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हाल-ए-आंगनबाड़ी केंद्र: कार्यकर्ता और सहायिका गायब, बच्चों को दोपहर तक खाना तो दूर नाश्ता भी नहीं

locationसतनाPublished: Mar 10, 2019 04:26:42 pm

Submitted by:

suresh mishra

जिम्मेदारों की नाक के नीचे चल रही मनमानी

anganwadi kendra ki sthapna kyo ki gai thi anganwadi ke uddeshya

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सतना। दोपहर करीब 12.15 बजे थे। एकीकृत बाल विकास परियोजना शहरी क्रमांक-2 के अंतर्गत संचालित आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 1326/5 सेक्टर राजेंद्र नगर खाली पड़ा था। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पूनम मिश्रा और सहायिका ज्योति साकेत दोनों गायब थीं। पत्रिका टीम पहुंची तो किराए के कमरे में संचालित केंद्र के बाहर एक पेड़ के नीचे चार मासूम बैठे खेलते मिले। बच्चों से पूछा तो उन्होंने बताया कि कार्यकर्ता-सहायिकाकेंद्र का ताला खोलकर कहीं गई हैं।
उस दौरान बच्चों को नाश्ता तक नहीं दिया गया था। जबकि केंद्र में एक दर्जन से अधिक बच्चे दर्ज हैं। मौके पर मौजूद एक अन्य बच्ची ने बताया कि कार्यकर्ता गर्म बनियान भूल गई हैं, जिसे लेने घर गई हैं। बच्चों ने कहा कि कुछु देर खेलब फेरि घर चले जाब। कुछ ऐसा ही हाल जिलेभर में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों का है। ग्रामीण अंचल के केंद्रों में तो कभी-कभार कार्यकर्ता-सहायिका पहुंचती हैं।
589 केंद्रो में दरी-चटाई अनुपलब्ध बताई
महिला एवं बाल विकास की रिपोर्ट दावा कर रही कि जिले के 2442 आंगनबाड़ी केंद्रों में दरी, चटाई की उपलब्धता है। 2215 केंद्रों की सामग्री उपयोगी होने का दावा किया है। 589 केंद्रों में दरी, चटाई अनुपलब्ध बताई गई है। जबकि जिला मुख्यालय के केंद्रों में ही बच्चों को दरी,चटाई नसीब नहीं हो रही है।
दरी, चटाई का दावा, टाट-पट्टी भी नहीं
परियोजना शहरी क्रमांक-2 के अंतर्गत पुष्पराज कॉलोनी वार्ड क्रमांक 23 और 26 के लिए संचालित आंगनबाड़ी केंद्र में 12.30 बजे महज चार बच्चे मौजूद थे। किराए के जर्जर कमरे से संचालित केंद्र में कार्यकर्ता और सहायिका दोनों मौजूद थीं। बच्चे नन्हा-मुन्ना राही हूं, देश का सिपाही हूं, बोलो मेरे संग जय हिंद-हिंद गीत गा रहे थे। कमरे के चारों ओर कबाड़ और गंदगी फैली हुई थी। इससे बच्चों को आवाजाही में परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा था। इसके अलावा केंद्र में मासूमों के बैठने के लिए खिलौने तो दूर टाट-पट्टी तक नहीं थी। उन्हें खाद्यान्न सामग्री सप्लाई वाली बोरियों में बैठाया गया था।
जिला कार्यालय से दो किमी की दूरी में यह हाल
दोनों आंगनबाड़ी केंद्र ग्रामीण अंचल के नहीं बल्कि जिला मुख्यालय के हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग का जिला कार्यालय दोनों केंद्रों से महज दो से तीन किमी की दूरी पर है। इसके बाद भी केंद्र लापरवाही और अव्यवस्था के शिकार हैं। केंद्रों की यह हालत डीपीओ, सीडीपीओ, सुपरवाइजर सहित अन्य की निगरानी व्यवस्था को भी कटघरे में खड़ा करती है।
बच्चे ही नहीं आ रहे तो कौन खा रहा पोषक आहार
महिला एवं बाल विकास महकमे की रिपोर्ट दावा कर रही कि जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में 6 माह से 6 वर्ष तक के 2,18,823 बच्चे दर्ज हैं। इनमें 6 माह से 3 वर्ष के 1,02,488 और 3 से 6 वर्ष तक की आयु के 99,147 बच्चे केंद्रों में पोषाहार लाभार्थी हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब दोपहर तक बच्चों को भोजन तो दूर नाश्ता नहीं मिल रहा है, केंद्रों में बच्चों की उपस्थिति पचास फीसदी भी नहीं तो फिर पोषक आहार कौन खा रहा है?
हकीकत
– जिले में कुल परियोजनाएं 14
– जिले में कुल आंगनबाड़ी 3034
– जिले में कुल कार्यकर्ता 3001
– जिले में कुल सहायिका 2673
– किराए के भवन में संचालित केंद्र 1180
– सरकारी भवन में संचालित केंद्र 1833
– कच्चे मकान से संचालित 151
– आधे-पक्के मकान से संचालित 165
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