मुन्ना लाल नामदेव के पिता राधिका प्रसाद नामदेव 50 वर्ष पहले पन्ना के धाम मोहल्ले से सिंहपुर आ गए थे। उनके तीन बच्चे और दो बच्चियां थी। बीच के बेटे मुन्नालाल का जन्म 1964 को हुआ था। उनके तीन बच्चे थे, बड़ा बेटा आशीष 12वीं की पढ़ाई कर दर्जी का काम करता था। छोटी बेटी अंसू बीए करने के बाद डीएलएड कर रही है। बीच का बेटा संदीप सिविल जज बन गया है।
कहते है 90 के दशक की शुरुआत में 30 रुपए पैंट-शर्ट की सिलाई मिलती थी। वर्तमान समय में 400 से 500 रुपए तक पहुंच गई है। सामान्यतौर पर एक दर्जी एक दिन में एक पैंट-शर्ट सी सकता है। यही उसकी दिनभर की इनकम है। उसी से घर का खर्च चलाना और बच्चों को पढ़ाना-लिखाना होता था। पैसे कम होने से बेटे को ट्यूशन नहीं दिला पाते थे। उस दौर में सबसे ज्यादा सिलाई बंगली, कच्छा-बनियान, हाफ कुर्ती की मिला करती थी।
मोहल्लेवासी बताते हैं, कपड़ों के कतरन के जोड़तोड़ में लगे रहने वाले दर्जी ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उसका बेटा सिविल जज बनकर तकदीर बदल देगा। पिता अलसुबह 5 बजे से लेकर रात 12 बजे तक पत्नी के साथ कपड़ों को सिलने में समय व्यतीत करते तो बेटा सपनों को संजोए हुए दिन-रात 5 बाई 20 के मकान रहकर पढ़ाई करता रहता। पिता के जीवन में लाख परेशानियां आईं, लेकिन बेटे के सपनों के आगे जख्मों को पीता गया। बेटे ने भी जज बनकर पिता की खोई मुस्कान को वापस कर दिया है।
पत्रिका टीम शुक्रवार को सिविल जज बनने वाले संदीप नामदेव के घर पहुंची तो पिता मुन्नालाल और उनकी माता आशा नामदेव मिले। बेटे की सफलता के सवाल-जवाब में उनके आंसू छलक आए। बोले-यही मेरा 5 बाई 20 का मकान है, जिसमें दुकान भी चलाता हूं और परिवार सहित रहता भी हूं। बच्चों को अच्छी शिक्षा-दीक्षा देकर कामयाब बनाने की तमन्ना थी, जिसको भगवान ने सुन ली है। अब आसानी से मेरा घर भी बन जाएगा और बेटी के हाथ पीले भी हो जाएंगे।