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सतना

अस्पताल की सुधरे व्यवस्था तो सही हो MP के इस जिले का ‘स्वास्थ्य’, बड़े प्रोजेक्ट आज तक अधूरे

अस्पताल की सुधरे व्यवस्था तो सही हो MP के इस जिले का ‘स्वास्थ्य’, बड़े प्रोजेक्ट आज तक अधूरे

सतनाJan 28, 2019 / 12:41 pm

suresh mishra

Big projects incomplete till today in satna District hospital

Big projects incomplete till today in satna District hospital

सतना। जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा रही है। कई बड़े प्रोजेक्ट को बीमारी लग चुकी है। वे आज तक पूरे नहीं हो पाए हैं। जिम्मेदार त्वरित उपचार केंद्र के लिए सालभर बाद जमीन नहीं तलाश पाए हैं। संचालनालय की सख्ती के बाद भी ओपीडी में क्लब-फुट क्लीनिक शुरू नहीं हो पाई है।
ट्रॉमा यूनिट शुरू होने के बाद भी चिकित्सकों की पदस्थापना नहीं होने से गंभीर मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा। स्वास्थ्य सेवाओं में कोताही मरीजों को भारी पड़ रही है। पीडि़त इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं। इन सुविधाओं को बेहतर बनाकर अस्पताल पहुंचने वाले पीडि़तों को राहत पहुंचाई जा सकती है।
ट्रॉमा यूनिट
ट्रॉमा यूनिट आरंभ होने के छह माह बाद भी चिकित्सकों सहित स्टाफ की पदस्थापना नहीं की गई है। ऐसे में प्रबंधन द्वारा अस्पताल पहुंचने वाले गंभीर मरीजों व घायलों को जबलपुर, रीवा रेफर किया जा रहा। बेहतर चिकित्सा के अभाव में लोग दम तोड़ रहे हैं। इकाई के लिए बुलाए गए चिकित्सा उपकरणों का भी उपयोग नहीं हो पा रहा है।
त्वरित उपचार केंद्र
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिला अस्पताल परिसर में त्वरित उपचार केंद्र का निर्माण कराया जाना है। संचालनालय स्वास्थ्य सेवा द्वारा 84 लाख रुपए की राशि भी स्वीकृत की जा चुकी है पर स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदार 8 माह से अधिक समय बीतने के बाद भी जमीन नहीं तलाश पाए हैं। ऐसे में निर्माण कार्य पिछड़ता जा रहा है।
मॉडल मेटरनिटी विंग
जिला अस्पताल में मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए मॉडल मेटरनिटी विंग का निर्माण कराया गया। संचालनालय ने प्रोटोकॉल के तहत भर्ती होने वालों को चेक लिस्ट के अनुरूप सुविधाएं देने के निर्देश दिए हैं। लेकिन, हकीकत यह है कि मॉडल विंग में साफ-सफाई तक नहीं कराई जा रही है। दुर्गंध के चलते इकाई में पलभर खड़े होना मुश्किल होता है। ऐसी हालत में ही गर्भवती, प्रसूताएं और नवजात भर्ती रहते हैं।
प्राइवेट वार्ड
सीएस चेम्बर के पास बन रहे प्राइवेट वार्ड के निर्माण में ठेकेदार द्वारा जमकर मनमानी की जा रही है। मिट्टी मिली रेत का उपयोग किया जा रहा था। सीएस ने जायजा लेकर काम बंद कराया। पीआइयू के जिम्मेदार नींद से जागे। निर्माण की डेड लाइन तय की गई पर इसके एक माह बीतने के बाद भी काम पूरा नहीं हो पाया है। ठेकेदार की मनमानी की जानकारी होने के बाद भी पीआइयू सहित अस्पताल प्रबंधन के जिम्मेदार मौन साधे हुए हैं।
वृद्धजन वार्ड
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा जिला अस्पताल में बुजुर्ग स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम के तहत 10 बेड का वार्ड बनाया जाना था। इसमें 5 पलंग महिला और 5 पुरुष के लिए रहने थे। एनसीडी क्लीनिक में रैम्प, व्हील चेयर, अटेंडेंट सहित अन्य चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जानी थीं पर जिम्मेदारों की लापरवाही से बुजुर्गों को इलाज के लिए अस्पताल में भटकाव झेलना पड़ रहा है।

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