बावजूद, दोनों प्रत्याशी जी-जान लगाए थे। महीनों की कड़ी मेहनत के बाद भी जनता का रुख नहीं भांपा जा सका। कार्यकर्ता जो बताते वही अनुमानों का आधार था। लेकिन, मतगणना का अंतिम चक्र पूरा होने से कुछ पहले कार्यकर्ताओं ने प्रेम सिंह को बताया कि ‘भैया, आप तो जुलूस की तैयारी करो। हम चुनाव जीत गए है। इसपर प्रेम सिंह समर्थकों के साथ रीवा मार्ग स्थित पार्क होटल विजय मुस्कान के साथ लौट आए।
अति उत्साही समर्थकों ने मालाओं से लाद दिया। विजय जुलूस के बैंड बजने ही वाले थे कि, आधे घंटे पहले जिला निर्वाचन अधिकार ने अंतिम परिणामों की घोषणा की-‘चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी सुरेन्द्र सिंह गहरवार 722 मतों से विजयी घोषित किए जाते हैं। जैसे ही पार्क होटल में यह खबर पहुंची, प्रेम सिंह माला उतार कर मायूसी के साथ गृहग्राम बरौंधा रवाना हो गए।
185 पोलिंग का घमासान
सन 2008 के विस चुनाव में यूं तो त्रिकोणीय मुकाबला कांग्रेस, भाजपा और बसपा में था। पर, मुख्य लड़ाई कांग्रेस के प्रेम सिंह और भाजपा के गहरवार में ही रही। 185 पोलिंग में सीधी निगरानी रखी गई। विस क्षेत्र के 1,49,309 मतदाताओं में से 95,101 मतदाओं ने 27 नवंबर 2008 को नए विधायक के लिए मतदान किया। जो कि, ६३.६९ % दर्ज किया गया।
सन 2008 के विस चुनाव में यूं तो त्रिकोणीय मुकाबला कांग्रेस, भाजपा और बसपा में था। पर, मुख्य लड़ाई कांग्रेस के प्रेम सिंह और भाजपा के गहरवार में ही रही। 185 पोलिंग में सीधी निगरानी रखी गई। विस क्षेत्र के 1,49,309 मतदाताओं में से 95,101 मतदाओं ने 27 नवंबर 2008 को नए विधायक के लिए मतदान किया। जो कि, ६३.६९ % दर्ज किया गया।
मतगणना का उलट-फेर
मतगणना का काम 8 दिसंबर 2008 को सुबह शुरू किया गया। शुरुआती चक्रों में प्रेम गहरवार से आगे रहे। फिर कभी पीछे तो कभी कम मतों से आगे-पीछे होते रहे। अंतिम चक्र की मतगणना समाप्त होने से पहले अंतर कम होने के बावजूद जीत के करीब थे। लेकिन, परिणामों की घोषणा से ठीक पहले 722 मतों से पिछड़ गए। और, सुरेन्द्र सिंह विधायक निर्वाचित हुए। प्रेम को 24,233 (25.48%)और गहरवार को 24,955 (26.94 %)वोट मिले।
मतगणना का काम 8 दिसंबर 2008 को सुबह शुरू किया गया। शुरुआती चक्रों में प्रेम गहरवार से आगे रहे। फिर कभी पीछे तो कभी कम मतों से आगे-पीछे होते रहे। अंतिम चक्र की मतगणना समाप्त होने से पहले अंतर कम होने के बावजूद जीत के करीब थे। लेकिन, परिणामों की घोषणा से ठीक पहले 722 मतों से पिछड़ गए। और, सुरेन्द्र सिंह विधायक निर्वाचित हुए। प्रेम को 24,233 (25.48%)और गहरवार को 24,955 (26.94 %)वोट मिले।
सबसे कम उम्र के प्रत्याशी थे सत्यप्रकाश
सन 2008 के चुनाव में सत्यप्रकाश त्रिपाठी सबसे कम उम्र के प्रत्याशी महज 25 बरस के थे। उन्हें सिलाई मशीन चुनाव चिन्ह पर स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर 591 याने दशमलव 62 फीसदी मत मिले थे। जबकि सबसे कम वोट पाने वाली स्वतंत्र महिला उम्मीदवार ऊषा देवी वर्मा थीं। ऊषा को 516 याने दशमलव 54 प्रतिशत मत मिले थे।
सन 2008 के चुनाव में सत्यप्रकाश त्रिपाठी सबसे कम उम्र के प्रत्याशी महज 25 बरस के थे। उन्हें सिलाई मशीन चुनाव चिन्ह पर स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर 591 याने दशमलव 62 फीसदी मत मिले थे। जबकि सबसे कम वोट पाने वाली स्वतंत्र महिला उम्मीदवार ऊषा देवी वर्मा थीं। ऊषा को 516 याने दशमलव 54 प्रतिशत मत मिले थे।
कांग्रेस को 8,685 वोटों का नुकसान
यह चुनाव केवल हार-जीत के लिहाज से ही महत्वपूर्ण नहीं था। बल्कि, कांग्रेस को 2003 की तुलना में 8685 वोटों का भी नुकसान हुआ था। पांच साल पहले 32,918 वोट पाने वाले प्रेम सिंह 24,233 वोट पर ही सिमट गए। और, भाजपा 11,301 वोटों के फायदे में रही। पहली बार विस चुनाव में उतरे गहरवार को 2003 में प्रत्याशी रामानंद को मिले 13,654 वोटों के मुकाबले 24,955 वोट हासिल हुए।
यह चुनाव केवल हार-जीत के लिहाज से ही महत्वपूर्ण नहीं था। बल्कि, कांग्रेस को 2003 की तुलना में 8685 वोटों का भी नुकसान हुआ था। पांच साल पहले 32,918 वोट पाने वाले प्रेम सिंह 24,233 वोट पर ही सिमट गए। और, भाजपा 11,301 वोटों के फायदे में रही। पहली बार विस चुनाव में उतरे गहरवार को 2003 में प्रत्याशी रामानंद को मिले 13,654 वोटों के मुकाबले 24,955 वोट हासिल हुए।