scriptये है मध्य प्रदेश के दधीचियों का गांव, जिन्होंने नारायण देव मंदिर के लिए दान की 500 मीटर दूरी की सड़क | Dadhichi Village: Story of Jaitwara Gorsari Village of Satna District | Patrika News

ये है मध्य प्रदेश के दधीचियों का गांव, जिन्होंने नारायण देव मंदिर के लिए दान की 500 मीटर दूरी की सड़क

locationसतनाPublished: Dec 07, 2019 04:17:36 pm

Submitted by:

suresh mishra

अर्से बाद नारायण देव के दर्शन कर सकेंगे श्रद्धालु, गोरसरी गांव का गौतम परिवार करेगा भूमिदान, मंदिर जाने के लिए नहीं था पहुंच मार्ग

Dadhichi Village: Story of Jaitwara Gorsari Village of Satna District

Dadhichi Village: Story of Jaitwara Gorsari Village of Satna District

सतना/ अब के समय में जब जमीन के लिए परिवारों में विवाद तक हो जाते हैं, ऐसे में कोई जमीन दान कर दे तो वह परोपकार ही कहलाएगा। ऐसा ही कुछ जैतवारा से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी में बसे गोरसरी गांव के गौतम परिवार ने किया है। उन्होंने गांव में बने ऐतिहासिक महत्व के पहुंच मार्ग विहीन नारायण देव मंदिर के लिए जमीन दान की है। बताया गया कि श्रीनारायण देव मंदिर के लिए अभी जो रास्ता है वह खेतों से होकर जाता है। यहां तक पहुंचने के लिए कहीं से भी कोई रास्ता नहीं है।
श्रद्धालु खेत की मेड़ से मंदिर तक पहुंचते हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत बरसात में होती है। कीचड़ से सने खेतों से होकर मंदिर तक जाना मुश्किल हो जाता है। यही कारण था कि यहां के गौतम परिवार ने इस पुण्यधाम के लिए रास्ता बनाने अपनी आबादी की जमीन दान कर दी। यह जमीन कोई एक दो मीटर नहीं बल्कि 500 मीटर से भी अधिक है।
एक नजर में दानदाता
मुख्य मार्ग से मंदिर तक 10 फीट चौड़ी भूमि का दान गोरसरी निवासी पूर्व सरपंच चन्द्रिका प्रसाद गौतम, जयनारायण गौतम, रामगणेश गौतम, सत्यनारायण गौतम, मुकेश गौतम सहित ललिता देवी गौतम ने आबादी बहुमूल्य जमीन दान में दी है। पूर्व सरपंच गौतम ने बताया कि पिता स्व. रामकिशोर गौतम ने मंदिर विकास की नींव रखी थी। उसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए मंदिर पहुंच मार्ग न होने के चलते भूमि दान नि: शुल्क और स्वेक्षा से किया गया है।
उठी नहीं तो स्थापित कर दी प्रतिमा
इस मंदिर की प्रतिमा की स्थापना को लेकर कोई लिखित प्रमाण की जानकारी गांव वालों को नहीं है लेकिन बुजुर्गों से सुनी-सुनाई के बीच में यही बताया गया कि अर्सा पहले लबाना जाति के लोग इस प्रतिमा को ले जा रहे थे। जहां आज मूर्ति स्थापित है वहीं उनकी बैलगाड़ी खराब हो गई थी। बैलगाड़ी के खराब होने के बाद मूर्ति को यहीं रखा गया था और जब वह बन गई तो मूर्ति को बैलगाड़ी में लादने का प्रयास किया था, पर मूर्ति अपनी जगह से हिली नहीं। ऐसे में लबानाओं ने वहीं मूर्ति की स्थापना कर दी।
24 अवतारों के दर्शन
असल में यह मंदिर दशकों पुराना है। इसका कोई ज्ञात इतिहास नहीं है लेकिन भगवान श्री विष्णु की इस पावन मूर्ति में चौबीस अवतारों के दर्शन हो जाते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि तकरीबन 8 फिट के प्रस्तर में प्रधान प्रतिमा है। जिसमें भगवान नारायण चतुर्भुज अवतार में विराजे हुए हैं। जिसके चारों तरफ चौबीस अवतारों की प्रतिमाएं हैं। इसके अलावा दाहिने तरफ शिवलिंग और बायीं ओर अन्य प्रतिमा भी गर्भगृह में स्थापित हैं।

ट्रेंडिंग वीडियो