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सतना जिले के सात चिकित्सकों पर लटकी कार्रवाई की तलवार

locationसतनाPublished: Jun 11, 2019 11:21:48 pm

Submitted by:

Ramashankar Sharma

संभागायुक्त डॉ अशोक कुमार भार्गव ने की कार्रवाई
एनआरसी में भर्ती कुपोषित बच्चों को रात में बाहर निकालने पर दो डाक्टरों को शो-कॉज
नवजात की मौत मामले में जिला अस्पताल सतना के पांच डॉक्टरों को भी नोटिस

Commissioner issues show cause notice to seven doctors

Commissioner issues show cause notice to seven doctors

सतना. संभागायुक्त डॉ अशोक कुमार भार्गव ने पत्रिका की खबर को संज्ञान में लेते हुए मैहर एनआरसी में भर्ती बच्चों को रात में बाहर निकालने के मामले में लापरवाह दो चिकित्सकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। पोषण पुनर्वास केन्द्र मैहर में भर्ती बच्चों और माताओं के लिये समुचित व्यवस्था न करने के प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए मेडिकल ऑफिसर एवं प्रभारी नोडल अधिकारी एनआरसी मैहर डॉ. प्रदीप निगम एवं मेडिकल विशेषज्ञ प्रभारी सिविल अस्पताल मैहर डॉ वी.के. गौतम को नोटिस जारी किया है।
संभागायुक्त दिखे संवेदनशील

पोषण पुनर्वास केन्द्र मैहर में भर्ती कुपोषित बच्चों और उनकी माताओं को रात 9 बजे बाहर निकाल दिया गया था। तत्कालीन ड्यूटी स्टाफ ने अपनी ड्यूटी ऑफ होने एवं जिसकी ड्यूटी थी उसके न पहुंचने पर इसकी जानकारी एफडी को दी थी। उनके निर्देश पर एनआरसी में भर्ती बच्चों और उनकी माताओं को बाहर कर ताला लगाकर चली गई थीं। इस मामले का खुलासा उसी दिन पत्रिका ने प्रमुखता से किया था। इसके बाद सीएमएचओ सहित अन्य अधिकारियों की टीम ने मौका मुआयना किया, लेकिन उसके बाद कार्रवाई ठंडे बस्ते में डाल दी थी। यह मामला जब संभागायुक्त डॉ अशोक भार्गव के संज्ञान में आया तो उन्होंने इस मामले पर पूरा प्रतिवेदन तलब किया, लेकिन यहां भी बड़ों को बचाते हुए छोटों लोगों पर कार्रवाई का खेल आला अधिकारियों ने खेला। लेकिन संभागायुक्त ने इस मामले में ठोस कार्रवाई करते हुए एनआरसी प्रबंधन के जिम्मेदार चिकित्सकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
दो वेतन वृद्धि रोकने की चेतावनी
संभागायुक्त डॉ भार्गव ने जारी नोटिस में कहा है कि एनआरसी में बच्चों को बाहर कर ताला बंद कर जाने वाली सपोर्ट स्टाफ उमा साहू ने रात्रि कालीन ड्यूटी में किसी अन्य कर्मचारी के न आने की सूचना संबंधित डाक्टर को दी थी। मगर चिकित्सकों द्वारा स्थिति जानने या व्यवस्था करने का कोई प्रयास नहीं किया गया। कमिश्रर ने सत्यता की जांच उपरांत कर्तव्य एवं दायित्व के निर्वहन में लापरवाही एवं उदासीनता बरतने के आरोप में दोनों चिकित्सकों की दो वार्षिक वेतन वृद्धियां असंचयी प्रभाव से रोकने का नोटिस जारी कर दस दिवस में उत्तर प्रस्तुत करने कहा है।
भेजी जांच टीम

संभागायुक्त डॉ अशोक कुमार भार्गव ने सतना जिले के पांच लापरवाह डॉक्टरों को जिला चिकित्सालय सतना में व्याप्त कुप्रबंधन व अस्पताल प्रशासन के द्वारा मरीजों के प्रति गंभीर लापरवाही व उदासीनता बरतने पर दो-दो वार्षिक वेतन वृद्धियां रोकने का नोटिस दिया है। पत्रिका में मामला प्रकाशित होने पर डॉ भार्गव ने मामले की जांच जेडी हेल्थ को दी थी। जिस पर दो सदस्यीय टीम जिसमें संभागीय समन्वयक अभय पाण्डेय और डिप्टी डायरेक्टर डॉ पाठक को जांच के लिये भेजा गया था। जिसमें चिकित्सकों की लापरवाही पाई गई थी।
सोनोग्राफी कराने भेजा था बाहर

मामले के अनुसार जिला अस्पताल सतना में 16 अप्रेल को भर्ती प्रसूता अनीता बुनकर पति विजय बुनकर ग्राम खारी तहसील रामपुर बाघेलान को जिला चिकित्सालय में भर्ती किया गया था। प्रसूता को जिला चिकित्सालय में सोनोग्राफी की सुविधा होते हुए भी अन्यत्र से सोनोग्राफी के लिए कहा गया। समय पर उपचार उपलब्ध न कराने से गर्भवती प्रसूता की जमीन/फर्श पर डिलेवरी होने से उसके नवजात शिशु की मृत्यु हो गई थी। इसमें परिजनों का यह भी आरोप था कि वे प्रसूता को लेबर रूम ले जाना चाह रहे थे लेकिन नर्सिंग स्टाफ ने उन्हें मेटर्निटी वार्ड में ही रोक लिया था।
ये डॉक्टर निशाने पर
कमिश्नर डॉ भार्गव ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए बच्चे के प्रसव के समय लापरवाही बरतने पर दोषी मानकर संबंधित चिकित्सकों के विरुद्ध कार्रवाई की है। चिकित्सकों की लापरवाही तथा जिला चिकित्सालय की अव्यवस्था के कारण नवजात शिशु की मृत्यु हो गई थी। इसे गंभीर कदाचरण तथा लापरवाही मानते हुए कमिश्नर ने जिला अस्पताल के प्रभारी अधिकारी को नोटिस देने के साथ-साथ मरीजों के प्रति उदासीनता व असंवेदनशीलता बरतने पर जिला चिकित्सालय में पदस्थ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ माया पाण्डेय, गायनी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ रेखा त्रिपाठी, चिकित्सा अधिकारी डॉ. मंजू सिंह तथा मेडिकल अफीसर डॉ. शांति चहल को दो वेतन वृद्धियां रोकने का नोटिस दिया है। यह नोटिस मध्यप्रदेश सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील नियम 1966 के तहत दिया गया है। नोटिस का 10 दिनों की समयावधि में संतोषजनक उत्तर प्राप्त न होने पर एक पक्षीय दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
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