मिली जानकारी के अनुसार पिस्तौल और रिवाल्वर के लाइसेंस के लिये अनुशंसा प्रस्ताव कलेक्टर के हस्ताक्षर के बाद संभागायुक्त के पास जाते हैं। वहां की अनुशंसा उपरांत यह प्रस्ताव शासन को जाता है। लेकिन सतना कलेक्टर के हस्ताक्षर के बाद संभागायुक्त कार्यालय तक अनुशंसा प्रस्ताव भेजने में बड़ा खेल किया जा रहा था। हालात यह रहे हैं कि कलेक्टर के हस्ताक्षर हो जाने के बाद भी प्रस्ताव संभागायुक्त को नहीं भेजे जाते थे। जब लेनदेन पूरा हो जाता था तब गुपचुप तरीके से इन्हें संभागायुक्त कार्यालय भेज दिया जाता था।
ऐसे पकड़ में आया मामला
मिली जानकारी के अनुसार अनिल शुक्ला पिता ईश्वरदीन शुक्ला निवासी महदेवा थाना सिविल लाइन ने आत्म रक्षार्थ पिस्टल रिवाल्वर के लाइसेंस के लिए आवेदन लगाया था। यह आवेदन एसपी और कलेक्टर द्वारा जून 2018 में ही हो गया था। तत्कालीन कलेक्टर मुकेश शुक्ला ने इसे जून 2018 में अनुशंसित करते हुए संभागायुक्त को भेजने की स्वीकृति दे दी थी। लेकिन यह प्रस्ताव एक साल तक शस्त्र शाखा में दबाए रखा गया। जून माह में जब अचानक इसकी नस्ती खोजी गई और यह प्रस्ताव बिना कलेक्टर सतेन्द्र सिंह की जानकारी में लाए 11 जून 2019 की तारीख डाल कर संभागायुक्त को भेज दिया गया।
मिली जानकारी के अनुसार अनिल शुक्ला पिता ईश्वरदीन शुक्ला निवासी महदेवा थाना सिविल लाइन ने आत्म रक्षार्थ पिस्टल रिवाल्वर के लाइसेंस के लिए आवेदन लगाया था। यह आवेदन एसपी और कलेक्टर द्वारा जून 2018 में ही हो गया था। तत्कालीन कलेक्टर मुकेश शुक्ला ने इसे जून 2018 में अनुशंसित करते हुए संभागायुक्त को भेजने की स्वीकृति दे दी थी। लेकिन यह प्रस्ताव एक साल तक शस्त्र शाखा में दबाए रखा गया। जून माह में जब अचानक इसकी नस्ती खोजी गई और यह प्रस्ताव बिना कलेक्टर सतेन्द्र सिंह की जानकारी में लाए 11 जून 2019 की तारीख डाल कर संभागायुक्त को भेज दिया गया।
अनुशंसा प्रस्ताव धोखाधड़ी करके भेजा गया संभागायुक्त कार्यालय ने जब प्रस्ताव का परीक्षण किया तो पाया कि प्रस्ताव 11 जून 2019 का है लेकिन इसमें हस्ताक्षर मुकेश शुक्ला के हैं। जबकि इस समय सतना कलेक्टर सतेन्द्र सिंह है। आनन फानन में मामले की जानकारी संभागायुक्त डॉ. अशोक भार्गव को दी गई। डॉ. भार्गव ने इसकी पुस्टि कलेक्टर सतेन्द्र सिंह से की। इसके बाद पूरे खेल का खुलासा हुआ। इसके बाद माना गया कि यह अनुशंसा प्रस्ताव धोखाधड़ी करके भेजा गया है जो शासकीय कार्य के प्रति घोर लापरवाही और स्वेच्छाचारिता है। मामले में संबधित प्रकरण की विस्तृत जांच करते हुए दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने कहा गया है।
इस तरह होता था खेल
जानकारों का कहना है कि शस्त्र शाखा में कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर से ज्यादा लिपिकों की चलती रही है। कलेक्टर भले ही कुछ आदेश करते रहें लेकिन उनका पालन लिपिकीय स्टाफ अपने अनुसार करता था। मसलन अगर रिवाल्वर पिस्टल लाइसेंस के लिये कलेक्टर ने अनुशंसा प्रस्ताव पर अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं तो यह प्रकरण नियमानुसार संभागायुक्त को नहीं भेजा जाता था। बल्कि इसे दबा कर रख लिया जाता था। इसके बाद संबंधित आवेदक के आने का इंतजार किया जाता था।
जानकारों का कहना है कि शस्त्र शाखा में कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर से ज्यादा लिपिकों की चलती रही है। कलेक्टर भले ही कुछ आदेश करते रहें लेकिन उनका पालन लिपिकीय स्टाफ अपने अनुसार करता था। मसलन अगर रिवाल्वर पिस्टल लाइसेंस के लिये कलेक्टर ने अनुशंसा प्रस्ताव पर अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं तो यह प्रकरण नियमानुसार संभागायुक्त को नहीं भेजा जाता था। बल्कि इसे दबा कर रख लिया जाता था। इसके बाद संबंधित आवेदक के आने का इंतजार किया जाता था।
शस्त्र शाखा के बिचौलिये अहम भूमिका निभाते थे इस काम में शस्त्र शाखा के बिचौलिये अहम भूमिका निभाते थे। इसके बाद लाइसेंस प्रकरण रीवा भेजने की सौदे बाजी की जाती थी। अगर सौदेबाजी नहीं बनी तो प्रस्ताव रोक लिये जाते थे। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ। जब आवेदक सक्रिय हुआ तब जाकर मामला संभागायुक्त के पास भेजा गया। जानकारों का कहना है कि इस खेल में संबंधित लिपिक सहित एक बिचौलिये की भूमिका संदिग्ध है। यह बिचौलिया कई फर्जीवाड़े में सक्रिय रह चुका है।
मामला गंभीर है। कलेक्टर को इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं। दोषियों पर कार्रवाई कर अवगत कराने कहा गया है।
डॉ.अशोक कुमार भार्गव, संभागायुक्त
डॉ.अशोक कुमार भार्गव, संभागायुक्त