि रीवा जिले के 70 लाख के बिल का भुगतान हो चुका है। उसमें अभी तक हमारा हिस्सा नहीं दिया है। जब तक भुगतान किए गए 70 लाख रुपए का 5 प्रतिशत 3.50 लाख रुपए नहीं दोगे तब तक आगे के बिलों का भुगतान नहीं होने दूंगा। इस पर सप्लायर ने 30 मई 2015 को इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त से की। पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त ने गोपनीय सत्यापन कराया। सत्यापन के दौरान शिकायत सही पाई गई। शिकायतकर्ता और संयुक्त संचालक उद्यानिकी के बीच दो लाख रुपए पर सौदा तय हुआ। शिकायतकर्ता एक जुलाई 2015 को रीवा स्थित संयुक्त संचालक के कार्यालय में 50 हजार रुपए लेकर पहुंचा। जैसे ही आरोपी ने रिश्वत के पैसे लेकर सोफे के गद्दे के नीचे रखा लोकायुक्त पुलिस की टीम ने रंगेहाथ रिश्वते लेते हुए संयुक्त संचालक को दबोच लिया। प्रकरण न्यायालय में विचारण लिए प्रस्तुत किया गया जहां, आरोपी को उपरोक्त भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 7 के अंतर्गत 4 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10 हजार रुपए अर्थदण्ड और धारा 3 (2) के तहत 5 वर्ष का सश्रम कारावास और 15 हजार रुपए अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। शासन की ओर से मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी (लोकायुक्त) सचिन द्विवेदी ने किया।
ऐसे पेश हुआ चालान
शिकायतकर्ता ने बताया कि संयुक्त संचालक उद्यानिकी मुकेश मिश्र की जड़ें इतनी मजबूत थीं कि वह भोपाल से दो साल तक कोर्ट में अभियोजन प्रस्तुत नहीं होने दिया। हाइकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद कोर्ट में चालान प्रस्तुत किया गया।
कैमरा देखते ही तौलिया से छिपा लिया मुंह
भ्रष्टाचार के आरोपी मुकेश मिश्र को पुलिस कोर्ट से हिरासत में लेकर जेल जा रही थी। जैसे ही कोर्ट के बाहर निकाला।,मीडिया कर्मचारियों के कैमरे को देख आरोपी तौलिए से मुंह छिपा लिया। सिपाहियों के बीच मुंह छिपाकर सीधे कार में जाकर बैठ गया।
कार से ले गई पुलिस
भ्रष्टाचार के आरोपी को कोर्ट द्वारा चार साल की सजा सुनाए जाने के बाद पुलिस लग्जरी कार से लेकर गई। इसको लेकर लोगों चर्चा रही। कहा कि आरोपी को यह सुविधा कैसे दे रही है पुलिस।

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