मुख्यमंत्री चुनाव प्रचार के दौरान तुर्रा व सरभंगा में रात्रि विश्राम किए। दोनो गांवों में उनके जाने के बाद भाजपा नेताओं की हरकत ने भद पिटवाई। तुर्रा में वनवासी के घर में जो व्यवस्था की गई थी, मुख्यमंत्री के जाने के बाद खिडक़ी-दरवाजे तक भाजपा नेता लेकर चले गए। वहीं सरभंगा में खुलेआम आचार संहिता का उल्लंघन होते रहा। सांसद निधि से दिए गए टैंकर से पानी सप्लाई की गई। टैंकर पर साफ तौर पर सांसद गणेश सिंह लिखा हुआ था।
इस चुनाव में भाजपा को स्थानीय संगठन को दरकिनार करना भारी पड़ गया है। पुरा चुनाव प्रदेश संगठन व कुछ स्थानीय नेताओं के बीच तक सीमित हो गया था। स्थानीय संगठन का बड़ा हिस्सा दरकिनार हो गया था। उसका उपयोग शीर्ष नेतृत्व नहीं कर पाया। जिससे स्थानीय समीकरण को समझने व स्थितियों को भांपने में रणनीतिकार असफल साबित हुए।
इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी व संगठन अपने दम पर चुनाव मैदान में नहीं दिखाई दिए। बल्कि, सभी के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा ही सहारा था। अंतिम समय तक उम्मीद की जा रही थी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के छवि के बल पर चुनाव जीत जाएंगे। जो पार्टी के लिए नुकसान दायक साबित हुआ।