script80 लाख गायब होने के बाद हरकत में आया बैंक प्रबंधन | Bank management came into action after missing 80 lakhs | Patrika News

80 लाख गायब होने के बाद हरकत में आया बैंक प्रबंधन

locationसतनाPublished: Nov 24, 2020 11:40:24 pm

Submitted by:

Dhirendra Gupta

उप्र पुलिस कर रही गायब कर्मचारियों की तलाश, अग्रणी बैंक प्रबंधक जारी कर रहे सर्कुलर

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सतना. बैंक एटीएम में लोड की जाने वाली लाखों रुपए की रकम गायब होने का खुलासा होने के बाद सतना जिले में बैंक प्रशासन सतर्क हो गया है। सतना जिले में कुल 185 एटीएम हैं। एटीएम की सुरक्षा व कैश लोडिंग के संबंध में सभी शाखा प्रबंधकों को एक सर्कुलर जारी किया जा रहा है। इस संबंध में जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक पीसी वर्मा ने बताया कि यह सर्कुलर एहतियात बरतने से संबंधित है, जिसकी विषय वस्तु गोपनीय है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि कैश लोड करने की जिम्मेदारी भले ही एजेंसी की है लेकिन सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है कि संबंधित बैंक प्रबंधक जो कि एजेंसी को रकम जारी करते हैं वह आकस्मिक तौर पर एटीएम स्टेटमेंट की जांच करते रहें। अचानक जांच में आमद और निकासी का लेखा-जोखा मिलान करते रहने से गड़बड़ी की संभावना कम रहती है और अगर कोई गड़बड़ी होती है तो वह फौरन निगाह में आ जाती है।
एेसे करते हें रकम लोड
जानकार बताते हैं कि एटीएम में कैश लोड करने के लिए बैंक किसी प्राइवेट एजेंसी को हायर करती है। इस एजेंसी का काम बैंक के एटीएम में कैश लोड करना होता है। कैश की सेंट्रलाइज रिक्वेस्ट प्राप्त होने पर एजेंसी उसे बैंक हब को देती है तब बैंक दस्तावेजों की जांच कर एजेंसी को रकम रिलीज करता है। इसकी रिसीविंग एजेंसी द्वारा बैंक को दी जाती है। इसी रकम को एजेंसी अपने कर्मचारियों के माध्यम से बैंक के एटीएम में लोड करवाती है। रकम संबंधित सभी जवाबदेही एजेंसी की होती है इसीलिए इस काम में जिन्हें लगाया जाता है उनका आईडी प्रूफ, केवाइसी, बैंक डिटेल एजेंसी के पास होना चाहिए। इन कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन कराना भी जरूरी होता है। जांच में पता चलेगा कि प्रदीप पाण्डेय और विकास सिंह को नौकरी पर रखने के पहले इनका पुलिस वेरिफिकेशन कराया गया था या नहीं?
सवालों में उलझा रकम का गबन
उल्लेखनीय है कि उप्र के कर्वी क्षेत्र के अलग-अलग एटीएम में रकम कम पाए जाने के इस मामले में प्रदीप पाण्डेय पुत्र राम सुमेर पाण्डेय निवासी खरियोना पोस्ट मरूई गणेशपुर थाना कुमारगंज फैजाबाद अयोध्या एवं विकास सिंह पुत्र चंद्रभान सिंह निवासी ईडब्ल्यूएस 474 जरौली फेस-2 थाना बर्रा कानपुर नगर उप्र के खिलाफ कंपनी ने पुलिस के पास शिकायत की है। रकम गायब होने के पीछे इन दोनों कर्मचारियों का हाथ होने की संभावना जताई गई है। कंपनी के अधिकारी तो इन पर रकम लेकर भाग जाने का आरोप लगा रहे हैं लेकिन मामला जांच योग्य है और जांच के बाद ही पता चलेगा कि किसका कितना और क्या कसूर है? फिलहाल तो शुरुआती दौर में यहां कुछ अहम सवाल हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि विकास सिंह ने 18 नवंबर को ब्रांच ऑफिस में फोन कर बताया था कि 17 नवंबर की शाम प्रदीप उसकी पत्नी अर्चना सिंह को एक बैग देकर गया है जिसमें दो लाख रुपए हैं। विकास सिंह की ओर से प्रदीप द्वारा गड़बड़ी किए जाने की संभावना जताई गई थी। अगर यह सही है तो कंपनी के अधिकारियों ने 18 नवंबर को ही पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी थी? अगर गड़बड़ी की आशंका थी तो कैश की ऑडिट 18 और 19 नवंबर को क्यों नहीं की गई? क्या कारण है कि कार्यवाही के लिए पुलिस अधीक्षक कर्वी चित्रकूट को कंपनी के ब्रांच मैनेजर ने 22 नवंबर को शिकायती पत्र दिया? अगर कथित रकम चोरी में प्रदीप के साथ विकास सिंह शामिल है तो उसने ब्रांच ऑफिस में फोन करके गड़बड़ी की संभावना क्यों जताई थी? अगर विकास सिंह इस पूरे मामले में संदेही या आरोपी नहीं है तो वह कहां है? क्या उसे कोई खतरा है? एक सवाल यह है कि क्या बैंक और कंपनी के अधिकारी नियमित रूप से एटीएम की ऑडिट नहीं कर रहे थे?
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