बच्चों ने महिला पटवारी पर भी गंभीर आरोप लगाया। विवाद होता रहा और पटवारी दूर बैठकर देखती रहीं। बच्चों की माने, तो पटवारी ने बच्चों को डराने का काम भी किया। पहले चॉकलेट व समोसे का लालच दिया, फिर कहा कि हट जाओ नहीं तो डंडा मारेंगे।
पूरे मामले में सूचना देने में देरी का मामला भी सामने आया। वारदात के २४ घंटे बाद तक एसडीओपी, एसपी, डीआइजी व आइजी को थाना पुलिस ने सूचना नहीं दी थी। वहीं पटवारी का कहना है कि उन्होंने डॉयल 100 को सूचना दी थी। आइजी चंचल शेखर ने जांच करने को कहा है कि कब सूचना डॉयल 100 को मिली, कब टीम मौके पर पहुंची। सूचना में देरी क्यों हुई, इन सभी बिंदुओं की जांच की जाए।
आइजी के सामने ग्रामीण व परिजनों ने अन्य लोगों के वारदात में शामिल होने की बात कही। जिसको लेकर आइजी ने जांच करते हुए अन्य आरोपियों के नाम दर्ज करने व धाराओं को बढ़ाने के निर्देश भी दिए हैं।
मौके पर ग्रामीणों व परिजनों से चर्चा करने के बाद आइजी व डीआइजी ने स्कूल के सामने ही चौपाल लगाई। जिसमें ग्रामीणों से क्षेत्र की अन्य समस्याओं को लेकर पूछताछ की। साथ ही हर जानकारी पुलिस से साझा करने के निर्देश दिए।
इस पूरे मामले में जिले के आला अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। लगातार लापरवाही सामने आने के बाद भी एसपी ने थाना प्रभारी को निलंबित नहीं किया। बल्कि, थाना प्रभारी बदलते हुए संरक्षण देने का प्रयास किया गया। एसपी रामनगर कांड में भी ऐसा ही किए थे। कोलगवां व रामपुर थाना प्रभारी की लापरवाही उन्हे दिखती ही नहीं है।
घटना को लेकर महिला के बयान का वीडियो वॉयरल हुआ। उसे नजर अंदाज कर दिया गया। वहीं ग्रामीण व बच्चों के बयान को अपने सुविधानुसार बदलते हुए हत्या के पूरे मामले को आत्महत्या के लिए प्रेरीत करने में बदल दिया गया। ये पूरा खेल अधिकारियों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए की। ताकि आदिवासी महिला को जलाकर मार डालने का बड़ा मुद्दा न बन सके।