पहली विधानसभा से लेकर चौदहवीं विधानसभा के आंकड़ों की बात की जाए, तो ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद विधायक बनाने में पीछे रहे हैं। इसी स्थिति में आदिवासी-हरिजन भी रहे हैं। वहीं इतिहास देखें तो क्षत्रिय रणनीति बनाने में माहिर दिखते हैं, चित्रकूट में बार-बार साबित हुआ है। वहीं इस उपचुनाव में 12 प्रत्याशियों में से 5 ब्राह्मण उम्मीदवार हैं। जिसमें दोनों प्रमुख दल के प्रत्याशी भी ब्राह्मण हैं।
1951-पहला विधायक: रामसजीवन शर्मा (ब्राह्मण)
1957-दूसरा विधायक: कौशलेन्द्र प्रताप सिंह (क्षत्रिय)
1962-तीसरा विधायक: पकलू जोगा (हरिजन)
1967-चौथा विधायक: आर सिंह (क्षत्रिय)
1972-पांचवां विधायक: रामचंद्र बाजपेयी (ब्राह्मण)
1977-छठवां विधायक: रामानंद सिंह (पिछड़ा)
1980-सातवां विधायक: रामचंद्र बाजपेयी (ब्राह्मण)
1985-आठवां विधायक: रामचंद्र बाजपेयी (ब्राह्मण)
1990-नौवां विधायक: रामानंद सिंह (पिछड़ा)
1993-दसवां विधायक: गणेश बारी (हरिजन)
1998-11वां विधायक: प्रेम सिंह (क्षत्रिय)
2003-12वां विधायक: प्रेम सिंह (क्षत्रिय)
2008-13वां विधायक: सुरेन्द्र सिंह गहरवार (क्षत्रिय)
2013-14वां विधायक: प्रेम सिंह (क्षत्रिय)
– कुल 1.98737 मतदाता
– 58 हजार ब्राह्मण मतदाता
– 53 हजार हरिजन-आदिवासी
– 16 हजार यादव
– 14 हजार कुशवाहा
– 12 हजार मुस्लिम
– 7 हजार क्षत्रिय मतदाता
– 38 हजार अन्य
नोट:- अन्य के आंकड़े जैसे (पटेल, लोधी, कायस्थ, पारधी) को मिलाकर