scriptबुद्ध के ‘पंचशील’ से संभव है अपराध मुक्त समाज की परिकल्पना | Buddha's 'Panchsheel' is possible to conceive of a crime-free society | Patrika News

बुद्ध के ‘पंचशील’ से संभव है अपराध मुक्त समाज की परिकल्पना

locationसतनाPublished: May 18, 2019 10:21:21 pm

Submitted by:

Sukhendra Mishra

बुद्ध पूर्णिमा पर विशेष: सरकार की असमानता वादी सोच के चलते देश में हो रही बुद्ध की उपेक्षा

buddha in meditation, how to control mind

Buddha’s ‘Panchsheel’ is possible to conceive of a crime-free society

सतना. विंध्य की औद्योगिक राजधानी सतना कभी बौद्ध कला संस्कृति का केन्द्र बिन्दु हुआ करती थी। जिला मुख्यालय से महज १५ किमी दूर स्थित भरहुत में बौद्ध कला संस्कृति का अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय हुआ करता था। जहां पर देश विदेश के हजारों बौद्ध भिक्षु अध्ययन किया करते थे लेकिन आजादी के बाद देश की सत्ता में बैठे असमानतावादी लोगों ने सत्ता पर काबिज रहने के लिए गौतम बुद्ध और बौद्ध धर्म की उपेक्षा की। जिसके कारण देश में लोगों को समानता का अधिकार नहीं मिल पाया।
यह बात बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर पत्रिका से विशेष चर्चा करते हुए द बुद्धाज वर्ड संस्था के संस्थापक भंते नरेन्द्र बोधि ने कही। उन्होंने जिले के विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्मारक भरहुत की उपेक्षा के लिए राज्य और केन्द्र सरकार दोनों को जिम्मेदार ठहराया। बोधि ने कहा कि आसमानतावादी सोच के चलते ही नेता यह नही चाहते की भरहुत एक बार फिर बौद्ध अनुयायियों की शरण स्थली बने। इसलिए इस प्रसिद्ध स्मारक की लगातार उपेक्षा की जा रही है।
भंते सिद्धार्थ वर्धन ने कहा कि भगवान बुद्ध द्वारा अपने अनुयायिओं को दिया गया पंचशील सिद्धांत आज समाज के लिए बहुत जरूरी है। देश में लगातार बढ़ रही आपराधिक घटनाओं को रोकने सरकारों ने कई कानून बनाए लेकिन वह समाज में बढ रही आपराधिक घटनाओं पर रोक लगाने में नाकाम सावित हो रही है। यदि समाज में भगवान बुद्ध के पंचशील सिद्धांत का प्रचार प्रसार किया जाए तो देश और समाज में हो रही आपराधी घटनाओं में कमी आएगी। महात्मा बुद्ध ने समाज में बढ़ती अपराधिक प्रवृत्ति को राकने के लिए ही पंचशील सिद्धांत की स्थापना की थी।
क्या है पंचशील

पंचशील बौद्ध धर्म की मूल आचार संहिता है जिसको थेरवाद बौद्ध उपासक एवं उपासिकाओं के लिए पालन करना आवश्यक माना गया है। भगवान बुद्ध ने अपने अनुयायिओं को अपराध से दूर रखने पांच सिद्धांत की रचना की इन्हें ही पंचशील कहा जाता है वे पांच वाक्य हैं
1.हिंसा न करना
2.चोरी न करना
3. व्यभिचार न करना

4. झूठ न बोलना
5.नशा न करना।

बुद्ध पूर्णिमा क्यों

बुद्ध पूर्णिमा, बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्योहार है। यह बैसाख माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था। भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति,बुद्धत्व या संबोधिद्ध और महापरिनिर्वाण ये तीनों एक ही दिन अर्थात वैशाख पूर्णिमा के दिन हुए थे। इसलिए बुद्ध पूर्णिमा को त्रिपावन पूर्णिमा भी कहा जाता है। ऐसा किसी अन्य महापुरुष के साथ आज तक नहीं हुआ है। अपने मानवतावादी एवं विज्ञानवादी बौद्ध धम्म दर्शन से भगवान बुद्ध दुनिया के सबसे महान महापुरुष है।

ट्रेंडिंग वीडियो