इस बार की विधानसभा में कई सवाल अलग-अलग तरीके से कांग्रेस शासन की ऋण माफी को लेकर पूछे गए हैं। जिसके जवाब कृषि विभाग, सहकारी बैंक इनके जवाब तैयार करने में जुटा है। इससे जो जानकारी निकल कर सामने आई है उसमें कांग्रेस सरकार तीन चरणों तक की कृषि ऋण की माफी कर चुकी थी। इसके आगे की ऋण माफी होती उससे पहले ही सरकार गिर गई। सतना जिले में तीन चरणों में 39540 किसानों का 112.60 करोड़ रुपये का ऋण माफ किया गया था। हालांकि अभी 57788 किसानों की ऋण माफी का दावा शेष है और उनके 829.24 करोड़ की ऋण माफी नहीं हो सकी है। भाजपा सरकार में इसको लेकर चुप्पी साध ली गई है और बैंकों की डिमांड के बाद भी सरकार उन्हें यह राशि नहीं दे रही है।
सहकारी समितियों के 17 हजार किसानों को इंतजार
जिले की ऋण माफी को अगर देखे तो सहकारी समितियों के माध्यम से सहकारी बैंक से लगभग 45199 किसानों ने ऋण लिया था। जिसमें से कांग्रेस सरकार रहते तक 27586 किसानों का 52.75 करोड़ रुपये का ऋण माफ हो गया था। सरकार बदलने के बाद 17613 किसानों के 108.49 करोड़ रुपये के ऋण माफ होना शेष है।
किसानों का पैसा सरकार ने भरा
बड़ा सवाल जिसका जवाब नहीं
ऋण माफी भले ही कांग्रेस सरकार ने शुरू की थी लेकिन यह शासन स्तर पर लिया गया निर्णय था। ऐसे में भले सरकार बदल जाए यह प्रक्रिया तो जारी रहनी चाहिए। लेकिन सरकार बदलने के बाद अगर डिमांड के अनुरूप राशि ऋण माफी के लिये नहीं दी जा रही है तो इसकी वजह न तो बैंक बता पा रहे हैं न ही अफसर। लेकिन दबी जुबान में यह जरूर कहा जा रहा है कि अगर यह ऋण माफी जारी रहती है तो इससे कांग्रेस को ही फायदा होगा लिहाजा सत्ताधारी दल के दबाव में शासन स्तर से बैंकों को डिमांड के विरुद्ध राशि देना बंद कर दिया गया है। जिससे ऋण माफी की प्रक्रिया अधूरी रह गई है।