तब और अब में कोई अंतर नहीं दिखा
पत्रिका टीम ने गत 11 सितंबर को डीईओ ऑफिस का स्कैन किया था। तब भी यहां दो ही लिपिक मौके पर मौजूद मिले थे। विभगीय अमले की लापरवाही सामने लाने पर जिला शिक्षा अधिकारी टीपी सिंह ने पत्रिका से चर्चा के दौरान व्यवस्था में कसावट लाने की बात कही थी, लेकिन महीनेभर बाद भी वही हालात हैं। आज भी कर्मचारी यहां मनमाने तरीके से आते-जाते।
पत्रिका टीम ने गत 11 सितंबर को डीईओ ऑफिस का स्कैन किया था। तब भी यहां दो ही लिपिक मौके पर मौजूद मिले थे। विभगीय अमले की लापरवाही सामने लाने पर जिला शिक्षा अधिकारी टीपी सिंह ने पत्रिका से चर्चा के दौरान व्यवस्था में कसावट लाने की बात कही थी, लेकिन महीनेभर बाद भी वही हालात हैं। आज भी कर्मचारी यहां मनमाने तरीके से आते-जाते।
बचाव में तर्क
लेकिन लापरवाह अमले पर कार्रवाई करने की बजाय उनके बचाव में तर्क दिया जाता है। कहा जाता है कि कर्मचारियों को कई बार देर शाम तक भी रुकना पड़ता है, इसलिए सुबह आने में देर हो जाती है। लेकिन, कार्यालयीन समय पर जरूरी काम लेकर आने वाले लोगों की सुनवाई कौन करे, इसकी न तो विभागीय स्तर पर व्यवस्था की गई है न ही इस बात का कोई जवाब देने वाला है।
लेकिन लापरवाह अमले पर कार्रवाई करने की बजाय उनके बचाव में तर्क दिया जाता है। कहा जाता है कि कर्मचारियों को कई बार देर शाम तक भी रुकना पड़ता है, इसलिए सुबह आने में देर हो जाती है। लेकिन, कार्यालयीन समय पर जरूरी काम लेकर आने वाले लोगों की सुनवाई कौन करे, इसकी न तो विभागीय स्तर पर व्यवस्था की गई है न ही इस बात का कोई जवाब देने वाला है।
रमसा व डीपीसी कार्यालय में भी सन्नाटा
गुरुवार सुबह 11.15 बजे न सिर्फ डीईओ ऑफिस, बल्कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन (रमसा) व डीपीसी कार्यालय में भी सन्नाटा पसरा हुआ था। दोनों जगह महज एक-एक लिपिक उपस्थित मिले।
गुरुवार सुबह 11.15 बजे न सिर्फ डीईओ ऑफिस, बल्कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन (रमसा) व डीपीसी कार्यालय में भी सन्नाटा पसरा हुआ था। दोनों जगह महज एक-एक लिपिक उपस्थित मिले।