कोशिश थी कि बाहरी तौर पर समझौता हो जाए। लेकिन कुछ देर तक बात नहीं बनी। बाबा की लग्जरी कार के नुकसान के एवज में जो कुछ मिल रहा था वह संतों केा नाकाफी नजर आया। एेसे में बात बढ़ती गई। काफी देर होने के बाद मुख्य संत भड़के तो गाड़ी से उतर कर पुलिस थाने की बेंच में उन्होंने आसन जमा लिया।
फिर कहासुनी का दौर चला और पुलिस बीच बीच आकर मामाला शांत कराने में जुटी रही। इस तरह करीब आधे घंटे तक थाने के अंदर हाइवोल्टेज ड्रामा चलता रहा। इन सब के बीच पुलिस अपना माथा पीटती रही।
वहीं से लगाया फोन चेलों से जब बात नहीं बनी तो कार में बैठे मुख्य संत उतरे और थाने की बेंच पर आसन जमा लिया। उन्होंने कई परिचितों को फोन लगाय। पुलिस एफआइआर दर्ज करने के लिए तैयार खड़ी थी। लेकिन मामला कायम करने से ज्यादा इस बात पर जोर था कि क्षतिग्रस्त वाहन सुधरवाया जाए।
मुख्य संत के साथ रहे उनके शिष्य आक्रोशित हो रहे थे। वह राष्ट्रपति तक अपनी पहुंच बताते रहे। थाने में मौजूद रहे पुलिस अफसरों से फोन पर ही कई आला अफसरों की बात भी कराई गई। बाद में किसी तरह दोनों पक्षों में सहमति बनी और मामला शांत हो गया।
यह है मामला चित्रकूट से आए संत रीवा रोड पर लग्जरी कार से जा रहे थे। तभी विद्युत कंपनी के वाहन एमपी १९ जीए ३३९२ के चालक ने कार में टक्कर मार दी। नई कार में टक्कर लगने से कार सवार नाराज हो गए और गाड़ी सुधरवाने की बात करने लगे।
ट्रांसफॉर्मर लदे विद्युत कंपनी के वाहन चालक ने अपने अफसरों को सूचना दी। जब एक अफसर आए तो गाड़ी सुधरवाने की बात हुई। लेकिन वह जो रकम दे रहे थे उसमें सुधार संभव नहीं था। काफी देर तक बहस हुई और फिर बात बढ़ गई।