शिक्षक को आत्ममंथन की जरूरत कलेक्टर डॉ. सतेंद्र सिंह ने प्राचार्यों से कहा कि हम स्कूलों में आधारभूत संरचनाएं स्थापित कर शैक्षणिक वातावरण सुधार रहे हैं। अन्य मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। अब शिक्षकों को आत्ममंथन करने की जरूरत है कि वह कैसे अथक मेहनत कर विद्यार्थियों के अच्छे परीक्षा परिणाम सामने लाएं।
बिना विद्यार्थियों के विद्यालय
समीक्षा बैठक में कई चौंकाने वाली जानकारियां भी सामने आईं जो जिले की शैक्षणिक व्यवस्था की पोल खोलती दिखी। जिले में 51 प्राथमिक शालाएं ऐसी हैं जहां एक भी बच्चे का एडमिशन नहीं है और यहां 54 शिक्षक तैनात हैं। 6 माध्यमिक शालाएं ऐसी है जिसमें विद्यार्थियों की संख्या शून्य है पर यहां 14 शिक्षक तैनात है। इसी तरह 1 से 5 की संख्या में एडमिशन वाले 62 प्राथमिक विद्यालयों में 102 शिक्षक तथा 5 माध्यमिक शालाओं में 13 शिक्षक तैनात है। 6 से 10 नामांकन वाली 127 प्राथमिक शालाओं में 214 शिक्षक तथा 11 माध्यमिक शालाओं में 21 शिक्षक तैनात है। ऐसे में सवाल यह खड़ा हुआ है कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि इन विद्यालयों में लोग बच्चों का एडमिशन नहीं कराना चाह रहे हैं। दूसरा सवाल यह है कि प्रशासन इन शिक्षकों को इस सत्र में कहा एडजस्ट करेगा, जिससे इनकी उपयोगिता साबित हो सके। इसी तरह से 11 से 20 एडमिशन वाले 444 प्राथमिक विद्यालय हैं।
बिना विद्यार्थियों के विद्यालय
समीक्षा बैठक में कई चौंकाने वाली जानकारियां भी सामने आईं जो जिले की शैक्षणिक व्यवस्था की पोल खोलती दिखी। जिले में 51 प्राथमिक शालाएं ऐसी हैं जहां एक भी बच्चे का एडमिशन नहीं है और यहां 54 शिक्षक तैनात हैं। 6 माध्यमिक शालाएं ऐसी है जिसमें विद्यार्थियों की संख्या शून्य है पर यहां 14 शिक्षक तैनात है। इसी तरह 1 से 5 की संख्या में एडमिशन वाले 62 प्राथमिक विद्यालयों में 102 शिक्षक तथा 5 माध्यमिक शालाओं में 13 शिक्षक तैनात है। 6 से 10 नामांकन वाली 127 प्राथमिक शालाओं में 214 शिक्षक तथा 11 माध्यमिक शालाओं में 21 शिक्षक तैनात है। ऐसे में सवाल यह खड़ा हुआ है कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि इन विद्यालयों में लोग बच्चों का एडमिशन नहीं कराना चाह रहे हैं। दूसरा सवाल यह है कि प्रशासन इन शिक्षकों को इस सत्र में कहा एडजस्ट करेगा, जिससे इनकी उपयोगिता साबित हो सके। इसी तरह से 11 से 20 एडमिशन वाले 444 प्राथमिक विद्यालय हैं।
ऐसा रहा सतना का रिजल्ट संयुक्त संचालक रीवा अंजनी त्रिपाठी ने बताया कि इस वर्ष कक्षा दसवीं का प्रदेश का रिजल्ट 61.3 फीसदी रहा। रीवा संभाग का औसत रिजल्ट 49.54 फीसदी रहा और सतना का इससे भी नीचे 45.61 फीसदी। गत वर्ष के परिणामों की तुलना करें तो प्रदेश का रिजल्ट 5 फीसदी कम हुआ, रीवा संभाग का 8 फीसदी कम हुआ और सतना जिले का 15 फीसदी कम हुआ। गत वर्ष सतना में 30 फीसदी से कम परिणाम वाले विद्यालयों की संख्या 15 थी जो इस वर्ष चार गुना बढ़ कर 60 पहुंच गई। गत वर्ष 100 फीसदी रिजल्ट देने वाले विद्यालयों की संख्या 3 थी लेकिन इस साल एक भी नहीं है। 90 फीसदी से उपर परिणाम देने वाले विद्यालयों की संख्या 15 थी जो इस वर्ष महज 2 रही। यह बता रहा कि संकट की स्थिति आ गई है। अब अगर कार्य नहीं करेंगे तो कल्याण नहीं होगा। कलेक्टर अपनी ओर से भवनों की व्यवस्था दुरुस्त करवा दिए हैं लेकिन परिणाम भवन से ज्यादा शिक्षण से सुधरता है जो शिक्षकों की जिम्मेदारी है। देखने में आ रहा कि लैब की खानापूर्ति होती है, विद्यार्थियों को प्रेक्टिकल का ज्ञान नहीं है। यह सब सुधारना होगा।
तीन प्राचार्यों का सम्मान
संभागायुक्त ने जिले में बेहतर परीक्षा परिणाम लाने वाले तीन प्राचार्यों को शाल एवं श्रीफ ल से सम्मानित किया। इस दौरान कहा कि जब ये सम्मानित प्राचार्य कम संसाधनों के बावजूद अच्छे परीक्षा परिणाम ला सकते हैं, तो अन्य स्कूलों के प्राचार्य इस तरह के परीक्षा परिणाम क्यों नहीं ला सकते? इस बार चाहूंगा कि हर प्राचार्य सम्मानित होने की स्थिति में रहे।
तीन प्राचार्यों का सम्मान
संभागायुक्त ने जिले में बेहतर परीक्षा परिणाम लाने वाले तीन प्राचार्यों को शाल एवं श्रीफ ल से सम्मानित किया। इस दौरान कहा कि जब ये सम्मानित प्राचार्य कम संसाधनों के बावजूद अच्छे परीक्षा परिणाम ला सकते हैं, तो अन्य स्कूलों के प्राचार्य इस तरह के परीक्षा परिणाम क्यों नहीं ला सकते? इस बार चाहूंगा कि हर प्राचार्य सम्मानित होने की स्थिति में रहे।