हालांकि पूर्व में भी एसटीएफ जबलपुर सतना शस्त्र शाखा से फर्जीवाड़े से संबंधित दस्तावेज ले जा चुकी थी, लेकिन उस दौरान संबंधित लिपिकीय स्टाफ ने आधी अधूरी जानकारी एसटीएफ को दे कर मामले पर पर्दा डालने की कोशिश की थी। एसटीएफ को खेल समझ में आने के बाद अब दोबारा पहुंच कर जांच से जुड़े सभी दस्तावेज अब अपने कब्जे में लेने के साथ अब एक-एक प्रकरण की जांच शुरू कर दी है।
एसटीएफ टीम 2019 में शस्त्र लाइसेंस गड़बड़झाले की शिकायत के बाद सतना पहुंची थी। उस दौरान यहां पदस्थ लिपिकीय स्टाफ ने पहले यह कह कर एसटीएफ को बरगलाया था कि उच्च न्यायालय के आदेश पर जांच रोक दी गई थी। इसके साथ ही उच्च न्यायालय का एक आदेश देकर आधे अधूरे दस्तावेज देकर चलता कर दिया था। जबकि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद संभागायुक्त ने नई टीम गठित करते हुए पुन: जांच करवाई थी। जांच प्रतिवेदन पूरा कर तत्कालीन कलेक्टर को दिया गया था लेकिन तब से मामला ठंडे बस्ते में पड़ा था।
यह है मामला
सतना शस्त्र शाखा में लगभग 300 लाइसेंसों में व्यापक पैमाने पर गड़बड़झाला किया गया था। इसकी जांच में पाया गया था कि शस्त्र अनुज्ञप्ति की सीमा क्षेत्र में वृद्धि से संबंधित 92 प्रकरणों में नियम विरुद्ध 88, अतिरिक्त शस्त्र दर्ज करने के 55 में नियम विरुद्ध मिले 42, बिना एनओसी अन्य जगह स्वीकृत शस्त्र अनुज्ञप्तियों के 60 में नियम विरुद्ध 56, कारतूस की संख्या में वृद्धि के 60 में नियम विरुद्ध 56, निरस्तगी आदेश की शस्त्र अनुज्ञप्ति पंजी में प्रविष्टि के 2 में नियम विरुद्ध मिले 2 प्रकरण, अवधि वृद्धि की नस्ती पर बिना अनुमति पंजी में प्रविष्टि दर्ज करने के नियम विरुद्ध 5 प्रकरण, पंजी में शस्त्र क्रय उपरांत निरीक्षण नस्ती में टीप अंकित न होने के 10 में नियम विरुद्ध मिले 7, अनुज्ञप्तिधारी का संबंधित जिले में थाने निवास न करने के बाद भी थाना क्षेत्र से शस्त्र लाइसेंस जारी करने के 9 में नियम विरुद्ध मिले 8 की जानकारी थी। इसमें लिखा गया था कि कुल 297 शस्त्र लाइसेंसों में 267 लाइसेंस नियम विरुद्ध मिले थे। हालांकि इस जांच में दोषी पाए जा रहे लोगों के परिजन मामले को दबाने के लिए हाईकोर्ट तक गए और वहां से डायरेक्शन भी दिलवाने में सफल रहे लेकिन संभागायुक्त ने बाद में कोर्ट के डायरेक्शन के आधार पर नई टीम गठित की थी। इस टीम ने भी अपनी जांच में फर्जीवाड़ा पाया था। टीम ने अपना जांच प्रतिवेदन कलेक्टर को सौंप दिया था लेकिन तीन कलेक्टर बदलने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी थी।
सतना शस्त्र शाखा में लगभग 300 लाइसेंसों में व्यापक पैमाने पर गड़बड़झाला किया गया था। इसकी जांच में पाया गया था कि शस्त्र अनुज्ञप्ति की सीमा क्षेत्र में वृद्धि से संबंधित 92 प्रकरणों में नियम विरुद्ध 88, अतिरिक्त शस्त्र दर्ज करने के 55 में नियम विरुद्ध मिले 42, बिना एनओसी अन्य जगह स्वीकृत शस्त्र अनुज्ञप्तियों के 60 में नियम विरुद्ध 56, कारतूस की संख्या में वृद्धि के 60 में नियम विरुद्ध 56, निरस्तगी आदेश की शस्त्र अनुज्ञप्ति पंजी में प्रविष्टि के 2 में नियम विरुद्ध मिले 2 प्रकरण, अवधि वृद्धि की नस्ती पर बिना अनुमति पंजी में प्रविष्टि दर्ज करने के नियम विरुद्ध 5 प्रकरण, पंजी में शस्त्र क्रय उपरांत निरीक्षण नस्ती में टीप अंकित न होने के 10 में नियम विरुद्ध मिले 7, अनुज्ञप्तिधारी का संबंधित जिले में थाने निवास न करने के बाद भी थाना क्षेत्र से शस्त्र लाइसेंस जारी करने के 9 में नियम विरुद्ध मिले 8 की जानकारी थी। इसमें लिखा गया था कि कुल 297 शस्त्र लाइसेंसों में 267 लाइसेंस नियम विरुद्ध मिले थे। हालांकि इस जांच में दोषी पाए जा रहे लोगों के परिजन मामले को दबाने के लिए हाईकोर्ट तक गए और वहां से डायरेक्शन भी दिलवाने में सफल रहे लेकिन संभागायुक्त ने बाद में कोर्ट के डायरेक्शन के आधार पर नई टीम गठित की थी। इस टीम ने भी अपनी जांच में फर्जीवाड़ा पाया था। टीम ने अपना जांच प्रतिवेदन कलेक्टर को सौंप दिया था लेकिन तीन कलेक्टर बदलने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी थी।
एक-एक प्रकरण का अध्ययन कर रही टीम
राजधानी से मिली जानकारी के अनुसार एसटीएफ ने जब सतना शस्त्र शाखा से दोबारा मिले लाइसेंसों के गड़बड़झाले का अध्ययन किया उसे मामले की गंभीरता समझ में आ गई। स्थिति को देखते हुए अब एसटीएफ ने सतना पहुंच कर दोबारा एक-एक प्रकरण का परीक्षण करने का निर्णय लिया और एक टीम गठित कर सतना भेज दिया गया है। यह टीम सतना पहुंच गई है और अब गड़बड़ी वाले प्रकरणों को एक-एक करके अध्ययन कर रही है। इस जांच के बाद अब हड़कम्प की स्थिति बन गई है।
राजधानी से मिली जानकारी के अनुसार एसटीएफ ने जब सतना शस्त्र शाखा से दोबारा मिले लाइसेंसों के गड़बड़झाले का अध्ययन किया उसे मामले की गंभीरता समझ में आ गई। स्थिति को देखते हुए अब एसटीएफ ने सतना पहुंच कर दोबारा एक-एक प्रकरण का परीक्षण करने का निर्णय लिया और एक टीम गठित कर सतना भेज दिया गया है। यह टीम सतना पहुंच गई है और अब गड़बड़ी वाले प्रकरणों को एक-एक करके अध्ययन कर रही है। इस जांच के बाद अब हड़कम्प की स्थिति बन गई है।
शिकायत में याचिकाकर्ता का नाम
इस पूरे शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़े में ज्यादातर गड़बडिय़ां एक ही लिपिक के कार्यकाल की हैं। इस मामले में एनआईए को हुई शिकायत में संबंधित शस्त्र शाखा लिपिक और याचिकाकर्ता के नाम का भी उल्लेख है। चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि फर्जीवाड़े की दोनों जांचों में याचिकाकर्ता का भी शस्त्र लाइसेंस नियम विरुद्ध पाया गया। पहली जांच में 59 नंबर पर याचिकाकर्ता के शस्त्र को नियम विरुद्ध तरीके से क्षेत्र वृद्धि मप्र से बढ़ाकर उप्र, महाराष्ट्र के लिए 26/12/11 को किया गया, जबकि क्षेत्र वृद्धि का अधिकार मप्र से बाहर राज्य शासन को है। इसी प्रकार कारतूस संख्या 20-50 दर्ज की गई, जिसके लिए आवेदक पात्र नहीं था।
इस पूरे शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़े में ज्यादातर गड़बडिय़ां एक ही लिपिक के कार्यकाल की हैं। इस मामले में एनआईए को हुई शिकायत में संबंधित शस्त्र शाखा लिपिक और याचिकाकर्ता के नाम का भी उल्लेख है। चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि फर्जीवाड़े की दोनों जांचों में याचिकाकर्ता का भी शस्त्र लाइसेंस नियम विरुद्ध पाया गया। पहली जांच में 59 नंबर पर याचिकाकर्ता के शस्त्र को नियम विरुद्ध तरीके से क्षेत्र वृद्धि मप्र से बढ़ाकर उप्र, महाराष्ट्र के लिए 26/12/11 को किया गया, जबकि क्षेत्र वृद्धि का अधिकार मप्र से बाहर राज्य शासन को है। इसी प्रकार कारतूस संख्या 20-50 दर्ज की गई, जिसके लिए आवेदक पात्र नहीं था।
सामने आई एसटीएफ
जांच टीम के प्रतिवेदन के बाद भी जब कलेक्टर स्तर पर कोई निर्णय नहीं हुआ तो फिर इसकी शिकायत एनआईए से की गई। इसके बाद मामला भोपाल एसटीएफ को जांच के लिए सौंपा गया। भोपाल एसटीएफ ने मामले को जबलपुर एसटीएफ को सौंपा। इसके बाद जबलपुर एसटीएफ ने सतना पहुंच कर मामले से जुड़े दस्तावेज तलब किए थे। तब उन्हें आधे अधूरे दस्तावेज देकर चलता कर दिया गया था। लेकिन एसटीएफ भोपाल को जब मामले की हकीकत पता चली तो उसने शनिवार को सतना शस्त्र शाखा में दबिश दी।
जांच टीम के प्रतिवेदन के बाद भी जब कलेक्टर स्तर पर कोई निर्णय नहीं हुआ तो फिर इसकी शिकायत एनआईए से की गई। इसके बाद मामला भोपाल एसटीएफ को जांच के लिए सौंपा गया। भोपाल एसटीएफ ने मामले को जबलपुर एसटीएफ को सौंपा। इसके बाद जबलपुर एसटीएफ ने सतना पहुंच कर मामले से जुड़े दस्तावेज तलब किए थे। तब उन्हें आधे अधूरे दस्तावेज देकर चलता कर दिया गया था। लेकिन एसटीएफ भोपाल को जब मामले की हकीकत पता चली तो उसने शनिवार को सतना शस्त्र शाखा में दबिश दी।
ले गए थे दस्तावेज
एसटीएफ के एसआई और एएसआई की दो सदस्यीय टीम जब इस बार शनिवार को सतना पहुंची तो उसने पिन प्वाइंट जानकारी चाही। इस पर टीम बताया गया गया कि कोर्ट से कोई जांच नहीं रुकी थी बल्कि बाद में फिर जांच हुई है। इसमें 270 के लगभग लाइसेंसों में गड़बड़ी मिली है। इसके बाद जिन लाइसेंसों में गड़बड़ी मिली थी उनकी जांच रिपोर्ट से जुड़े दस्तावेज एसटीएफ ले कर वापस चली गई थी। साथ ही फर्जीवाड़े में दोषी मिले जिन लाइसेंसों का नवीनीकरण किया गया है उसकी भी जानकारी एसटीएफ ने ली थी साथ ही नवीनीकरण में गड़बड़झाले वाले लाइसेंस जिन्हें बाद में निरस्त किया गया वह जानकारी भी एसटीएफ ले गई थी।
एसटीएफ के एसआई और एएसआई की दो सदस्यीय टीम जब इस बार शनिवार को सतना पहुंची तो उसने पिन प्वाइंट जानकारी चाही। इस पर टीम बताया गया गया कि कोर्ट से कोई जांच नहीं रुकी थी बल्कि बाद में फिर जांच हुई है। इसमें 270 के लगभग लाइसेंसों में गड़बड़ी मिली है। इसके बाद जिन लाइसेंसों में गड़बड़ी मिली थी उनकी जांच रिपोर्ट से जुड़े दस्तावेज एसटीएफ ले कर वापस चली गई थी। साथ ही फर्जीवाड़े में दोषी मिले जिन लाइसेंसों का नवीनीकरण किया गया है उसकी भी जानकारी एसटीएफ ने ली थी साथ ही नवीनीकरण में गड़बड़झाले वाले लाइसेंस जिन्हें बाद में निरस्त किया गया वह जानकारी भी एसटीएफ ले गई थी।
भौचक रही एसटीएफ…
इस बार शस्त्र शाखा में मिले दस्तावेजों को देख कर एसटीएफ भौचक रही। कहा कि पहले सारी जानकारियां छुपाई गई हैं। अगर ये दस्तावेज मिल गए होते तो अब तक पूरा रिजल्ट आ जाता। इस दौरान टीम ने कलेक्टर से भी मुलाकात की। जिस पर कलेक्टर ने भी एसटीएफ को ब्रीफ किया और कहा कि मामले को आप पूरी गंभीरता से देखें। जो भी दोषी हो उन पर कार्रवाई करें।
इस बार शस्त्र शाखा में मिले दस्तावेजों को देख कर एसटीएफ भौचक रही। कहा कि पहले सारी जानकारियां छुपाई गई हैं। अगर ये दस्तावेज मिल गए होते तो अब तक पूरा रिजल्ट आ जाता। इस दौरान टीम ने कलेक्टर से भी मुलाकात की। जिस पर कलेक्टर ने भी एसटीएफ को ब्रीफ किया और कहा कि मामले को आप पूरी गंभीरता से देखें। जो भी दोषी हो उन पर कार्रवाई करें।