ये है जांच टीम मिली जानकारी के अनुसार कलेक्टर ने अपर कलेक्टर राजेश शाही की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच टीम गठित की है। टीम को तीन दिन में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा गया है। टीम में ईई आरईएस अश्वनी जायसवाल, ओएण्डएम के अनुविभागीय अधिकारी अरुण कुमार शुक्ला और जिला कोषालय अधिकारी देवेन्द्र कुमार द्विवेदी को भी शामिल किया गया है। यह टीम तकनीकि और वित्तीय अनियमितता की संपूर्ण जांच कर 3 दिवस में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
यह है मामला शारदा मंदिर प्रबंध समिति ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये शारदा मंदिर पहाड़ी में पहले बाई केबिल रोप-वे का टेंडर तय किया था जो 550 लाख रुपये का था। जिसमें श्रद्धालुओं का किराया 30 रुपये तय किया गया था। लेकिन बाद में दामोदर रोप-वे प्रबंधन के प्रस्ताव को बिना परीक्षण के तत्कालीन कलेक्टर ने टेंडर के एग्रीमेंट में संशोधन कर दिया था। इसमें जहां लागत 750 लाख रुपये कर दी गई थी और यात्री किराया भी बढ़ा दिया गया था। इस संशोधन को शारदा मंदिर प्रबंध समिति के समक्ष भी नहीं रखा गया था। जो की नियम विरुद्ध था। इस मामले को ज्येष्ठ संपरीक्षक ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में भी उल्लेखित किया था और इसे नियम विरुद्ध बताया था।
यह थी ऑडिट रिपोर्ट ज्येष्ठ संपरीक्षक ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा था कि कलेक्टर और रोप-वे प्रबंधन के बीच बैठक के निर्णय को मां शारदा प्रबंध समिति में रखा जाना (जो आवश्यक और अनिवार्य था) नहीं पाया गया। संपरीक्षक ने यह भी कहा था कि रोपवे के निर्माण एवं संचालन के लिये मां शारदा मंदिर प्रबंध समिति का निर्णय था। आय संबंधी प्राप्त दरों का अनुमोदन समिति में हने के कारण किसी भी प्रकार का परिवर्तन या परिवर्धन की प्राधिकारी समिति ही थी। लिहाजा रोपवे के प्रस्ताव को लेकर कलेक्टर और रोपवे के अधिकारियों की संयुक्त बैठक में दी गई स्वीकृति अनियमित और अप्रभावी है। ऐसी स्थिति में दामोदर रोपवे और समिति के मध्य निष्पादित पूर्व अनुबंध ही प्रभावी माना जाना वैधानिक है। इसके अलावा यात्री किराये में बढ़ोत्तरी को भी समानुपातिक तरीके से नियम विरुद्ध बताया था और समिति को करोड़ों की हानि होना निरुपित किया था। रोपवे प्रबंधन ने साधी चुप्पी इस मामले में पत्रिका ने रोप-वे प्रबंधन से ज्येष्ठ संपरीक्षक की आपत्ति सहित रोप वे प्रबंधन को दिये गये पत्रों के संबंध में जवाब चाहा तो उनके अधिकारियों ने इस संबंध में कुछ भी जवाब नहीं दिया। इससे भी स्पष्ट हो रहा है कि प्रबंधन अपने लाभांश जमा करने सहित अन्य मामलों पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
'' मामले की जांच के लिये अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दी गई है। विधि सम्मत तरीके से कमेटी सभी बिन्दुओं और पहलुओं की जांच करेगी। '' - अनुराग वर्मा, कलेक्टर