भोपाल में दर्ज हुई थीं 112 एफआईआर एनआईए के निर्देश पर एसटीएफ भोपाल ने सतना पहुंच कर इस पूरे फर्जीवाड़े की जांच करते हुए भोपाल में 112 अपराध कायम किए थे। अब इस मामले की विवेचना की जिम्मेदारी एसटीएफ जबलपुर को दी गई है। पूरे देश की सुर्खियां बन चुके शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़े का जिन्न अब एक बार फिर बोतल से बाहर निकल आया है।
शस्त्र शाखा के लिपिकों का था कारनामा शस्त्र शाखा के लिपिकों युगुल किशोर गर्ग, अभयराज सिंह, रामसजीवन कोल और राम भैया शर्मा ने व्यापक पैमाने पर अनियमितता करते हुए शस्त्र लाइसेंस धारकों को फायदा पहुंचाया था। मामले की एसटीएफ भोपाल की टीम सतना पहुंच कर लाइसेंसों की जांच की थी। जिसमें प्रारंभिक तौर पर गड़बड़ पाए गए 112 शस्त्र लाइसेंसों के आधार पर भोपाल में 112 अपराध पंजीबद्ध किये थे। अब इसकी विवेचना शुरू की जा रही है जिसके लिये एसटीएफ जबलपुर का दल सतना पहुंच चुका है।
लाइसेंस निलंबित करने डीएम को पत्र विवेचना से जुड़े एसटीएफ के सूत्रों ने बताया कि यह काफी लंबा काम है और एक-एक लाइसेंस के संबंध में विस्तृत पड़ताल की जाएगी और लाइसेंस धारकों के भी बयान लिए जाएंगे। जिन 112 शस्त्र लाइसेंसों में गड़बड़ी पाई गई है उनकी प्राथमिक जांच में पाया गया है कि इसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाइसेंस धारक भी शामिल हैं और उन्होंने इस फर्जीवाड़े का लाभ पाया है। ऐसे में विवेचना पूरी होने तक इन लोगों के लाइसेंस निलंबित किये जाने चाहिए। इस संबंध में डीएम सतना को लिखा गया है कि विवेचना पूरी होने तक इन सभी 112 लाइसेंस धारकों के लाइसेंस निलंबित किये जाएं।
नहीं रख सकेंगे शस्त्र एसटीएफ के जांच अधिकारी ने बताया कि लाइसेंस निलंबित होने के बाद लाइसेंस धारक अपने पास शस्त्र नहीं रख सकता है। लिहाजा उन्हें यह शस्त्र थानों में जमा कराने होंगे। इस संबंध में भी डीएम को कहा गया है कि इससे जुड़ी वैधानिक कार्यवाही करें।
विवेचना में लिए जाएंगे अधिकारी कर्मचारी के बयान बताया गया है कि लाइसेंस फर्जीवाड़े के जो 112 अपराध पंजीबद्ध किये गए हैं उसमें लाइसेंसों का सत्यापन विभिन्न अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा किया गया है। एसटीएफ अपनी विवेचना में उनके भी बयान लेगी। इस संबंध में शस्त्र शाखा से विस्तृत जानकारी चाही गई है। माना जा रहा है कि एसटीएफ जानना चाह रही है कि सत्यापन के वक्त लिपिकों की गड़बड़ियां क्यों नहीं पकड़ में आई? क्योंकि लिपिक के हर काम के बाद सत्यापन की व्यवस्था है और आखिर में लाइसेंस जारी करने के पहले अधिकारी इसका पूरा सत्यापन करता है। एसटीएफ को शंका है कि अधिकारी भी इस फर्जीवाड़े में शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा एसटीएफ शस्त्र धारकों के भी बयान पंजीबद्ध करेगी।