घटना 21 सितंबर 1996 की सुबह 10 बजे की है। मुकेश गुप्ता की फंदा लगाने के बाद मौत हो गई थी। उसका शव सिटी कोतवाली थाना तिराहे पर रखकर जांच की मांग की जा रही थी। भीड़ ने चक्काजाम कर सिटी कोतवाली का घेराव कर दिया था। इससे यातायात अवरुद्ध हो गया था। इसी दौरान भीड़ धक्का-मुक्की कर थाना में घुसने का प्रयास करने लगी। प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। इससे आक्रोशित भीड़ ने पुलिस बल पर पथराव कर दिया। इसमें तत्कालीन एएसपी सहित अन्य घायल हो गए थे। आरक्षक रामजानकी तिवारी की शिकायत पर पुलिस ने 26 लोगों के खिलाफ भादवि की धारा 147, 148, 341, 336, 353 के तहत प्रकरण कायम किया था।
कानून के जानकारों की मानें तो विधायक से जुड़ा होने के कारण यह मामला भी विशेष कोर्ट भोपाल ट्रांसफर हो सकता है। सवालों में सतना पुलिस
मामले में सतना पुलिस की भूमिका सवालों को घेरे में है। विधायक फरार घोषित थे, उसके बावजूद हमेशा सार्वजनिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहे। मंगलवार को भी यातायात पुलिस ने जागरूकता कार्यक्रम का मुख्य अतिथि बनाया था। सवाल उठता कि पुलिस रेकॉर्ड में फरार होने के बाद भी पुलिस गिरफ्तारी से क्यों बचती रही? इसका सीधा आशय है कि विधायक के रसूख के आगे पुलिस हिमाकत भी नहीं कर पा रही थी।
पुलिस ने शंकर लाल तिवारी, मनीष तिवारी, रामदास मिश्रा, पुरुषोत्तम वर्मा, राजकुमार यादव, राजेश जायसवाल, राजेश चौरसिया, छत्रपाल सिंह, राजेन्द्र शुक्ला, ददोली पाण्डेय, बिल्लू यादव, सुखेंद्र द्विवेदी, अजय समुंदर, विनय सिंह, पप्पू मिश्रा, संतोष पाठक, असलम खान, शंकर प्रजापति गिब्बा को आरोपी बनाया था। इनमें से 8 अरोपी बरी हो चुके हैं।
मामले में 8 आरोपी अभी भी फरार हैं। अदालत ने सभी फरार आरोपियों के खिलाफ स्थाई गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इनमें मनीष तिवारी, रामदास मिश्रा, विनय सिंह, जवाहर जैन, पप्पू मिश्रा, संतोष पाठक, अजय और असलम खान शामिल हैं।