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भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने हार स्वीकारी कहा- चित्रकूट कांग्रेस की परंपरागत सीट, जीतना तय था

locationसतनाPublished: Nov 12, 2017 05:25:18 pm

Submitted by:

suresh mishra

चित्रकूट उपचुनाव में हार के बाद मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने अपनी हार स्वीकार कर ली है।

Chitrakoot Election Result 2017 : BJP state president accepts defeat

Chitrakoot Election Result 2017 : BJP state president accepts defeat

सतना. चित्रकूट उपचुनाव में हार के बाद मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने अपनी हार स्वीकार कर ली है। प्रदेशाध्यक्ष नंद कुमार चौहान ने हार मानते हुए कहा है कि प्रदेश में कुछ सीटें कांग्रेस की परंपरागत हैं। भविष्य में भी इन सीटों पर कांग्रेस की जीत होगी। हम इस चुनाव में हार की समीक्षा करेंगे और आगे की तैयारी करेंगे।इस हार का 2018 के विधानसभा चुनाव पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
वहीं हार के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि चित्रकूट उपचुनाव में जनता के निर्णय को शिरोधार्य करता हूँ। जनमत ही लोकतंत्र का असली आधार है। जनता के सहयोग के लिए आभार व्यक्त करता हूँ। चित्रकूट के विकास में किसी तरह की कमी नहीं होगी। प्रदेश के कोने-कोने का विकास ही मेरा परम ध्येय है।
वहीं मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा है कि जनता का फैसला स्वीकार है, हम अपनी बात जनता तक नहीं पहुंचा सके।
कांग्रेस ने 14133 वोटों से बड़ी जीत हासिल की

उल्लेखनीय है, पहले राउंड में भाजपा ने करीब 500 वोट से लीड किया था। उसके बाद जब दूसरा राउंड हुआ, तो पिछड़ते चली गई। फिर किसी भी राउंड में आगे नहीं हो पाई। 13वें राउंड तक कांग्रेस ने 20 हजार से ज्यादा की लीड हासिल कर ली। जिसके बाद से भाजपा खेमे में हडक़ंप मच गया और हार स्वीकार करते हुए प्रतिक्रिया आने लगी। वहीं उत्साहित कांग्रेसियों ने भी बयान देना शुरू कर दिया। कांग्रेस प्रत्याशी नीलांशु चतुर्वेदी ने चित्रकूट उपचुनाव में 14133 वोटों से बड़ी जीत हासिल की।
स्थानीय का दरकिनार करना पड़ा भारी
इस चुनाव में भाजपा को स्थानीय संगठन को दरकिनार करना भारी पड़ गया है। पुरा चुनाव प्रदेश संगठन व कुछ स्थानीय नेताओं के बीच तक सीमित हो गया था। स्थानीय संगठन का बड़ा हिस्सा दरकिनार हो गया था। उसका उपयोग शीर्ष नेतृत्व नहीं कर पाया। जिससे स्थानीय समीकरण को समझने व स्थितियों को भांपने में रणनीतिकार असफल साबित हुए।
मुख्यमंत्री के बल पर मैदान में
इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी व संगठन अपने दम पर चुनाव मैदान में नहीं दिखाई दिए। बल्कि, सभी के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा ही सहारा था। अंतिम समय तक उम्मीद की जा रही थी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के छवि के बल पर चुनाव जीत जाएंगे। जो पार्टी के लिए नुकसान दायक साबित हुआ।