बीएस-६ तकनीक के वाहन बीएस-४ की अपेक्षा महंगे हैं। होंडा की सेल्स एक्जक्यूटिव शिवा पांडेय ने बताया कि बीएस-६ के दोपहिया वाहन औसतन करीब १० हजार और चार पहिया वाहन २० से ३० हजार तक महंगे हैं। हालांकि, उस स्तर की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। यही वजह है कि युवा वर्ग बीएस-६ मॉडल की वाहन ही डिमांड कर रहे हैं।
ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट की मानें तो बीएस-६ तकनीक के वाहनों के लिए ईंधन भी अलग है। हालांकि, पेट्रोलियम कंपनियों की ओर से अब तक इसके लिए कोई तैयारी नहीं की गई है जबकि बड़ी संख्या में बीएस-६ मॉडल के वाहनों की बिक्री हो चुकी है। ऐसे में उनके लिए अपग्रेड ईंधन कैसे और कहां उपलब्ध हो पाएगा? इस सवाल का जवाब जिम्मेदार अधिकारी नहीं दे पा रहे हैं।
ध्वनि प्रदूषण भी कम होगा
बीएस-४ तकनीक के वाहनों उपयोग किए जा रहे ईंधन में सल्फर की मात्रा अधिक होती है। इस कारण नाइट्रोजन की मात्रा अधिक उत्सर्जित होती है जो न सिर्फ पर्यावरण बल्कि सेहत क लिए भी बेहद हानिकारक है। इसके दुष्प्रभावों को देखते हुए बीएस-६ मॉडल के वाहनों में एडवांस एमीशन कंट्रोल सिस्टम फिट किया गया है। यह न सिर्फ नाइट्रोजन का उत्सर्जन कम करेगा बल्कि, इससे आवाज भी कंट्रोल होगी, जिससे ध्वनि प्रदूषण भी कम होगा।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद परिवहन विभाग ने वाहन निर्माता कंपनियों को निर्देशित किया है कि पुराना स्टॉक क्लियरंस करें और ३१ मार्च के बाद बीएस-६ तकनीक के वाहन ही बेचें। यह भी निर्देश दिए गए हैं कि आरटीओ कार्यालय में पंजीयन के उपरांत ही ग्राहकों को वाहन सौंपे जाएं।