इस मामले को लेकर वार्ड 24 के पार्षद प्रसेनजीत सिंह ने निगम अधिकारियों को मौके पर बुलाकर चर्चा की। लेकिन निगम के अधिकारी उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। इस दौरान प्रसेनजीत ने यह भी आरोप लगाया है कि पिछली बाढ़ के दौरान इलाहाबाद से आई एनडीआरएफ की टीम ने इस नाले का सर्वे का कर नाले का वृहद प्लान जिला प्रशासन, निगम प्रशासन और होमगार्ड को सौंपा था। लेकिन जिस तरीके से यह नाला बनाया जा रहा है उसमें इस प्लान की भी अनदेखी की गई है।
ये है मामला
पार्षद प्रसेनजीत ने बताया कि वर्तमान में भरहुत नाला जिस चौड़ाई में उसकी प्राकृतिक चौड़ाई को दरकिनार कर महज २५ फीट की चौड़ाई पर नाले की दीवार खड़ी की जा रही है। इससे जहां पानी का प्राकृतिक प्रवाह का स्थल कम होगा वहीं ग्रीन बेल्ट और पाथवे की जगह छोड़ी जा रही है। उसके बाद भी काफी स्थल बच रहा है जो अतिक्रमण की चपेट में आ जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि भरहुत नगर से आगे रीवा रोड तक तो नाले की चौड़ाई 25 फीट ठीक रहेगी। इसके बाद यह नाला बस स्टैंड वाले नाले से मिल जाता है। इसी में सिंधी कैम्प तक का पानी आता है। साथ ही सर्किट हाउस वाले नाले से मुख्त्यारगंज का पानी भी इसी में मिलता है लिहाजा चौड़ाई बढ़ानी होगी। आगे जाने पर जीवन ज्योति कालोनी का पानी इस नाले में समाता है तो रेलवे लाइन से लेकर पालिका बाजार और पुष्पराज कालोनी का पानी भी नाले के माध्यम से यहां मिलता है।
पार्षद प्रसेनजीत ने बताया कि वर्तमान में भरहुत नाला जिस चौड़ाई में उसकी प्राकृतिक चौड़ाई को दरकिनार कर महज २५ फीट की चौड़ाई पर नाले की दीवार खड़ी की जा रही है। इससे जहां पानी का प्राकृतिक प्रवाह का स्थल कम होगा वहीं ग्रीन बेल्ट और पाथवे की जगह छोड़ी जा रही है। उसके बाद भी काफी स्थल बच रहा है जो अतिक्रमण की चपेट में आ जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि भरहुत नगर से आगे रीवा रोड तक तो नाले की चौड़ाई 25 फीट ठीक रहेगी। इसके बाद यह नाला बस स्टैंड वाले नाले से मिल जाता है। इसी में सिंधी कैम्प तक का पानी आता है। साथ ही सर्किट हाउस वाले नाले से मुख्त्यारगंज का पानी भी इसी में मिलता है लिहाजा चौड़ाई बढ़ानी होगी। आगे जाने पर जीवन ज्योति कालोनी का पानी इस नाले में समाता है तो रेलवे लाइन से लेकर पालिका बाजार और पुष्पराज कालोनी का पानी भी नाले के माध्यम से यहां मिलता है।
व्यापक रूप में होता है जल भराव
जवान सिंह कालोनी से तो पीछे कई वर्ग किलोमीटर का पानी इस नाले में आता है। लिहाजा यहां चौड़ाई कम कर दी गई तो यहां पानी निकासी नहीं हो सकेगी और व्यापक जल भराव रिहाइशी इलाकों में होगा। यहां नाले की प्राकृतिक चौड़ाई देख कर अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां पानी का दबाव कितना होता है। इसके बाद भी पानी नहीं निकल पाता है। ऐसे में बाढ़ की स्थितियों के मद्देनजर बारिश में नाले के प्राकृतिक बहाव का ध्यान रखते हुए नाले की चौड़ाई तय करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में संबंधित इंजीनियर आरपी सिंह को मौके पर स्थितियां भी बताई गई लेकिन उनके द्वारा कहा गया कि चौड़ाई यही रहेगी। ऐसे में यह तय है कि बारिश का पानी यह नाला नहीं निकाल सकेगा। उन्होंने कहा कि निगम अपने प्लान पर पुनर्विचार करे अन्यथा स्थानीय जन इस काम को रोकेंगे।
जवान सिंह कालोनी से तो पीछे कई वर्ग किलोमीटर का पानी इस नाले में आता है। लिहाजा यहां चौड़ाई कम कर दी गई तो यहां पानी निकासी नहीं हो सकेगी और व्यापक जल भराव रिहाइशी इलाकों में होगा। यहां नाले की प्राकृतिक चौड़ाई देख कर अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां पानी का दबाव कितना होता है। इसके बाद भी पानी नहीं निकल पाता है। ऐसे में बाढ़ की स्थितियों के मद्देनजर बारिश में नाले के प्राकृतिक बहाव का ध्यान रखते हुए नाले की चौड़ाई तय करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में संबंधित इंजीनियर आरपी सिंह को मौके पर स्थितियां भी बताई गई लेकिन उनके द्वारा कहा गया कि चौड़ाई यही रहेगी। ऐसे में यह तय है कि बारिश का पानी यह नाला नहीं निकाल सकेगा। उन्होंने कहा कि निगम अपने प्लान पर पुनर्विचार करे अन्यथा स्थानीय जन इस काम को रोकेंगे।
एनडीआरएफ के प्लान की अनदेखी
पार्षद प्रसेनजीत ने बताया कि पिछली बाढ़ में तत्कालीन कलेक्टर नरेश पाल ने इलाहाबाद की एनडीआरएफ द्वारा इन नालों का सर्वे कर विस्तृत प्लान तैयार करवाया था। इसमें दुर्घनाओं की आशंका के मद्देनजर नाले में होने वाले तेज बहाव की गति को नियंत्रित करने नाले की संरचना बताई गई थी। इसका भी पालन इसमें प्रोजेक्ट में नहीं किया गया है। यह जल निकासी का सामान्य नाला नहीं है बल्कि यह बरदाडीह के आगे के कैचमेंट का पानी लेकर चलने वाला प्राकृतिक नाला है। जिसमें बारिश के दिनों में अथाह पानी बहता है। ऐसे में निगम द्वारा अभी जो चौड़ाई दी जा रही है वह न केवल कम है बल्कि इसे जमीन कारोबारियों के हितों को देखते हुए भी तैयार किया जा रहा है। इससे अवैध कब्जा का मौका मिल सके।
पार्षद प्रसेनजीत ने बताया कि पिछली बाढ़ में तत्कालीन कलेक्टर नरेश पाल ने इलाहाबाद की एनडीआरएफ द्वारा इन नालों का सर्वे कर विस्तृत प्लान तैयार करवाया था। इसमें दुर्घनाओं की आशंका के मद्देनजर नाले में होने वाले तेज बहाव की गति को नियंत्रित करने नाले की संरचना बताई गई थी। इसका भी पालन इसमें प्रोजेक्ट में नहीं किया गया है। यह जल निकासी का सामान्य नाला नहीं है बल्कि यह बरदाडीह के आगे के कैचमेंट का पानी लेकर चलने वाला प्राकृतिक नाला है। जिसमें बारिश के दिनों में अथाह पानी बहता है। ऐसे में निगम द्वारा अभी जो चौड़ाई दी जा रही है वह न केवल कम है बल्कि इसे जमीन कारोबारियों के हितों को देखते हुए भी तैयार किया जा रहा है। इससे अवैध कब्जा का मौका मिल सके।