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सूख गए तालाब, कुएं और बावड़ी, बंद पड़ी एक सैकड़ा से भी अधिक नल जल योजनाएं

समुचित रखरखाव नहीं होने से अंतिम सांसें गिन रहे जिले के ज्यादातर जलस्रोत

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causes of water scarcity in madhya pradesh

causes of water scarcity in madhya pradesh

पन्ना। जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित प्राचीन जलस्रोतों के रखरखाव की दिशा में जिम्मेदारों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसलिए ज्यादातर प्राचीन जलस्रोत कुएं, बावड़ी, तालाब और तलैया आदि अंतिम सांसें गिन रहे हैं। ताल-तलैयों के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण के कारण वे धीरे-धीरे अंतिम सांसें ले रहे हैं तो वहीं कुओं, बावडिय़ों आदि की समुचित सफाई नहीं कराई जा रही है। ग्रामीण अंचलों में तो हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। जल संरक्षण के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी जिले में स्थिति बेहाल बनी है।

30 फीसदी कम बारिश

गौरतलब है कि इस साल जिले में औसत से करीब 30 फीसदी कम बारिश हुई है। इसके बाद भी जिला व स्थानीय प्रशासन की ओर से जल संरक्षण को लेकर गंभीरतापूर्वक प्रयास नहीं किए गए। हालात यह है कि ज्यादातर तालाबों के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण होने से तालाब मृतप्राय हो रहे हैं। यदि समय रहते इनमें इस साल भी काम करा दिया जाए तो आगामी सालों में समस्या कुछ हद तक समाप्त हो सकती है।

खंडहर में तब्दील हो रही बावडिय़ां
मुख्यालय सहित जिलेभर में बावडिय़ों की एक लंबी शृंखला है। इनके रखरखाव की दिशा में ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इससे बावडिय़ां खंडहर में तब्दील होती जा रही हैं। जिला मुख्यालय में ही सिंचाई कॉलोनी में एक सैकड़ों साल प्राचीन बावड़ी है जो अब खंडहर में तब्दील हो चुकी है। इसी तरह से नवीन आरटीओ कार्यालय के पास बने चौपड़े की भी देखभाल नहीं की जा रही है। यदि इसका गहरीकरण करके इसके रखरखाव की तरफ ध्यान दिया जाए तो पानी की समस्या का समाधान हो सकता है।

जवाब दे रहे बोरिंग और हैंडपंप
तेज गर्मी का दौर शुरू होने के साथ ही जिलेभर में जल स्तर नीचे खिसकने लगा है। जिला मुख्यालय सहित जिलेभर के बोरिंग और हैंडपंप गर्म हवा देने लगे हैं। नगर के विंध्यवासिनी कांच मंदिर के पास की बोरिंग महीनों से बंद पड़ी है। ग्रामीण अंचलों में जल संकट और भी बिकराल होती जा रही है। गांवों में तो यह हाल है कि जिस हैंडपंप से पानी निकलता है उसमें लोगों की लंबी लाइन लग रही है।

इस साल नई पाइपलाइन से हो सकती है सप्लाई
नगर में बीते दो साल से जलावद्र्धन योजना के तहत नई पाइप लाइन डालने का काम चल रहा है। अब पाइपलाइन डालने का काम पूरा हो चुका है। कुछ जोनों में पाइप लाइन टेस्टिंग भी हो गई है। हालांकि इस साल अभी तेज गर्मी का असर दो-तीन दिन से ही दिखाई दे रहा है। नगर पलिका परिषद इस साल दो नई पानी की टंकियों से सप्लाई शुरू कर सकती है। खेजड़ा मंदिर परिसर स्थित पानी के टंकी की टेस्टिंग का काम पूरा हो चुका है।

जल्द ही टेस्टिंग का काम शुरू

जिपं कार्यालय के पास निर्माणाधीन टंकी में भी जल्द ही टेस्टिंग का काम शुरू हो सकता है। दो नई टंकियों सहित छह पानी की टंकियों और करीब 70 बोरिंग से नगर को प्रतिदिन करीब 30 लाख लीटर पानी की सप्लाई होती है। चार पानी टंकियों में से कलेक्ट्रेट, इंद्रपुरी (न्यास कॉलोनी) और खेजड़ा मंदिर के पास स्थित टंकियों की क्षमता 5-5 लाख लीटर की और पहाड़ कोठी स्थित अंडर ग्राउंड पानी टंकी की क्षमता करीब 7 लाख लीटर की है। नगर पालिका के पानी सप्लाइ के लिए करीब दो दर्जन टैंकर हैं।

सालों बाद भी नहीं सुधरीं नलजल योजनाएं
जिले के गुनौर, सिली, पहाड़ीखेड़ा सहित दर्जनों की संख्या में नल जल योजनाएं सालों से बंद पड़ी हंै। गर्मी के सीजन में हर साल जिला प्रशासन बंद नल जल योजनाओं को शीघ्र शुरू कराने के निर्देश देता है। इसके बाद भी वर्तमान स्थिति में जिले में करीब एक सैकड़ा नल जल योजनाएं बंद पड़ी हैं। एक सैकड़ा से अधिक बंद योजनाओं को सालों बाद भी शुरू नहीं किया जा सका है। प्रशासन के इस लापरवाही के कारण संबंधित क्षेत्रों के लोग तो बारिश के दिनों में भी पीने के पानी की समस्या से जूझते रहते हैं।