10 साल में घट गई औसत जोत लेकिन गेहूं-धान का बोनी रकवा बढ़ा
कृषि संगणना से हुआ खुलासा कि मध्यप्रदेश की औसत जोत से कम है सतना जिले की जोत। यहां किसानों की संख्या में हुआ इजाफा तो खेतों में बंटवारे की वजह से घटी औसत जोत

सतना. भूमि का उपयोग, फसल पद्धति, सिंचाई की स्थिति, किरायेदारी, पट्टे पर देने और जोत की जानाकारी के लिए हर 5 साल में कृषि संगणना की जाती है। फिर इसके आंकड़ों के आधार पर कृषि और किसानों से संबंधी नीति तय की जाती है। इसकी सबसे प्रमुख ईकाई होती है परिचालन जोत। अर्थात किसान कितने रकवे में खेती करता है। सतना जिले की कृषि संगणना को अगर देखे तो दस सालों में किसानों की औसत जोत घटी है। इतना ही नहीं सतना जिले की औसत जोत मध्यप्रदेश की औसत जोत से कम है। लेकिन इससे इतर अच्छी बात यह है कि जिले में धान-गेहूं की बोनी का रकवा बढ़ा है। यह भी जानकारी सामने आई है कि खेती करने वालों की संख्या इस अवधि में घटी नहीं बल्कि बढ़ी है और यह बढ़ी संख्या औसत जोत के आंकड़ों को नीचे लेकर आई है।
29 हजार जोत बढ़ गई दस सालों में
मिली जानकारी के अनुसार 2005-2006 में जिले में कृषि जोतों (खेतों) की संख्या 2,73,543 थी। लेकिन कृषि संगणना 2015-16 में कृषि जोतों की संख्या जिले में बढ़ कर 3,03,539 हो गई। अर्थात 10 साल में 29,996 जोत बढे। इसे सामान्य भाषा में समझा जाए तो 10 साल में सतना जिले में खेतों की संख्या में 29 हजार की बढ़ोत्तरी हुई। इसके प्रमुख कारण जो सामने आए हैं उसमें खेतों का बंटवारा और रिक्त या पड़ती जमीन में खेती शुरू करना शामिल है। खेतो के बंटवारे के कारण किसानों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है। इसका नतीजा यह हुआ कि जिले की औसत जोत घट गई। 2005-06 मे प्रति जोतदार औसत भूमि 1.31 हैक्टेयर थी। लेकिन 2015-16 में यह औसत घटकर 1.13 में पहुंच गया। अर्थात प्रति किसान के पास मौजूद खेत के रकवे का औसत घट गया। यह आंकड़ा प्रदेश के लिहाज से कमजोर है। प्रदेश की प्रति जोतदार औसत भूमि 1.57 है जो जिले के औसत से 0.26 हैक्टेयर कम है। देश का औसत 1.08 हैक्टेयर है।
ज्वार को छोड़ अन्य प्रमुख फसलों का बोनी रकवा बढ़ा
अगर 2018-19 से आज के स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन करें तो ज्वार इकलौती फसल है जिसका बोनी का रकवा घटा है। शेष अन्य प्रमुख फसलों का बोनी रकवा बढ़ा है। 2018-19 से वर्तमान में कुल खाद्यान्न के क्षेत्रफल में 13 फीसदी की वृद्धि हुई है। लेकिन चौंकाने वाला आंकड़ा ये हैं कि तिलहन का क्षेत्रफल 80 फीसदी घटा है। लेकिन बोनी के रकवे की स्थिति देखें तो 2018-19 से धान के रकवे में हाल के वर्ष में 15 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है। चना की बोनी का रकवा 30 फीसदी बढ़ा है। मक्का की बोनी का रकवा 29 फीसदी और गेहूं की बोनी का रकवा 16 फीसदी बढा है। लेकिन ज्वार का रकवा 27 फीसदी घटा है।
धान की खेती फायदेमंद
आंकड़ों को अगर देखे तो जिले में किसानों के लिए धान की खेती फायदेमंद है। जिले के औसत उत्पादन की स्थिति को देखें तो 2018-19 की तुलना में हालिया वर्ष में धान का औसत उत्पादन प्रति हेक्टेयर में रिकार्ड 26 फीसदी बढ़ा है। वहीं चना का उत्पादन 5 फीसदी, ज्वार का 5 फीसदी, मक्का का 20 फीसदी और गेहूं का प्रति हैक्टेयर औसत उत्पादन 11 फीसदी बढ़ा है। इस लिहाज से सबसे ज्यादा फायदा जिले में धान की खेती करने वाले किसानों को मिला है।
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