उसी दौरान शिकारपुरा कटनी से पवई की ओर लौट रहे जनपद उपाध्यक्ष अजयदेव बुंदेला एवं उपयंत्री भरत सिंह घोस, अलौकिक अग्निहोत्री एवं पूरन लाल कोरी द्वारा तेंदुए को बैठा देखा तो इस द्रश्य का वीडियो बनाकर मोबाइल में कैदकर लिया। काफी समय तक यह तेंदुआ सड़क के किनारे बैठा देखा रहा।
सूचना मिलते ही वन विभाग हरकत में आया इस खबर से अंजान लोग दो पहिया एवं चार पहिया वाहन निकलते रहे। गनीमत यह रही है इस तेंदुए ने राहगीरों को किसी प्रकार की कोई हानि नहीं पहुंचाई। जनपद उपाध्यक्ष द्वारा वन विभाग के आला अधिकारियों को जानकारी दी गई। जिसकी सूचना मिलते ही वन विभाग हरकत में आया। एसडीओ आरएन द्विवेदी ने बताया, जानकारी लगते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई है। जहां एक मादा तेंदुए को दो छोटे-छोटे शावकों के साथ देखा गया है। तेंदुआ को शहरी इलाके से दूर रखनें के लिए निगरानी बल भी तैनात कर दिया गया है।
अमानगंज मार्ग में अक्सर दिखते हैं वनराज
पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर और बफर जोन की सीमा में स्थित पन्ना-अमानगंज मार्ग में आए दिन बाघ या बाघिन लोगों को दिख जाते हैं। मार्ग के एक ओर पन्ना टाइगर रिजर्व का कोर जोन है तो मार्ग के दूसरी ओर बफर जोन हैं। दोनों क्षेत्र में सघन वन, शिकार और पानी की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता के कारण अक्सर बाघ परिवार सहित कोर से बफर में और बफर से कोर जोन में आते-जाते रहते हैं।
पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर और बफर जोन की सीमा में स्थित पन्ना-अमानगंज मार्ग में आए दिन बाघ या बाघिन लोगों को दिख जाते हैं। मार्ग के एक ओर पन्ना टाइगर रिजर्व का कोर जोन है तो मार्ग के दूसरी ओर बफर जोन हैं। दोनों क्षेत्र में सघन वन, शिकार और पानी की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता के कारण अक्सर बाघ परिवार सहित कोर से बफर में और बफर से कोर जोन में आते-जाते रहते हैं।
निकलने से पूर्व लोग हो जाते हैं सतर्क कभी वे सड़क किनारे के गड्ढ़ों का पानी पी रहे होते हैं तो कभी सड़क पार कर रहे होते हैं। अब तो हालात यह हो रहे हैं कि पन्ना-अमानगंज मार्ग से निकलने से पूर्व लोग सतर्क हो जाते हैं। खासकर बाइक से चलने वाले लोगों को ज्यादा सतर्कता बरतनी पड़ रही है। बताया जाता है कि बीते दिनों जिले के देवेंद्रनगर क्षेत्र में भी शरद पूर्णिमा की रात को एक बाघिन को शावकों के साथ देखा गया था।
वन्य प्राणियों के कारण सुरक्षित नहीं रास्ते
पन्ना टाइगर रिजर्व में इन दिनों बाघों की संख्या ३० से ४० के बीच हैं। इस हिसाब से यह पन्ना में टाइगरों के इतिहास में सबसे अधिक संख्या है। बाघों का कुनबा बढऩे के साथ ही पन्ना का कोर जोन छोटा पडऩे लगा है। बाघ और बाघिन कोर जोन से निकलकर सुरक्षित आवास की तलाश में बफर जोने के जंगलों की ओर जा रहे हैं। जिससे जिले के कई मार्गों में बाघ दिखाई देने लगे हैं। बाघ की तरह यही हाल बिग कैट फेमली के अन्य सदस्यों का भी है। वन्य प्राणियों की चहलकदमी मुख्य मार्गों और गांवों के आसपास होने से लोगों में हमेशा दहशत बनी रहती है।
पन्ना टाइगर रिजर्व में इन दिनों बाघों की संख्या ३० से ४० के बीच हैं। इस हिसाब से यह पन्ना में टाइगरों के इतिहास में सबसे अधिक संख्या है। बाघों का कुनबा बढऩे के साथ ही पन्ना का कोर जोन छोटा पडऩे लगा है। बाघ और बाघिन कोर जोन से निकलकर सुरक्षित आवास की तलाश में बफर जोने के जंगलों की ओर जा रहे हैं। जिससे जिले के कई मार्गों में बाघ दिखाई देने लगे हैं। बाघ की तरह यही हाल बिग कैट फेमली के अन्य सदस्यों का भी है। वन्य प्राणियों की चहलकदमी मुख्य मार्गों और गांवों के आसपास होने से लोगों में हमेशा दहशत बनी रहती है।
पवई रेगुरल फारेस्ट में आता है। ज्यादा बड़ा मामला नहीं होने पर रेगुरल फारेस्ट के अधिकारी सूचना नहीं देते हैं। अभीतक चांदा घाटी में तेंदुए के होने की जानकारी नहीं मिली थी।
विवेक जैन, फील्ड डायेक्टर पन्ना टाइगर रिजर्व
विवेक जैन, फील्ड डायेक्टर पन्ना टाइगर रिजर्व