हाईकोर्ट जबलपुर के मेमो के आधार पर वीडियो कान्फ्रेंस में तय किया गया है कि प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) अपने जिलों में संचालित सभी बाल सम्प्रेषण गृह में शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक और मनोरोग चिकित्सक से बच्चों का सामान्य एवं मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण ( mental check-up) कराएं। इतना ही नहीं यह परीक्षण नियमित तौर पर हर महीने किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। कहा गया है कि सभी विशेषज्ञों चिकित्सकों जिनको स्वास्थ्य परीक्षण के लिये बाल संप्रेषण गृह में भेजा जाना है उनका ड्यूटी रोस्टर प्रतिमाह में एक निश्चित साप्ताहिक दिवस के अनुसार तय किया जाए।
रिपोर्टिंग का तय किया गया प्रारूप बाल संप्रेषण गृहों में रहने वाले बच्चों की सामान्य स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य जांच के बाद इसकी रिपोर्ट तैयार करने के लिये प्रारूप तय किया गया है। यह रिपोर्ट सीएमएचओ द्वारा संचालनालय भेजी जाएगी।
मनकक्ष स्टाफ की ड्यूटी अन्यत्र नहीं लगेगी संचालनालय ने इसके साथ ही निर्णय लिया है कि जिला चिकित्सालय स्तर पर संचालित मनकक्ष में कार्यरत स्टाफ की ड्यूटी अन्यत्र न लगाई जाए। ताकि मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं एवं गतिविधियां प्रभावित न हों। इनसे केवल मानसिक गतिविधियां ही सुनिश्चित कराई जाएं।
इसलिये बरती जा रही संवेदनशीलता इस संबंध में बताया गया है कि बहुत से बच्चों को मानसिक मंदता की बीमारी होती है । इस संबंध में उन्हें विशेष केयर की जरूरत होती है। लेकिन मानसिक परीक्षण नहीं होने से बच्चे विशेष केयर और इलाज से वंचित रह जाते हैं। इसके आलावा यह भी देखा गया है कि बचपन में बच्चों की सही देखभाल नहीं होने और उनमें होने वाले बदलाव को नजर अंदाज करने के चलते बच्चे मानसिक बीमारी के शिकार होते हैं। ऐसे कई बच्चे अपचारी भी बन जाते हैं। बाल संप्रेषण गृह में आने वाले बच्चों की काउंसलिंग के दौरान यह तथ्य भी सामने आए हैं। लिहाजा यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे बच्चों का नियमित तौर पर सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण के साथ ही मानसिक परीक्षण भी किया जाए।