रेलवे सूत्रों के मुताबिक, आरओएच डिपो की लाइन नंबर एक में रात करीब ढाई बजे रैक की शंटिंग हो रही थी। तभी रेल कर्मियों की लापरवाही से रेल बैगन इलाहाबाद एंड का डेड एंड और परिसर की बाउंड्री तोड़ते हुए सड़क तक पहुंच गया। घटना को छिपाने के लिए मौजूद रेलकर्मियों ने बैगन को आगे की ओर ले जाने की कोशिश की इस बीच बोगी की रियर ट्रॉली टूट जाने से गाड़ी बढ़ नहीं सकी।
सूत्रों की मानें तो दुर्घटना के बाद अपनी लापरवाही छिपाने के लिए रैक को आगे की ओर खींचा गया। इससे पहिए निकल गए और ट्रेन बेपटरी हो गई। अगर, ऐसा नहीं किया जाता, तो ट्रेन बेपटरी नहीं होती।
रेल महकमा कितना अलर्ट रहता है, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि रात ढाई बजे हुई इस बड़ी दुर्घटना के साढ़े ४ घंटे बाद सुबह करीब ७ बजे रेलवे के अफसर मौके पर पहुंच सके। खबर पाते ही रविवार तड़के रेल सुरक्षा बल से निरीक्षक मान सिंह, उप निरीक्षक डीके पटेल सहयोगी स्टाफ के साथ मौके पर पहुंचे और फिर संबंधित रेल अधिकारियों को सूचना दी गई।
रेलवे सूत्रों के मुताबिक, घटना के समय इंजन नंबर १४९८६ में शंटर शैलेन्द्र पीसी, शंटिंग मास्टर त्रिलोकी यादव, प्वाइंट्स मेन अभय मिश्रा, एवायएम मुकेश साहू ड्यूटी पर तैनात थे। माना जा रहा है कि इस स्टाफ की लापरवाही से हादसा हुआ है और रेलवे को बड़ी क्षति पहुंची है। इस पूरे मामले की जांच के लिए एक टीम बनाई गई है। इसमें चीफ पीडब्ल्यूआई एलपी रैकवार, सीएंडडब्ल्यू से पीडब्ल्यूआई केके दीक्षित, यातायात निरीक्षक पीआर पण्डा, लोको निरीक्षक एसके वासने शामिल हैं।
हादसे के कुछ चश्मदीद गवाह भी हैं। ये गवाह रेलवे के आरओएच परिसर की बाउंड्री के दूसरी ओर ओवरब्रिज से सटी झुग्गी में रहते हैं। यहां रहने वाले एक परिवार ने बताया कि रात को जब बाउंड्री तोड़कर रेलवे रैक उनकी ओर आया तो घबराकर उठे और बच्चों को लेकर भागने लगे। जितना बना उतना सामान समेटते हुए सभी किनारे हो गए। गनीमत रही कि गाड़ी को वक्त पर काबू कर लिया गया। वरना ओवर ब्रिज से भी यह गाड़ी टकरा सकती थी।