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बरगी बांध का मुद्दा गर्म, विंध्य की धरती पर नर्मदा जल लाने को हर लड़ाई का संकल्प

locationसतनाPublished: Jan 21, 2021 05:22:52 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-पूर्व विधायक रामप्रताप के आह्वान पर जुटे किसान-4 दशक से लटका है यह मामला-2024 तक नहीं पूरा हुआ प्रोजेक्ट तो नर्मदा जल चला जाएगा गुजरात

पूर्व विधायक रामप्रताप सिंह

पूर्व विधायक रामप्रताप सिंह

सतना. विंध्य में एक बार फिर बरगी बांध का मुद्दा गर्म हो गया है। इस मुद्दे को लेकर पूर्व विधायक रामप्रताप सिंह आगे आए और शहर में महापंचायत बुलाई गई। इस महापंचायत में बड़ी तादाद में किसान पहुंचे। वैसे तो इस महापंचायत में विंध्य के हर दल के बड़े निर्वाचित जनप्रनिधियों और पूर्व जनप्रनिधियों को आमंत्रित किया गया लेकिन सत्ताधारी और प्रमुख विपक्षी दल की ओर से कोई बड़ा नेता इसमें शामिल नहीं हुआ। बावजूद इसके किसानों ने मिल कर नर्मदा जल विंध्य की धरती पर लाने की हर लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया।
बरगी बांध निर्माण को महापंचायत
इस महापंचायत में बरगी को केंद्रीय प्रोजेक्ट में शामिल कराने और कोरोना काल की वजह से नर्मदा ट्रिब्यूनल के फैसले को 2024 से बढ़ाकर 2028 तक करने में का संकल्प पारित हुया। नागौद विधानसभा के पूर्व विधायक रामप्रताप सिंह ने बरगी संघर्ष समित बनाकर बरगी जल मंदाकिनी में मिलाने की शपथ खा कर बुधवार को बरगी के मुद्दे पर महापंचायत बुलाई।
बता दें कि सतना जिले की जीवन रेखा मानी जाने वाली बरगी दायीं तट नहर का निर्माण अधर में लटका है। कटनी जिले के स्लीमनाबाद के पास नहर का काम रुका पड़ा है। ऐसे में टनल प्रोजेक्ट तय समय मे सफल न होने की आशंका है। प्रदेश सरकार अब ओपन चैनल बनाकर पानी लिफ्ट करने का प्लान बना रही जो बरगी संघर्ष समिति को स्वीकार्य नही है। इसके लिए विरोध किया जा रहा है।
बरगी नहर की शुरुआती लड़ाई लड़ने वाले पूर्व विधायक रामप्रताप सिंह ने विंध्य में बरगी नहर से नर्मदा जल लाने की मुहिम शुरू की है। पिछले 40 सालों से बरगी नहर का निर्माण चल रहा मगर पूरा नही हुआ। शर्तों के मुताबिक 2024 तक जल का उपयोग प्रदेश सरकार नहीं कर पाई तो नर्मदा जल गुजरात के हिस्से में चला जाएगा। ऐसे में अब बरगी नहर को लेकर विंध्य के किसान आंदोलन शुरू कर चुके हैं। इस महापंचायत में जिले भर से पांच हजार किसान, मजदूर और ग्रामीण हिस्सा लेने पहुंचे। महापंचायत सर्वदलीय थी जिसमें कुछ कांग्रेस नेताओं को छोड़ किसी भी राजनीतिक दल के पदाधिकारी शामिल नहीं हुए।

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