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एकाउंट फ्रॉड कर सहकारी समितियों ने हड़पी किसानों की गाढ़ी कमाई, यहां पढ़ें पूरा मामला

locationसतनाPublished: Feb 09, 2018 12:36:51 pm

Submitted by:

suresh mishra

प्रदेश के 9 जिलों में हुआ गड़बड़झाला: व्यक्तिगत खातों की जगह समिति के खातों में कराया पंजीयन

Cooperative committee fraud news in hindi satna fraud

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रमाशंकर शर्मा @ सतना। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के मामले में प्रदेशस्तर पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। समर्थन मूल्य में खरीदी करने वाली संस्थाओं ने सुनियोजित तरीके से उपार्जन कार्य के लिए पंजीयन के दौरान ही किसानों के व्यक्तिगत खातों के स्थान पर अपनी संस्था के प्राथमिक बैंक बचत खाता का नंबर अंकित कर दिया। इससे किसानों को मिलने वाली राशि उनके खाते में न जाकर समिति के खाते में चली गई। फिर राशि के भुगतान में बड़ा खेल कर लिया गया।
अब यह मामला सामने आने पर हड़कम्प मच गया है। आनन-फानन मामले में सहकारी बैंक के सीईओ को अलर्ट जारी कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। वहीं गुपचुप तरीके से इसकी जांच भी प्रारंभ कर दी गई है। अभी तक रीवा, सिंगरौली सहित प्रदेश के 9 जिलों में इस तरह का फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि इस फर्जीवाड़े में भुगतान की राशि कितनी है।
सूत्रों के अनुसार, प्रदेश में रीवा सहित सिंगरौली, सिवनी, शहडोल, नरसिंहपुर, डिन्डोरी, कटनी, बालाघाट व दतिया जिले में एकाउंट फ्रॉड का खेल सहकारी समितियों द्वारा खेला गया। किसानों के हिस्से की रकम अपने खाते में ट्रांसफर करवा ली गई। इसका खुलासा जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक छतरपुर और उससे जुड़ी प्राथमिक सेवा सहकारी समितियों के संबंध में मिली शिकायतों की जांच से हुआ। यहां किसानों ने फसल बिक्री के बाद भी खाते में राशि नहीं आने की शिकायत उच्च स्तर तक की थी। जब इसकी जांच हुई तो पता चला कि राशि तो किसानों के खाते में दे दी गई है। जब इसकी गहराई में गए तो पता चला कि राशि के लिए समितियों द्वारा खाता ही बदल दिया गया है।
कार्रवाई के निर्देश
मामले में ऐसे सभी प्रकरणों की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई के निर्देश आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाएं रेनु पंत ने कलेक्टर को दिए हैं। साथ ही सहकारी बैंक सीईओ को निर्देशित किया गया है कि पंजीयन के दौरान किसानों की भू-अधिकार पुस्तिका और बैंक खाते की पासबुक की छायाप्रति प्राप्त कर सही जानकारी पंजीयन में दर्ज हुई है इसका प्रमाणीकरण बैंक प्रबंधन से कराएं। इसका भी प्रमाणीकरण बैंक से लें कि किसानों के व्यक्तिगत खाते में भी भुगतान किया गया है। साथ ही यह प्रमाणीकरण भी चाहा गया है कि समितियों द्वारा किसानों का भुगतान अपने खाते में लेकर किसानों को नगद भुगतान नहीं किया गया है।
इस तरह करते थे खेल
जब कोई किसान सहकारी समितियों में ई-उपार्जन के लिए पंजीयन कराने आता था तो वहां समितियों द्वारा किसान के बैंक खाते की जगह समिति का खाता उल्लेख कर देते थे। इसके बाद फसल बिक्री की राशि किसानों की जगह समिति के खाते में आ जाती थी। जहां समिति में कटौती कर किसानों को भुगतान किया जाता था। आशंका तो यह भी जताई जा रही है कि समितियों ने किसानों के नाम पर फर्जी तरीके से अपने ही खाते चढ़ा दिए हैं और किसानों की जगह व्यापारियों की फसल बेचकर सरकारी खजाने को चूना लगाया जा रहा है। हकीकत तो वृहद जांच में सामने आएगी लेकिन इस खुलासे से ई-उपार्जन प्रक्रिया सवालों में आ गई है।
सबसे बड़ा फ्रॉड सिवनी और सिंगरौली में
छतरपुर से एकाउंट फ्रॉड का मामला सामने आने पर राज्यस्तर पर जब इसकी जांच की गई तो व्यापक पैमाने पर एकाउंट फ्रॉड सामने आया। वर्ष 2017-18 में अकेले धान उपार्जन के संबंध में जब ई-उपार्जन पोर्टल को खंगाला गया तो पता चला कि एक ही बैंक एकाउंट नंबर पर कई-कई किसान पंजीकृत हैं। जबकि एक किसान का एक ही व्यक्तिगत खाता होना चाहिए था। सबसे बड़ा फ्रॉड सिवनी और सिंगरौली जिले में किया जाना पाया गया। सिवनी में सहकारी समिति के 8 खातों में 1488 किसानों का पंजीयन पाया गया। शहडोल के 6 खातों में 249 किसान, बालाघाट के 3 खातों में 65 किसान तथा सिंगरौली के 2 खातों में 63 किसानों का पंजीयन पाया गया। ये सभी खाते सहकारी समितियों के थे। इसी तरह से सहकारी समितियों के एक-एक खाते में नरसिंहपुर में 48, डिन्डोरी में 42, रीवा में 39, कटनी में 28 तथा दतिया में 12 किसानों का पंजीयन पाया गया।
यह अपने तरीके का नया मामला है। इस मामले में संबंधित जिलों के कलेक्टरों को शीघ्र कारज़्वाई करने कहा जाएगा। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि दोबारा ऐसा न हो सके।
एसके पॉल, संभागायुक्त

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