अभियोजन अधिकारी ने बताया कि 2014-15 में तत्कालीन संयुक्त संचालक उद्यानिकी रीवा व शहडोल संभाग मुकेश मिश्र थे। नेटबिन, प्रगति और केके पाइप के डीलर संतोष तिवारी ने लोकायुक्त से शिकायत की थी कि रीवा, अनूपपुर, सीधी जिले में माइक्रो एरिगेशन योजना के तहत स्प्रिंकिलर और ड्रिप पाइप किसानों को सप्लाई करता है। सीधी, अनूपपुर के सहायक संचालकों से मिलकर बकाया भुगतान के लिए संपर्क किया, तो सहायक संचालकों ने जानकारी दी कि संयुक्त संचालक उद्यान ने बिल के भुगतान पर रोक लगा दी है। इस संबंध में शिकायतकर्ता संतोष तिवारी उद्यानिकी संचालक से मिलने के लिए रीवा स्थित कार्यालय पहुंचे। शिकायतकर्ता बिल भुगतान के लिए कई बार मिला। लेकिन, संयुक्त संचालक टालमटोल करता रहा। इस बीच संतोष ने कई नेताओं और अफसरों से सिफारिश भी कराई, लेकिन, बात नहीं बनी।
संयुक्त संचालक ने दबाव पडऩे पर कहा कि रीवा जिले के 70 लाख के बिल का भुगतान हो चुका है। उसमें अभी तक हमारा हिस्सा नहीं दिया है। जब तक भुगतान किए गए 70 लाख रुपए का 5 प्रतिशत 3.50 लाख रुपए नहीं दोगे तब तक आगे के बिलों का भुगतान नहीं होने दूंगा। इस पर सप्लायर ने 30 मई 2015 को इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त से की। पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त ने गोपनीय सत्यापन कराया। सत्यापन के दौरान शिकायत सही पाई गई। शिकायतकर्ता और संयुक्त संचालक उद्यानिकी के बीच दो लाख रुपए पर सौदा तय हुआ। शिकायतकर्ता एक जुलाई 2015 को रीवा स्थित संयुक्त संचालक के कार्यालय में 50 हजार रुपए लेकर पहुंचा। जैसे ही आरोपी ने रिश्वत के पैसे लेकर सोफे के गद्दे के नीचे रखा लोकायुक्त पुलिस की टीम ने रंगेहाथ रिश्वते लेते हुए संयुक्त संचालक को दबोच लिया। प्रकरण न्यायालय में विचारण लिए प्रस्तुत किया गया जहां, आरोपी को उपरोक्त भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 7 के अंतर्गत 4 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10 हजार रुपए अर्थदण्ड और धारा 3 (2) के तहत 5 वर्ष का सश्रम कारावास और 15 हजार रुपए अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। शासन की ओर से मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी (लोकायुक्त) सचिन द्विवेदी ने किया।
शिकायतकर्ता ने बताया कि संयुक्त संचालक उद्यानिकी मुकेश मिश्र की जड़ें इतनी मजबूत थीं कि वह भोपाल से दो साल तक कोर्ट में अभियोजन प्रस्तुत नहीं होने दिया। हाइकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद कोर्ट में चालान प्रस्तुत किया गया।
भ्रष्टाचार के आरोपी मुकेश मिश्र को पुलिस कोर्ट से हिरासत में लेकर जेल जा रही थी। जैसे ही कोर्ट के बाहर निकाला।,मीडिया कर्मचारियों के कैमरे को देख आरोपी तौलिए से मुंह छिपा लिया। सिपाहियों के बीच मुंह छिपाकर सीधे कार में जाकर बैठ गया।
भ्रष्टाचार के आरोपी को कोर्ट द्वारा चार साल की सजा सुनाए जाने के बाद पुलिस लग्जरी कार से लेकर गई। इसको लेकर लोगों चर्चा रही। कहा कि आरोपी को यह सुविधा कैसे दे रही है पुलिस।