गौरतलब है कि दीपदान मेले की भव्य तैयारियां पहले से ही कर ली गई हैं। प्रशासन ने भी लाखों लोगों के आगमन के लिए पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किए हैं। मंदाकिनी तट पर लगने वाला मेला धनतेरस से लेकर भाई दूज तक चलता है। जिसको पंचदिवसीय मेले के नाम से भी जाना जाता है।
बरसों की परंपरा
चित्रकूट के तट पर लगने वाले मेले की परंपरा बरसों पुरानी है। यह मेला हर अमावस्या को मनाया जाता है। दीपदान के लिए इस बार लगाए जाने वाले मेले के लिए काफी तैयारियां की जा चुकी हैं। एसपी भी मेला स्थल का निरीक्षण कर चुके हैं। यह मेला करीब 25 किलोमीटर के दायरे में लगाया जाना है।
चित्रकूट के तट पर लगने वाले मेले की परंपरा बरसों पुरानी है। यह मेला हर अमावस्या को मनाया जाता है। दीपदान के लिए इस बार लगाए जाने वाले मेले के लिए काफी तैयारियां की जा चुकी हैं। एसपी भी मेला स्थल का निरीक्षण कर चुके हैं। यह मेला करीब 25 किलोमीटर के दायरे में लगाया जाना है।
दीपदान का महत्व
मंदाकिनी नदी में स्नान करके दीपदान के लिए लाखों की संख्या में यहां लोग आते हैं। बताया जाता है कि ऐसा करने से सर्वसुखों की प्राप्ति होती है। दीपदान के बाद कामतानाथ की परिक्रमा की जाती है, जो यहां से करीब 7 किलोमीटर दूर बताया जा रहा है।
मंदाकिनी नदी में स्नान करके दीपदान के लिए लाखों की संख्या में यहां लोग आते हैं। बताया जाता है कि ऐसा करने से सर्वसुखों की प्राप्ति होती है। दीपदान के बाद कामतानाथ की परिक्रमा की जाती है, जो यहां से करीब 7 किलोमीटर दूर बताया जा रहा है।
एमपी और यूपी से शामिल
प्रदेश की सीमा से लगे होने की वजह से चित्रकूट मेले में मध्यप्रदेश के पन्ना, सीधी, सिंगरौली, रीवा, सतना एवं उत्तरप्रदेश के कर्वी, बांधा, इलाहाबाद, कानपुर से यहां भक्तों का आगमन होता है। विद्वानों के अनुसार इन स्थानों पर मेले को लेकर खास मान्यता है। जिससे दोनों ही प्रदेशों के लोग यहां एकत्रित होते हैं।
प्रदेश की सीमा से लगे होने की वजह से चित्रकूट मेले में मध्यप्रदेश के पन्ना, सीधी, सिंगरौली, रीवा, सतना एवं उत्तरप्रदेश के कर्वी, बांधा, इलाहाबाद, कानपुर से यहां भक्तों का आगमन होता है। विद्वानों के अनुसार इन स्थानों पर मेले को लेकर खास मान्यता है। जिससे दोनों ही प्रदेशों के लोग यहां एकत्रित होते हैं।
5 दिन में आते है 50 लाख भक्त
प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो दिवाली मेला धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है। धनतेरस के दिन यहां 5 लाख भक्त पहुंचे थे। बुधवार को करीब 10 लाख भक्त मंदाकिनी नदी पर स्नान कर कामदगिरी की परिक्रमा की। दिवाली के दिन करीब 20 लाख भक्त दीपदान करने के लिए पहुंचे। परीबा और भाई दूज को क्रमश: 8-8 लाख भक्त दर्शन-पूजन करेंगे।
प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो दिवाली मेला धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है। धनतेरस के दिन यहां 5 लाख भक्त पहुंचे थे। बुधवार को करीब 10 लाख भक्त मंदाकिनी नदी पर स्नान कर कामदगिरी की परिक्रमा की। दिवाली के दिन करीब 20 लाख भक्त दीपदान करने के लिए पहुंचे। परीबा और भाई दूज को क्रमश: 8-8 लाख भक्त दर्शन-पूजन करेंगे।
इस तरह बढ़ जाती है भक्तों की संख्या
चित्रकूट के जानकारों ने बताया कि 10 लाख भक्त हर अमावस्या में आने वाले होते है। जबकि 20 लाख भक्त एमपी-यूपी के दर्शनार्थी दीपदान करने आते है। 10 लाख देशभर के भक्त और 20 लाख बाहरी भक्त दीपदान करने आते है।
चित्रकूट के जानकारों ने बताया कि 10 लाख भक्त हर अमावस्या में आने वाले होते है। जबकि 20 लाख भक्त एमपी-यूपी के दर्शनार्थी दीपदान करने आते है। 10 लाख देशभर के भक्त और 20 लाख बाहरी भक्त दीपदान करने आते है।