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बहुविवादित उपयंत्री अनिल सहित तीन एसई को कलेक्टर ने किया बर्खास्त

locationसतनाPublished: Dec 07, 2021 10:32:42 am

Submitted by:

Ramashankar Sharma

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में बड़ी कार्रवाई
वित्तीय अनियमितता, कदाचरण जैसे गंभीर आरोप

बहुविवादित उपयंत्री अनिल सहित तीन एसई को कलेक्टर ने किया बर्खास्त

Collector terminate 3 SEs including the controversial engineer Anil

सतना। कलेक्टर अजय कटेसरिया ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में पदस्थ उपयंत्री अनिल पाण्डेय, अतुल सिंह और मीना अग्रवाल की सेवा समाप्त कर दी है। वित्तीय अनियमितताओं, मनमानी कार्यशैली सहित संविदा नीति के अनुरूप की गई मार्किंग में इन्हें अत्यंत कम अंक मिलने पर जिपं सीईओ डॉ परीक्षित झाड़े ने इनकी संविदा समाप्ति का प्रस्ताव कलेक्टर के पास भेजा था। इस कार्रवाई के बाद पंचायत राज विभाग के तकनीकि अमले में हड़कम्प मच गया है।
संविदा नीति अनुरूप मिली कम मार्किंग

मिली जानकारी के अनुसार संविदा नीति के तहत संविदा उपयंत्रियों को उनके द्वारा किये गये कार्यों के आधार पर सालाना मार्किंग की जाती है। इसमें पाया गया कि मैहर जनपद में पदस्थ उपयंत्री अनिल पाण्डेय, मीना अग्रवाल और सोहावल जनपद में पदस्थ उपयंत्री अतुल सिंह को काफी कम 20 अंक प्राप्त हुए। इससे स्पष्ट हो रहा है कि ये अपने जॉब चार्ट के अनुरूप कार्य करते नहीं पाए गये।
50 हजार की वित्तीय अनियमितता

उपयंत्री अतुल सिंह के संबंध में कम मार्किंग के अलावा इनके द्वारा 50 हजार की वित्तीय अनियमितता करना पाया गया। इनके खिलाफ लगातार मिल रही शिकायतों के कारण इन्हें जनपद से संबद्ध किया गया था और एक साल से ये जनपद में ही संबद्ध हैं। इनके कराये गए कार्यों में मूल्यांकन सही नहीं पाया गया। ग्राम पंचायतों से पंचायती राज प्रतिनिधियों द्वारा तमाम शिकायतें भी इनके विरुद्ध की जाना पाई गई।
तकनीकि दक्षता कम

बीना अग्रवाल के संबंध में पाया गया कि इन्होंने सक्रिय जॉब कार्ड के आधार पर जॉबकार्ड धारकों को रोजगार जनरेट नहीं किया। लेबर बजट के विरुद्ध इनकी उपलब्धि काफी कम पाई गई है। साथ ही इनकी तकनीकि दक्षता भी काफी कम पाई गई है।
अनियमितताओं का लंबा रिकार्ड

उपयंत्री अनिल पाण्डेय के संबंध में पाया गया है कि इनके विरुद्ध अनियमितताओं का लंबा रिकार्ड है। लगातार इनकी मार्किंग खराब पाई गई है। मझगवां खुर्द, बाबूपुर, बचवई और कुड़िया में इनके द्वारा व्यापक पैमाने पर वित्तीय अनियमितता होना पाया गया है। तत्कालीन जनपद सीईओ नागौद ने इन्हें पद से पृथक करने दो बार डीओ लेटर लिखा है। एसबीएम के मास्टर ट्रेनर से बद्तमीजी की शिकायत है। इनके आचरण को लेकर कई विपरीत लेख आधिकारिक स्तर के पाए गए हैं। इसके अलावा भ्रष्ट आचरण का मामला भी मिला है।
कलेक्टर ने जताई सहमति, किया सेवा से पृथक

इन तीनों उपयंत्रियों के विरुद्ध तमाम मामलों के आधार पर इनकी संविदा समाप्त करने का प्रस्ताव जिपं सीईओ ने कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया। जिस पर सहमत होते हुए कलेक्टर ने इन तीनों को सेवा से पृथक करने के आदेश कर दिये हैं। माना जा रहा है कि इन उपयंत्रियाें द्वारा किये गये भ्रष्टाचार की जांच अंतर विभागीय कमेटी से कराई जा सकती है।
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