मिली जानकारी के अनुसार सतना-रीवा रेल लाइन दोहरीकरण के लिये रेलवे विभाग को निजी जमीनों के अर्जन की आवश्यकता थी। इस पर रेलवे ने लाइन दोहरीकरण के लिये आवश्यक जमीन का सर्वे करने के बाद इसमें आ रही जमीनों की जानकारी जिला प्रशासन को उपलब्ध कराई। इसके साथ ही इन जमीनों का अर्जन करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। इन जमीनों में रामपुर बाघेलान तहसील के ग्राम बगहाई में भी रेलवे के लिये जमीन का भू-अर्जन किया गया। इसके लिये कलेक्टर ने 16 जनवरी 2019 को धारा 11 का प्रकाशन किया। इसमें बगहाई ग्राम की 2.176 हैक्टेयर जमीन का अर्जन किये जाने की आवश्यकता बताई गई। इसके साथ ही अधिसूचना में शामिल जमीनों के क्रय-विक्रय पर रोक लगा दी। लेकिन यह तथ्य सामने आया है कि इस अधिसूचना में शामिल जमीनों के कई हिस्से कर उनकी रजिस्ट्रियां करा ली गई है।
जिला पंजीयन कार्यालय की मिली भगत
इस मामले में अभी यह तथ्य सामने आया है कि सरकारी जमीनों के अर्जन में अनैतिक लाभ लेने के खेल में पंजीयन कार्यालय की भी भूमिका है। बताया गया है कि जब धारा 11 का प्रकाशन किया जाता है तो इसकी सूचना पंजीयन कार्यालय को दी जाती है। ऐसे में इन जमीनों की रजिस्ट्री कैसे कर दी गई अपने आप में बड़ा सवाल है।
एक ही दिन में कई रजिस्ट्रियां यह तथ्य सामने आया है कि बगहाई की अर्जन के दायरे में आने वाली जमीनों के एक ही नंबर की कई रजिस्ट्रियां एक ही दिन में कर दी गईं। इससे सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या पंजीयक को यह पता नहीं चला होगा कि एक ही जमीन के एक ही दिन में कई हिस्से कर आधा सैकड़ा से ज्यादा रजिस्ट्रियां की जा रही है और लगभग सभी जमीनों के समान रकबे हैं।
एनआइसी भी घिरी सवालों में
16 जनवरी को कलेक्टर सतेन्द्र सिंह द्वारा धारा 11 के प्रकाशन की प्रतिलिपि जिला सूचना अधिकारी एनआईसी को देने के साथ ही इसे जिले की वेबसाइट में अपलोड करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन सतना एनआईसी की वेबसाइट में इस सूचना का प्रकाशन नहीं किया गया। इससे एनआईसी भी सवालों में घिरती जा रही है कि आखिर यह सूचना वेबसाइट में सार्वजनिक क्यों नहीं की गई।
कई नंबर हैं विवादित बताया गया है कि यहां की जिस जमीन के कई हिस्से किए गए हैं उसमें यज्ञनारायण की जमीन भी शामिल है। इसके अलावा अधिग्रहण के लिये धारा 11 में जो जमीनें है उसके रकबे को गौर किया जाए तो इसमें भी जांच की आवश्यकता स्पष्ट नजर आ रही है। क्योंकि इन जमीनों के बहुत सारे छोटे-छोटे हिस्से एक समान किये गये हैं जो रेलवे लाइन के दायरे में आ रहे हैं।
एसडीएम ने नहीं लगाई रोक
नियमत: भू-अर्जन की अधिसूचना के साथ ही संबंधित जमीनों के क्रय विक्रय पर रोक एसडीएम द्वारा लगा दी जाती है। और इसकी सूचना पंजीयन कार्यालय को भी दी जाती है, लेकिन इस मामले में पता चला है कि एसडीएम ने यहां अधिग्रहीत की जाने वाली जमीनों के क्रय विक्रय पर न तो रोक लगाई न ही इसकी सूचना संबंधित पंजीयन कार्यालय में दी।