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सुरक्षा में सेंध, वनराज पर शिकारियोंं की नजर

locationसतनाPublished: Mar 09, 2020 01:09:12 am

Submitted by:

Sonelal kushwaha

विडम्बना: मझगवां के जंगल में १२ से अधिक बाघ, सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी

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सतना. मझगवां जिले का इकलौता ऐसा जंगल है जहां दर्जनों की संख्या में बाघ विचरण कर रहे हैं। उनकी सुरक्षा के इंतजाम न के बराबर हैं। कौन बाघ कब किस शिकारी के हत्थे चढ़ जाए…, इसका खतरा हर दम बना हुआ है। १० माह पहले शिकारियों ने वन विभाग की सुरक्षा में सेंधमारी कर एक बाघ को बेरहमीपूर्वक मार दिया था। वन विभाग मझगवां के जंगल में घूमने वाले सिर्फ ५ बाघों की पुष्टि कर रहा है जबकि वर्तमान की स्थिति में बाघों की संख्या १३ हो चुकी है। इसमें ९ वयस्क और ४ शावक शामिल हंै।
फिर हुआ तेंदुए का शिकार
वन विभाग मझगवां के जंगल में विचरण करने वाले एक बाघ को खो चुका है। इसके बाद भी विभाग के अधिकारी गहरी निद्रा से नहीं जागे। हालात यह हैं कि आए दिन सांभर, तेंदुए जैसे वन्यप्राणियों के शिकार का सिलसिला जारी है। हाल ही मझगवां बीट के कानपुर के जंगल में तेंदुए का शिकार कर पकड़े जाने के डर से शिकारियों ने मृत तेंदुए को कुएं में फे ंक दिया था। सप्ताहभर का समय बीत जाने के बाद विभाग के हाथ शिकारियों के गिरेबां तक नहीं पहुंच पाए।
यंू समझें बाघों के बढ़े कुनबे को
मझगवां रेंज में बाघों की मौजूदगी पहले से थी, लेकिन वर्ष २०१५-१६ में पन्ना से भागकर मझगवां रेंज के सरभंगा पहुंची बाघिन पी-२१३(२२) के कारण कुनबा बढऩे की शुरुआत हुई। वन विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि वर्ष २०१६-१७ में पन्ना की बाघिन से २ शावकों ने जन्म लिया। २०१८ में फिर बाघिन पी २१३(२२) ने २ शावकों को जन्म दिया। २०१९-२० में भी दो नए शावकों के साथ बाघिन को विभाग ने ट्रेस किया। इसी बाघिन के एक शावक का मई २०१९ में करंट लगाकर शिकार किया गया था। इस तरह से ६ शावकों में ५ आज भी जीवित हंै।
इसी तरह मझगवां स्टेट हाईवे के पास ७२ घंटे तक नर-मादा को जोड़ा देखा गया और उधर चितहरा बीट के पेटुआ की डाणी में बाघ-बाघिन के साथ २ शावक देखे गए। इस तरह पन्ना की बाघिन के शावक व अलग-अलग जगह में देखे गए बाघों की संख्या ११ है, तो वहीं इसी जंगल में ७ वर्ष का वयस्क बाघ है जो पन्ना की बाघिन पी २१३ (२२) के साथ अपना परिवार बढ़ा रहा है। सभी की संख्या जोड़ी जाए तो वर्तमान में कुल १३ बाघ-बाघिन मौजूद हैं।
रेलवे ट्रैक कहीं न बन जाए मौत का कारण
भारत सरकार व मध्यप्रदेश सरकार वन्यप्राणियों के संरक्षण व संवद्र्धन पर बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन इनके दावों की पोल तीन वर्ष से लंबित फेंसिंग प्रोजेक्ट खोल रहा है। वर्ष २०१६ में मझगवां-चितहरा रेल टै्रक पर कट जाने के कारण एक बाघ की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी ढाई करोड़ के प्रोजेक्ट को हरी झंडी देने के लिए केंद्र व राज्य दोनों सरकारों के पास बजट का अभाव है। १२ किलोमीटर फेंसिंग प्रोजेक्ट की स्वीकृति न मिलने पर फिलहाल वन मंडल ने अपने स्तर पर २ किलोमीटर की व्यवस्था की है।
एक घंटे चला रेस्क्यू, बाघ शावक को भेजा संजय टाइगर रिजर्व

कटनी शहर से महज चार किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 के किनारे सरसवाही नर्सरी में चार दिन से विचरण कर रहे बाघ शावक को रेस्क्यू कर शनिवार को संजय टाइगर रिजर्व भेज दिया गया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के एक्सपर्ट और कटनी वन विभाग के अधिकारियों की निगरानी में शाम 5 बजे से प्रारंभ हुआ टाइगर शिफ्टिंग ऑपरेशन एक घंटे चला। चार हाथी और टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के जवानों की मदद से बाघ को बेहोश कर वाहन के अंदर किया गया। एंटी डोज देने के बाद होश में आते ही उसे संजय टाइगर रिजर्व के लिए रवाना कर दिया गया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर विसेंट रहीम ने बताया कि बाघ शावक की उम्र करीब ढाई साल है। उसे कुछ दिन संजय टाइगर रिजर्व स्थित बाड़े में रखकर व्यवहार का अध्ययन किया जाएगा। ठीक लगने पर खुले जंगल में छोड़ दिया जाएगा।
दिनभर सोशल मीडिया में चली शिकार की खबर!
सोशल मीडिया ग्रुपों में शनिवार को दिनभर पन्ना जिले के इटावा स्थित महुलिया जंगल में बाघ का शिकार होने की खबर वायरल होती रही। थोड़ी देर बाद खबरें यह भी आने लगीं कि बाघ का शिकार पन्ना में नहीं बल्कि उत्तरप्रदेश के चित्रकूट जिले में हुआ है। हालांकि उत्तरप्रदेश वन विभाग के कर्मचारी सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी लगते ही जंगल में उतर गए लेकिन देर-रात तक उन्हें किसी प्रकार की सफलता नहीं मिली।

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