ये है मामला
गौरतलब है कि सिविल लाइन थाना पुलिस ने आइपीसी की धारा 420, 34 के तहत आर्टिफिशियल गैलरी से जुड़े राजेश तिवारी, राहुल जायसवाल, आदित्य समेत अन्य के खिलाफ अपराध कायम किया था। सामने आए फरियादिया ने बताया था कि सिविल लाइन थाना क्षेत्र की मंदाकिनी विहार कॉलोनी गढिय़ा टोला में दलजीत सिंह के मकान एमआइजी 25 में आर्टिफिशियल गैलरी नाम की कंपनी का ऑफिस था। जब दफ्तर में ताला लगा मिला और यहां कारोबार करने वाले भी अपने घरों में नहीं मिले तो लोगों को संदेह हुआ कि कंपनी सबका पैसा लेकर भाग गई है और तब मामला थाने पहुंचा।
गौरतलब है कि सिविल लाइन थाना पुलिस ने आइपीसी की धारा 420, 34 के तहत आर्टिफिशियल गैलरी से जुड़े राजेश तिवारी, राहुल जायसवाल, आदित्य समेत अन्य के खिलाफ अपराध कायम किया था। सामने आए फरियादिया ने बताया था कि सिविल लाइन थाना क्षेत्र की मंदाकिनी विहार कॉलोनी गढिय़ा टोला में दलजीत सिंह के मकान एमआइजी 25 में आर्टिफिशियल गैलरी नाम की कंपनी का ऑफिस था। जब दफ्तर में ताला लगा मिला और यहां कारोबार करने वाले भी अपने घरों में नहीं मिले तो लोगों को संदेह हुआ कि कंपनी सबका पैसा लेकर भाग गई है और तब मामला थाने पहुंचा।
एक साथ हुए गायब
यह कंपनी लोगों से पैसा लेती थी और उसके बदले उन्हें माला बनाने के लिए मोती देती थी। इस फार्मूले पर काम करते हुए सबसे पहले कंपनी ने आम आवाम के बीच अपना विश्वास जमाया। जब कंपनी से लोग जुडऩे लगे तब कंपनी ने एक दूसरे को जोडऩे वाला फंडा इस्तेमाल किया। नेटवर्क मार्केटिंग की तर्ज पर कंपनी ने अपने ग्राहकों और निवेशकों की लंबी चैन तैयार कर ली। इसके बाद आर्टिफिशियल गैलरी में काम करने वाले एक साथ गायब हो गए।
यह कंपनी लोगों से पैसा लेती थी और उसके बदले उन्हें माला बनाने के लिए मोती देती थी। इस फार्मूले पर काम करते हुए सबसे पहले कंपनी ने आम आवाम के बीच अपना विश्वास जमाया। जब कंपनी से लोग जुडऩे लगे तब कंपनी ने एक दूसरे को जोडऩे वाला फंडा इस्तेमाल किया। नेटवर्क मार्केटिंग की तर्ज पर कंपनी ने अपने ग्राहकों और निवेशकों की लंबी चैन तैयार कर ली। इसके बाद आर्टिफिशियल गैलरी में काम करने वाले एक साथ गायब हो गए।