बताया गया एनआरसी रामनगर में तीन-तीन बच्चों को एक बेड पर रखा गया था। जिस बेड पर मासूम थी, उसमें ही एक अन्य बच्चा भी था। यानी बेड पर दो बच्चों को भर्ती किया गया था। घटना की मुख्य वजह भी इसी को माना जा रहा है, लेकिन हैरानी की बात ये कि १२ घंटे बाद भी जिम्मेदार अधिकारी लापरवाही नहीं तय कर पा रहे।
प्रोटोकॉल के अनुसार, बाल्टी या अन्य सामग्री बेड के पास नहीं होनी चाहिए थी। अगर, परिजन रखे हुए थे तो नियमत: उसे हटवा देना चाहिए था। लेकिन, एनआरसी में पदस्थ स्टाफ ने ऐसा नहीं किया। उसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी स्टाफ की जगह परिजनों के ऊपर लापरवाही का आरोप लगाकर स्टाफ को बचाने में लगे हुए हैं। जबकि, एनआरसी के स्टाफ ने प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है। नियमानुसार सीधे कार्रवाई सुनिश्चित करना चाहिए।
मृत बच्ची की मां किरण कोल व पिता राजा उर्फ राजू कोल भी पास में सो रहे थे, लेकिन जब तक उन्हें घटना की जानकारी लगी। काफी देर हो चुकी थी। उनका कहना है कि पलंग पर दूसरा बच्चा न होता तो यह घटना नहीं होती। फिलहाल, प्रबंधन उनकी सुनने को तैयार नहीं है।
रामनगर एनआरसी को शत-प्रति बेड एक्युपेंसी के लिए प्रदेश में नंबर एक स्थान मिला था। इसके लिए पुरस्कृत भी किया गया। उसी एनआरसी में स्टाफ की लापरवाही से मासूम की मौत हो गई।
एनआरसी में बच्ची की मौत हुई है। मां ने पलंग के पास बाल्टी रख दी थी। इससे हादसा हुआ है।
डॉ. आलोक अवधिया, बीएमओ, रामनगर जांच व कार्रवाई कराएंगे
बाल्टी के पानी में डूबने से मासूम की मौत की सूचना मिली है। जांच कराते हुए संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
डॉ. विजय कुमार आरख, सीएमएचओ