scriptसरकारी खजाने को 472 करोड़ रुपये का चूना लगाने की साजिश हुई नाकाम, गिरदावरी ने खोली पोल | Conspiracy of cheating Rs 472 crore from the state treasury failed | Patrika News

सरकारी खजाने को 472 करोड़ रुपये का चूना लगाने की साजिश हुई नाकाम, गिरदावरी ने खोली पोल

locationसतनाPublished: Jan 11, 2021 08:02:10 am

Submitted by:

Ramashankar Sharma

यूपी के सीमाई जिलों में पकड़ा गया पंजीयन फर्जीवाड़ाअब आयुक्त ने गुणवत्तापूर्ण गिरदावरी अभियान चलाने कलेक्टर्स को लिखा पत्रडेढ़ लाख एकड़ जमीन का सरकारी खरीदी के लिए कराया था फर्जी पंजीयनसतना जिले में 13 हजार एकड़ जमीन का किया गया था फर्जी पंजीयन

Conspiracy of cheating Rs 472 crore from the state treasury failed

Conspiracy of cheating Rs 472 crore from the state treasury failed

सतना। खरीफ 2020-21 में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी के लिए कराये पंजीयन की सत्यापन रिपोर्ट ने सरकार के कान खड़े कर दिये हैं। प्रदेश भर में 63230 हैक्टेयर रकवा फर्जी पंजीयन के कारण असत्यापित हुआ है, अगर इस रकवे की धान समर्थन मूल्य पर खरीदी जाती तो सरकार को इसके लिए 4724545600 रुपये सरकारी खजाने से चुकाने पड़ते। कुल मिलाकर गिरदावरी से पंजीयन का मिलान करने पर इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ और सरकारी खजाने के 472 करोड़ रुपये बच गए। चौंकाने वाला सच यह भी है कि अधिकतम ‘असत्यापन’ यूपी की सीमा से लगे जिलों में ही हुआ है। जिससे यह भी कहानी सामने आ रही है कि इस जमीन के नाम पर उत्तर प्रदेश से धान लाई जानी थी। इस रिपोर्ट के बाद रबी सीजन के लिए आयुक्त भू-अभिलेख सभी कलेक्टर्स को गुणवत्तापूर्ण गिरदावरी का अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।
बिचौलियों ने लिया सुविधा का लाभ
प्रदेश सरकार ने समर्थन मूल्य पर उपज खरीदी के लिए किसानों को एप के माध्यम से स्वयं पंजीयन करने की सुविधा दे रखी है। लेकिन इस सुविधा का लाभ व्यापारी और बिचौलिए उठा रहे हैं। खरीफ 2020-21 में इनके द्वारा बड़े पैमाने पर फर्जी रकवे पर धान की बोनी दर्ज करा दी थी। हालांकि सरकार ने गत वर्ष से शुरू हुई मोबाइल गिरदावरी से प्राप्त आंकड़ो को ई-उपार्जन पोर्टल में दर्ज पंजीयन आंकड़ो से मिलान किया तो पूरा खेल सामने आ गया। पाया गया कि उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे जिलों में बड़े पैमाने पर फर्जी पंजीयन कराया गया है। हालांकि इस पंजीयन को बाद में असत्यापित कर दिया गया और इन जमीन के नाम पर समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं हो सकी।
यह है फर्जीवाड़े का गणित
औसतन एक हैक्टेयर में 40 क्विंटल धान की खरीदी होती है। प्रदेश में 63230 हैक्टेयर का फर्जी पंजीयन कराया गया था। अर्थात 2529200 क्विंटल फर्जी उत्पादित धान समर्थन मूल्य पर बेचने की तैयारी थी। एक क्विंटल धान का समर्थन मूल्य 1868 रुपये है। इस आधार पर प्रदेश भर में 4724545600 रुपये की धान फर्जी तरीके से बेची जानी थी। और यह रकम सरकारी खजाने से चुकाई जानी थी।
पूरा खेल उत्तर प्रदेश के सीमाई जिलों में
असत्यापन के आंकड़ों पर अगर गौर किया जाए तो 31 जिलों में ही यह गड़बड़झाला मिला है। लेकिन 2000 हैक्टेयर से ऊपर फर्जी पंजीयन जिन जिलों में पाया गया है वे सभी उत्तर प्रदेश के सीमाई जिले हैं। जबलपुर इकलौता इसका अपवाद है। उत्तर प्रदेश की सीमा से दूर के अन्य जिन जिलों में फर्जीवाड़ा मिला है वहां आंकड़ा एक हजार हैक्टेयर तक भी नहीं पहुंच सका है। जानकारों का कहना है कि यह एक सुनियोजित खेल था, जिसके माध्यम से बाहर की धान को सरकारी खरीदी केन्द्रों में बेच कर मोटा मुनाफा कमाना था। हालांकि अभी भी जानकारों का दावा है कि इतना ही फर्जी पंजीयन अभी और है जो पकड़ा नहीं गया है और इनके सहारे उत्तर प्रदेश की धान बड़े पैमाने पर इन जिलों में आ रही है।
उत्तर प्रदेश के सीमाई जिलों में फर्जी पंजीयन
जिला – हेक्टेयर
सतना – 5522
रीवा – 2810
जबलपुर – 4039
मुरैना – 8056
सिंगरौली – 5499
सीधी – 1143
ग्वालियर – 4604
दतिया – 13524
भिण्ड – 2871
सागर – 5200

ट्रेंडिंग वीडियो