80-90 की स्पीड़ से दौड़ रही बसें
जिले में लगभग 600 स्कूल व यात्री बसों में स्पीड गवर्नर लगाए जाने थे। फिटनेस से पहले दिखावे के लिए किराए पर स्पीड गवर्नर लगा दिए जाते हैं। शहर से संचालित 600 बसों के फिटनेस रिकॉर्ड में स्पीड गवर्नर तो लगे हैं, लेकिन एक भी बस में स्पीड पर कंट्रोल नहीं है। सभी बसें 60 की बजाए 80 से 90 की रफ्तार से संचालित हो रही हैं। क्षेत्रीय परिवहन विभाग में भी कभी स्पीड गवर्नर की स्कैनर या वाहन की रफ्तार की जांच नहीं की जाती है।
जिले में लगभग 600 स्कूल व यात्री बसों में स्पीड गवर्नर लगाए जाने थे। फिटनेस से पहले दिखावे के लिए किराए पर स्पीड गवर्नर लगा दिए जाते हैं। शहर से संचालित 600 बसों के फिटनेस रिकॉर्ड में स्पीड गवर्नर तो लगे हैं, लेकिन एक भी बस में स्पीड पर कंट्रोल नहीं है। सभी बसें 60 की बजाए 80 से 90 की रफ्तार से संचालित हो रही हैं। क्षेत्रीय परिवहन विभाग में भी कभी स्पीड गवर्नर की स्कैनर या वाहन की रफ्तार की जांच नहीं की जाती है।
स्पीड गवर्नर लगाने के बाद ये करना होगा
डीलर स्पीड गवर्नर लगाने के बाद विनिर्माता का नाम, अधिकृत डीलर का नाम, व्यवसाय प्रमाण पत्र क्रमांक, व्यवसाय प्रमाण पत्र वैधता दिनांक के साथ, वाहन का मॉडल, टाइप एप्रुवल सर्टिफिकेट क्रमांक, सीओपी, प्रमाण पत्र वैधता दिनांक, स्पीड गवर्नर का टेस्ट रिपोर्ट नम्बर, उपकरण में फीड की गई स्पीड लिमिट, गति नियंत्रण फिटमेंट दिनांक, रोटो सील क्रमांक आदि की जानकारी परिवहन विभाग के पोर्टल एमपी ट्रांसपोर्ट पर तत्काल अपलोड करना होगा। इसके बाद ऑनलाइन क्यूआर कोड वाला जनरेटेड फिटमेंट सर्टिफिकेट जारी होगा।
ये उठाए जा रहे कदम
परिवहन विभाग ने स्पीड गवर्नर लगाने में हो रहे फर्जीवाड़े पर रोक लगाने ३० जनवरी को नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें वाहनों के मॉडल के अनुसार अलग-अलग स्पीड गवर्नर का निर्माता द्वारा परिवहन विभाग में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। जिले में अधिकृत डीलर होगा, जिसे क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय से व्यवसाय प्रमाण पत्र लेना होगा। स्पीड गवर्नर इंजन से कनेक्ट करने के बाद रोटो सील करना होगा, जिसकी जांच फिटनेस के समय आसानी से की जा सकेगी।