स्थिति यह रही कि वाहनों की जीपीएस रूट से जो मैपिंग रविवार को दल रवाना होने से पहले सुबह ६ बजे तक हो जानी चाहिए थी वह रात 8 बजे तक पूरी नहीं हो सकी। इस समय तक 40 फीसदी रूट मैप नहीं हो सके थे। वहीं गड़बड़ी छिपाने के लिए सहायक नोडल अधिकारी एसएलआर गोविन्द सोनी ने आयोग के निर्देशों का हवाला देते हुए मीडिया का कक्ष में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया। गौरतलब है कि गत विधानसभा चुनाव में मतदान के बाद इवीएम जमा करने को लेकर तमाम विवाद की स्थितियां बनी थी। कहीं सेक्टर अधिकारी इवीएम लेकर होटल में पाया गया था तो कुछ इवीएम दूसरे दिन पहुंची थीं। इससे सबक लेते हुए आयोग ने लोकसभा चुनाव में इवीएम ले जाने वाले हर वाहन में जीपीएस अनिवार्य कर दिया है।
छिंदवाड़ा और होशंगाबाद के वाहन मैपिंग और डिस्टेंड फिक्स नहीं करने के कारण सतना में छिंदवाड़ा और होशंगाबाद के वाहन दिखते रहे। इतना ही नहीं वाहन में वाहन नंबर के अलावा संबंधित सेक्टर अधिकारी और रूट का प्रदर्शन भी नहीं हो पा रहा था। जिससे यह पता नहीं चल पा रहा था कि कौन सा वाहन कहां जाना है और इस मामले में किससे संपर्क करना है।
गंभीर नहीं दिखे जिम्मेदार
जीपीएस निगरानी व्यवस्था के सहायक नोडल अधिकारी बनाए गए एसएलआर गोविन्द सोनी की यह जिम्मेदारी थी कि वे इस व्यवस्था को सुचारू करवाते। लेकिन मामले को सुबह गंभीरता से नहीं लिया कि वाहनों की मैपिंग हुई है या नहीं। नतीजा यह रहा कि ईवीएम लेकर वाहन रवाना हो गए लेकिन उनकी सही लोकेशन कंट्रोल रूम को नहीं मिल सकी।
चार दिन पहले पहुंचना था दल को
जीपीएस सिस्टम को कंट्रोल रूम से लिंक करने वाले कर्मचारियों को पोल डे के चार दिन पहले पहुंचना था लेकिन यह दल दो दिन पहले पहुंचा। दल में दो दर्जन से ज्यादा लोगों को आना था लेकिन केवल ९ कर्मचारी वेंडर की ओर से भेजे गए। लेकिन जिम्मेदारों ने व्यवस्था के लिए प्रयास नहीं किए।